नौसेना को ‘स्कॉर्पिन’ वर्ग की ‘वागीर’ पनडुब्बी प्राप्त हुई

नई दिल्ली – ‘प्रोजेक्ट-७५’ के तहत तैयार की जा रही स्कॉर्पिन वर्ग के छह में से पांचवी पनडुब्बी ‘वागीर’ नौसेना को दी गई है। १ फ़रवरी से ‘वागीर’ के विभिन्न परीक्षण शुरू हुए थे। इसमें वागीर पर तैनात हथियार और सेन्सर्स के परीक्षणों का भी समावेश था। अन्य पनडुब्बियों की तुलना में ‘वागीर’ के यह परीक्षण काफी कम समय में पूरे हुए, यह कहकर नौसेना ने इस पर संतोष व्यक्त किया है। इसकी वजह से ‘वागीर’ अगले महीने ही नौसेना का हिस्सा बनेगी, ऐसा नौसेना के प्रवक्ता ने कहा। दो सालों में भारतीय नौसेना को प्राप्त हुई ‘वागीर’ तीसरी पनडुब्बी है। ‘वागीर’ के समावेश के साथ ही नौसेना की क्षमता काफी बढ़ेगी, ऐसा कहा जा रहा है।

माज़गांव डॉक शिपयार्ड लिमिटेड और नेवी ग्रूप ऑफ फ्रान्स की संयुक्त कोशिश से वागीर का निर्माण हुआ है। ‘प्रोजेक्ट-७५’ के तहत भारत ‘स्कॉर्पिन’ वर्ग की छह पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। इनमें से ‘एस-२१ आईएनएस कलवरी’ दिसंबर २०१७ में, ‘एस-२२ आईएनएस खंदेरी’ सितंबर २०१९ में नौसेना में शामिल हुईं थी। इसके बाद मार्च २०२१ में ‘आईएनएस करंज’ और नवंबर २०२१ में ‘आईएनएस वेला’ नौसेना में शामिल की गई थी। इसेक बाद नौसेना में ‘वागीर’ का समावेश हो रहा है और इससे भारतीय नौसेना की क्षमता अधिक बढ़ेगी, यह विश्वास व्यक्त किया जा रहा है।

नौसेना के प्रवक्ता कमांडर विवेद माधवाल ने ‘वागीर’ के परीक्षण अन्य पनडुब्बियों की तुलना में काफी कम समय में पूरे हुए, यह कहकर इससे वागीर का नौसेना में जल्द समावेश होगा, यह जानकारी भी साझा की। ‘प्रोजेक्ट-७५’ के तहत निर्माण हो रही पनडुब्बियां आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ाए गए दमदार कदम हैं, ऐसा कमांडर माधावाल ने कहा। खास तौर पर रविवार को ही ‘आईएनएस मुरमुगाओ’ विध्वंसक नौसेना में शामिल हुई थी। इसकी वजह से नियमित अंतराल से नौसेना में युद्धपोत, विध्वंसक, पनडुब्बियों का समावेश होने का स्वागतार्ह चित्र सामने आ रहा है।

भारतीय नौसेना से ‘किलो’ वर्ग की पनडुब्बियां जल्द ही निवृत्त की जाएंगीं। इससे पहले नौसेना में अत्याधुनिक पनडुब्बियों का समावेश होना बहुत जरुरी है। इसके लिए भारत ने नई पनडुब्बियों का निर्माण करने के कदम उठाए थे। खास तौर पर हिंद महासागर क्षेत्र में भारत के नैसर्गिक प्रभाव को चुनौती देने के लिए चीन की नौसेना ने इस क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ाई और बाद में अपनी नौसेना की क्षमता बढ़ाना भारत के लिए अनिवार्य हुआ था। हिंद महासागर क्षेत्र अपना बरामदा है, इस सोच में भारत ना रहे। चीन जल्द ही इस क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ाएगा, ऐसी चेतावनी एक चीनी विश्लेषक ने कुछ ही समय पहले दी थी। इस चेतावनी के कारण चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी नौसेना की मौजूदगी अधिक बढ़ाएगा, ऐसा स्पष्ट हुआ था।

चीन की अधिकांश व्यापारी यातायात हिंद महासागर क्षेत्र से ही होती है। इसमें ईंधन यातायात का भी समावेश है। अपने इस समुद्री यातायात को भारतीय नौसेना मलाक्का की खाड़ी  में बड़ी आसानी से घेर सकती है, इस चिंता ने चीन को परेशान कर रखा है। इसी वजह से यहां पर भारतीय नौसेना का वर्चस्व घटाने के लिए चीन ने अपनी नौसैनिक गतिविधियां शुरू की थीं। लेकिन, कोशिश करने के बावजूद भी चीन अपना यह उद्देश्य पूरा नहीं कर पाया है। इसी वजह से सीमा विवाद एवं अन्य किसी भी विवाद में चीन भारत विरोधी तीव्र भूमिका अपना नहीं सकता, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। इसलिए चीन अपनी नौसेना की क्षमता काफी मात्रा में बढ़ा रहा है और नए युद्धपोत, विध्वंसक एवं पनडुब्बियों का निर्माण कर रहा है। इसके मद्देनज़र भारत को अपनी नौसेना की क्षमता लगातार बढ़ानी ही पडेगी। इसकी वजह से अगले दिनों में भी भारत अपनी नौसेना का सामर्थ्य अधिक मात्रा में बढ़ाए, ऐसी सलाह सामरिक विश्लेषक दे रहे हैं।

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