पड़ोसी देशों की अस्थिरता और अनिश्चितता के कारण भारत को वायु सेना का सामर्थ्य विस्तारना होगा – वायु सेना प्रमुख वी.आर.चौधरी

नई दिल्ली – लड़ाकू विमानों के स्वार्ड्रन्स की कमी और वायु सेना का सामर्थ्य तेजी से बढ़ाने जैसी काफी संवेदनशील समस्या का हल जल्द से जल्द निकालना आवश्यक होगा, ऐसा इशारा वायु सेना प्रमुख वी.आर.चौधरी ने दिया हैं। पड़ोसी देशों की स्थिति अस्थिर और अनिश्चित हुई हैं और ऐसे में वायू सेना का सामर्थ्य बढ़ाने के साथ ही समान ध्येय के एवं समविचारी देशों के साथ भारत सहयोग बढ़ाए, ऐसा वायु सेना प्रमुख ने कहा हैं। साथ ही सीधे ज़िक्र किए बिना महाशक्ति होने की महत्वाकांक्षा से पीड़ित चीन इस क्षेत्र में भारत के प्रभाव को चुनौति दिए बिना नहीं रहेगा, इसका अहसास भी वायु सेना प्रमुख ने कराया। ऐसी स्थिति में वायू सेना के पास इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में वर्चस्व स्थापित करने की एवं समय पर शत्रू को सबक सिखाने की क्षमता रहने की उम्मीद हैं, ऐसा सूचक बयान वायु सेना प्रमुख ने किया हैं।

वी.आर.चौधरीचीन और पाकिस्तान एक दूसरे से भारत के विरोध में सहायता करते रहे हैं। इनमें से एक देश के साथ भारत का संघर्ष शुरू हुआ तो दूसरा देश इसका लाभ उठाने के लिए भारत पर हमला किए बिना नहीं रहेगा, ऐसी चेतावनी सामरिक विश्लेषक बार बार दे रहे हैं। देश के रक्षाबलों ने भी एक ही समय पर दो मोर्चों पर युद्ध करने की तैयारी रखी हैं। लेकिन, ऐसी स्थिति में देश की वायु सेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों के करीबन 42 स्वाड्रन होने की उम्मीद थी। लेकिन, फिलहाल वायु सेना के बेड़े में लड़ाकू विमानों के सीर्फ 31 स्क्वाड्रन मौजूद हैं। यह कमी दूर करने के लिए जल्द से जल्द कदम उठाने होंगे, इसका अहसास एअरचीफ मार्शल व्ही.आर.चौधरी ने कराया। ‘19 वें सुब्रोतो मुखर्जी सेमीनार’ में वायु सेना प्रमुख बोल रहे थे।

इससे पहले वायु सेना प्रमुख ने यह कहा था कि, करीबी समय में वायू सेना को लड़ाकू विमानों के 42 स्क्वाड्रन पाना मुमकिन नहीं होगा। इसके लिए समय लगेगा। गुरूवार को हुए परिसंवाद में बोलते समय भी वायु सेना प्रमुख ने इस समस्या को सही शब्दों में बयान किया। वायु सेना के बेड़े में मौजूद लड़ाकू विमानों को सेवा से हटाना होगा। इसके बाद होने वाली कमी जल्द गति से दूर करने की चुनौति देश के सामने हैं, इसपर वायु सेना प्रमुख ने ध्यान आकर्षित किया। यह कमी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस लड़ाकू विमानों से दूर करना मुमकिन होगा, ऐसे संकेत विश्लेषकों ने दिए थे। वायु सेना प्रमुख ने भी अपने भाषण में हवाई क्षेत्र में वर्चस्व बनाए रखने के लिए वायू सेना को अपनी क्षमता बढ़ानी होगी, यह स्पष्ट किया।

भविष्य के युद्ध में जीत हासिल करने के लिए यह क्षमता निर्णायक साबित होगी, इसका अहसास भी वायु सेना प्रमुख ने कराया। अस्थिर और अनिश्चित पड़ोसी प्राप्त हुए भारत को आनेवाले समय में समविचारी देशों से सहयोग स्थापित करके अपनी सामरिक शक्ति अधिक बढ़ानी होगी, यह भी वायु सेना प्रमुख ने आगे कहा। साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपनी ज़िम्मेदारियां निभाकर ज़रूरत होने पर शत्रु को सबक सिखाने का काम वायु सेना को करना होगा। इसके लिए वायु सेना की क्षमता अधिक मात्रा में विकसित करना आवश्यक होगा, ऐसा एअरचीफ मार्शल चौधरी ने कहा हैं।

सीधे ज़िक्र किए बिना चीन अपनी महत्वाकांक्षा की वजह से इंडो-पसिफिक क्षेत्र की बड़ी शक्ति बने भारत को चुनौती दिए बिना नहीं रहेगा, ऐसा अनुमान वायू सेनाप्रमुख ने दर्ज़ किया। इसी बीच, फ्रान्स से खरीदे 36 राफेल विमान वायू सेना को प्राप्त हुए हैं। इसके बाद वायू सेना के लिए अधिक राफेल विमान खरीदने की तैयारी शुरू हुई हैं और इसके लिए फ्रान्स के साथ बातचीत जारी होने की बात कही जा रही हैं। राफेल जैसें अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों के समावेश की वजह से वायू सेना को लड़ाकू विमानों की कमी महसूस नहीं होगी। साथ ही अत्याधुनिक ड्रोन्स की खरीद भी लड़ाकू विमानों की कमी दूर करने के लिए प्रभावी निर्णय साबित हो सकता हैं, ऐसा विश्लेषकों का कहना हैं। राफेल विमानों की खरीद के साथ ही वायु सेना के लिए अमरीका से ‘एमक्यू-9 रिपर ड्रोन्स’ खरीदने की तैयारी भारत ने रखी हैं।

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