भारत के अंदरुनि कारोबार में किसी का भी हस्तक्षेप बर्दाश्त नही होगा – उपराष्ट्रपति व्यकय्या नायडू

नई दिल्ली – ‘रक्षा और एकता के मोर्चे पर समझौता करना संभव नही| इस विषय पर दुसरे देश का हस्तक्षेप बर्दाश्त नही किया जाएगा’, यह बयान उपराष्ट्रपति व्यंकय्या नायडू ने किया है| जम्मू और कश्मीर के संबंध में भारत ने किए निर्णय पर यूरोपिय महासंघ की संसद में प्रस्ताव पेश करके उसपर वोट करने की तैयारी हुई थी| पर, यह प्रस्ताव आगे के समय में रखने का निर्णय हुआ| भारत ने इसपर अपनी कडी नाराजगी व्यक्त की है और उपराष्ट्रपति नायडू के बयान के जरिए इसके विरोध में संदेशा दिया जा रहा दिख रहा है|

प्राचिन परंपरा के साथ भारत में सहिष्णुता है और भारत ने दुसरें देश पर हमला किया नही है| भारत में सभी समुदाय सुरक्षित है, यह कहकर उपराष्ट्रपति ने भारत के विरोध में बयानबाजी करनेवाली कुछ अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को कडे बोल सुनाए है| साथ ही अपने अंदरुनि कारोबार में भारत दुसरें किसी का भी हस्तक्षेप बर्दाश्त नही करेगा, ऐसी कडी चेतावनी उपराष्ट्रपति ने दी है| नई दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान उपराष्ट्रपति नायडू बोल रहे थे| 

पाकिस्तान ने दुष्प्रचार का इस्तेमाल करके यूरोपिय संसद में भारत के विरोध में प्रस्ताव पेश करने की तैयारी की थी| धारा ३७० के जरिए जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष दर्जा हटाकर भारत ने कश्मीरी जनता पर अन्याय किया है, यह आरोप पाकिस्तान कर रहा है| साथ ही जम्मू-कश्मीर में कर्फ्यू लगाकर भारत ने वहां की जनता का दमन जारी रखा है, यह आरोप पाकिस्तान रख रहा है| कश्मीर की समस्या से अवगत ना होनेवाले अंतरराष्ट्रीय माध्यमों के एक गुट ने पाकिस्तान के इस दुष्प्रचार को काफी प्रसिद्धी दी थी| कुछ मानव अधिकार संगठनों ने भी कश्मीर में इंटरनेट बंद रखकर भारत ने मानव अधिकारों का उल्लंघन किया है, यह टिपणी की थी|

सुरक्षा के लिए भारत ने यह निर्णय किए थे और इसी वजह से आतंकियों को कश्मीर में आतंकी साजिश को अंजाम देना मुमकिन नही हुआ| इस ओर पाकिस्तान के पक्ष में खडे होनेवाले अंतरराष्ट्रीय माध्यमों के गुट ने पुरे उद्देश्य के साथ अनदेखा किया दिख रहा है| इसी पृष्ठभूमि पर यूरोपिय संसद में कश्मीर मसले में भारत के विरोध में प्रस्ताव रखने की तैयारी हो रही थी| पर अब यह प्रस्ताव अब आगे के दिनों में रखने का निर्णय हुआ है| यह भारत की राजनयिक जीत समझी जा रही है| पर, फिर भी कश्मीर भारत का अंदरुनि मसला है और इसमें किसी का भी हस्तक्षेप बर्दाश्त नही होगा, यह इशारा भारत के विदेश मंत्रालय ने दिया था|

उपराष्ट्रपति व्यंकय्या नायडू ने भी यह बात फिर एक बार डटकर समझायी है| साथ ही उन्होंने संयुक्त राष्ट्रसंघ को आतंकवाद के विरोध में व्यापक प्रस्ताव करने का निवेदन किया| यह बात वर्ष १९९६ से प्रलंबित है, इसकी याद भी उन्होंने दिलाई| यह अंतरराष्ट्रीय समुदाय की जिम्मेदारी बनती है, यह कहकर नायडू ने आतंकवाद जैसी भयंकर समस्या की ओर अनदेखा कर रहे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी कडे बोल सुनाए है|

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