दोनों विमान वाहक युद्धपोतों का युद्धाभ्यास करके भारतीय नौसेना ने अरब सागर में किया ताकत का प्रदर्शन

नई दिल्ली – भारतीय वायु सेना के लड़ाकू ‘सुखोई-३० एमकेआई’ विमानों ने शुक्रवार के दिन हिंद महासागर में करीबन आठ घंटे युद्धाभ्यास किया। इसके बाद शनिवार को अरब सागर में भारतीय नौसेना के दोनों विमान वाहक युद्धपोत ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ और ‘आईएनएस विक्रांत’ के साथ युद्धाभ्यास का आयोजन हुआ। इससे पहले हिंद महासागर में लड़ाकू ‘रफायल’ विमानों ने लगातार छह घंटे युद्धाभ्यास करके अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन किया था। भारतीय नौसेना और वायु सेना ने अपने समुद्री क्षेत्र में अपने सामर्थ्य का प्रदर्शन करना बड़ी अहमियत रखता है।

भारतीय नौसेना के ‘आईएनएस विक्रमादित्य’ और ‘आईएनएस विक्रांत’ पर तैनात ३५ से अधिक लड़ाकू विमान भी इस युद्धाभ्यास का हिस्सा बने थे। इस युद्धाभ्यास की वजह से समुद्री क्षेत्र में भारत की सैन्य क्षमता और कुशलता साबित होने का दावा रक्षा मंत्रालय ने किया है। उससे पहले वायु सेना के ‘सुखोई-३० एमकेआई’ विमानों ने हिंद महासागर क्षेत्र में किए युद्धाभ्यास ने सभी का ध्यान आकर्षित किया था। पिछले महीने रफायल लड़ाकू विमानों ने लगातार छह घंटे उड़ान भरकर अपनी क्षमता का अहसास कराया। उस समय रफायल विमानों में हवां में ही ईंधन भरने का अभ्यास भी किया गया।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की अहमियत प्रचंड़ बढ़ी हैं और दुनियाभर के लगभग हर एक देश ने यही ऐलान किया है कि, हमारी रक्षा नीति में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र को विशेष अहमियत रहेगी। इस क्षेत्र में अपने हितसंबंधों के लिए भारत के सहयोग को काफी बड़ा स्थान प्रदान दिया जाएगा, ऐसा दावा अमरीका, ब्रिटेन, फ्रान्स, जर्मनी ने किया था। इस तरह से भारत की सामरिक अहमियत बढ़ रही हैं और ऐसे में चीन ने भारतीय समुद्री क्षेत्र के करीब अपनी नौसैनिक हरकतें बढ़ाई हैं। खास तौर पर मलाक्का की खाड़ी में भारतीय नौसेना का प्रभाव कम करने के लिए चीन यह हरकतें करने में लगा दिख रहा हैं।

इस पृष्ठभूमि पर भारतीय नौसेना और वायु सेना समुद्री क्षेत्र में अपने सामर्थ्य का अहसास चीन को कराती दिख रही है। चीन की नौसेना ने पिछले कुछ सालों से जानबूझकर अपनी क्षमता बढ़ाई हैं। नौसेना का परंपरागत सामर्थ्य बढ़ाने के साथ ही मछुआरों के सैकड़ों जहाज़ों का युद्धपोतों जैसा इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंद्वी देशों को तंग करने की नीति चीन ने अपनाई थी। भारत के समुद्री क्षेत्र में भी यही प्रयोग करने की तैयारी चीन ने जुटाई थी। लेकिन, उससे पहले ही भारत ने अपने द्वीपों का इस्तेमाल करके गश्त लगाने की क्षमता भी विकसित की है। इससे चीन की भारत विरोधी रणनीति कामयाब होने की संभावना नहीं। लेकिन, भारत के समुद्री क्षेत्र में बारबार अपने युद्धपोत, पनडुब्बी और जहाज़ रवाना करके भारत की सुरक्षा को चुनौती देने की कोशिशों में चीन लगा हैं।

हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की गतिविधियां बढ़ने की चेतावनी भारत के नौसेना प्रमुख ने कुछ समय पहले ही दी थी। लेकिन, यह कहते हुए चीनी नौसेना की गतिविधियों पर भारत की सख्त नज़र बनी है, यह भी उन्होंने कहा था। पिछछले हफ्ते भारत के वायुसेनाप्रमुख और नौसेनाप्रमुख ने भी चीन की किसी भी गतिविधियों का मुकाबला करने की पुरी तैयार होने का दावा किया था। भारतीय रक्षाबलप्रमुखों की यह चेतावनी खोखली नहीं हैं, यही नौसेना और वायु सेना के युद्धाभ्यास के माध्यम से चीन एवं अन्य देशों को दिखाया जा रहा हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.