मालदीव की ‘कनेक्टिविटी’ परियोजना के लिए भारत करेगा ५० करोड़ डॉलर्स की सहायता

नई दिल्ली – भारत ने मालदीव के ‘ग्रेटर माले कनेक्टिविटी परियोजना’ (जीएमसीपी) के लिए 50 करोड़ डॉलर्स सहायता देने का ऐलान किया है। इसके लिए मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष ने भारतीय प्रधानमंत्री के प्रति विशेष आभार व्यक्त किया है। भारत का यह सहयोग आगे भी बरकरार रहेगा, यह वादा भी प्रधानमंत्री मोदी ने मालदीव से किया है। हिंद महासागर के जल की तरह ही भारत और मालदीव की मित्रता गहरी होने की बात कहकर प्रभानमंत्री ने भारत और मालदीव के द्विपक्षीय संबंध रेखांकित किए।

maldives-connectivityगुरूवार के दिन भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर और मालदीव के विदेशमंत्री अब्दुल्ला शहीद की वर्च्युअल बैठक हुई। इस दौरान भारत ने ‘जीएमसीपी’ के लिए निधी देने का ऐलान किया। ‘जीएमसीपी’ के तहत मालदीव की राजधानी माले से तीन द्विप जोड़े जाएंगे। मालदीव के विलिगिली, गुल्हीफहू और थिलाफुशी द्विपों को जोड़ने के लिए 6.7 किलोमीटर के पुल का निर्माण होगा। इस पुल से कनेक्टिविटी बढ़ेगी। ‘जीएमसीपी’ की वजह से भारत और मालदीव के संबंध और मज़बूत होंगे। साथ ही मालदीव की अर्थव्यवस्था को गति प्राप्त होगी, यह विश्‍वास मालदीव के विदेशमंत्री ने व्यक्त किया।

साथ ही भारत और मालदीव में एअर ट्रैवल बबल’ से संबंधित ऐलान किया गया है। भारत ने पहली बार पड़ोसी देश के साथ यह सेवा शुरू की है। दोनों देशों के नागरिकों को यह सेवा वैद्यकीय इलाज, रोजगार, पर्यटन के लिए उपयोगी होगी। साथ ही भारत और मालदीव के बीच सीधे कार्गो सेवा शुरू होगी। इससे दोनों देशों के ब्योपार मे बढ़ोतरी होगी। साथ ही कार्गो सेवा की वजह से समय और पैसों की बचत होगी, इन मुद्दों पर विदेशमंत्रियों की इस वच्युअल बैठक में चर्चा हुई।

maldives-connectivityकोरोना वायरस के संकट के दौर में भी भारत और मालदीव के संबंध मज़बूत रहे, इस ओर भी संबंधित बैठक में ध्यान आकर्षित किया गया। साथ ही कठिन समय में भारत हमेशा ही अपने मित्रदेशों का साथ देगा, यह आश्‍वासन विदेशमंत्री जयशंकर ने दिया। कोरोना वायरस के संकट में मालदीव की अर्थव्यवस्था की गिरावट बड़ी हुई है। मिशन सागर के तहत भारत ने मालदीव को 580 टन ज़रूरी सामान की आपूर्ति की थी। साथ ही आगे भी भारत मालदीव को सहायता प्रदान करेगा, यह आश्‍वासन प्रधानमंत्री मोदी ने दिया।

वर्ष 2018 में सोलिह मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष बने थे। इसके बाद भारत और मालदीव के राजनीतिक संबंध और भी मज़बूत हुए। बीते डेढ़ वर्षों में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्राध्यक्ष सोलिह की सात बार भेंट हुई है, यह जानकारी विदेशमंत्री जयशंकर ने बयान की। साथ ही वर्तमान वर्ष के अन्त तक मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष भारत की यात्रा करेंगे। इस पृष्ठभूमि पर यह वर्च्युअल बैठक और आर्थिक सहयोग काफी अहम साबित होते हैं।

भारत का प्रभाव होनेवाले हिंद महासागर के देशों पर चीन अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। सोलिह मालदीव के राष्ट्राध्यक्ष होने से पहले की सरकार ने चीन के साथ सहयोग बढ़ाया था और भारत के हितों को झटका देने के निर्णय किए थे। लेकिन, बीते दो वर्षों में इस चित्र में बदलाव हुआ है और दोनों देशों के बढ़ते सहयोग अहम साबित हो रहे हैं।

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