चीन से खतरे की संभावना के खिलाफ भारत-ताइवान की रणनीतिक भागीदारी बड़ी आवश्‍यक – भारत में ताइवान के प्रतिनिधि की गुहार

नई दिल्ली – ‘गलवान घाटी, ईस्ट और साऊथ चायना सी क्षेत्र और हाँगकाँग में उकसावे की गतिविधियां करनेवाला कौन था, यह बात बिल्कुल साफ है। इसलिए भारत और ताइवान को तानाशाही प्रवृत्ति से होनेवाले खतरे के मद्देनज़र दोनों देशों को अब रणनीतिक सहयोग को गतिमान करना ही पडेगा। भारत और ताइवान का यह सबयोग सिर्फ इच्छा तक सीमित ना रखकर इसे वास्तव में उतारना बहुत जरुरी हो गया है’, ऐसा बयान ताइवान के प्रतिनिधि बाव्‌शुआन गर ने किया है। भारत और ताइवान को चीन से होनेवाले खतरे का दाखिला देकर ताइवान के प्रतिनिधि ने चीन के खिलाफ भारत के समक्ष पेश किए गए रणनीतिक सहयोग के इस प्रस्ताव को बड़ी सामरिक अहमियत प्राप्त हुई है। साथ ही पिछले कुछ सालों में भारत ने ताइवान संबंधी अपनी भूमिका अधिक सक्रिय की है, यह कहकर इस पर भी ताइवान के प्रतिनिधि ने संतोष व्यक्त किया।

भारत में नियुक्त चीन के राजदूत ने तीन दिन पहले लद्दाख के एलएसी का तनाव खत्म होने का दावा किया था। इसके बाद राजदूत वुईडाँग ने चीन के लिए संवेदशीनल ताइवान और तिब्बत के मुद्दों पर भारत उचित भूमिका अपनाएगा, यह विश्‍वास व्यक्त किया था। इसके ज़रिये ‘एलएसी की समस्या चीन के राजदूत ने ताइवान-तिब्बत से जोड़ने की बात पर भारतीय माध्यमों ने ध्यान आकर्षित किया था। ताइवान के एवं तिब्बत के मुद्दे पर भारत अधिक सक्रिय भूमिका अपनाकर चीन को मुश्‍किल में ना ड़ाले, ऐसी उम्मीद चीन के राजदूत व्यक्त कर रहे हैं और इसी दौरान भारत में ताइवान के प्रतिनिधि बाव्‌शुआन गर ने ‘पीटीआई’ को दिए साक्षात्कार में ताइवान की भूमिका बिल्कुल स्पष्ट तौर पर रखी।

गलवान घाटी में चीन की सेना की घुसपैठ, ईस्ट चायना सी क्षेत्र में जापान की सीमा में घुसपैठ करने की चीन की कोशिश और ईस्ट चायना सी में ताइवान की सीमा का चीन लगातार कर रहा उल्लंघन, इन सबका ताइवान के प्रतिनिधि ने दाखिला दिया। चीन वर्चस्ववादी मानसिकता वाला तानाशाही देश है। भारत और ताइवान को इस तानाशाही देश से खतरा हो सकता है। इस वजह से दोनों देशों का रणनीतिक सहयोग भी अब अनिवार्य हो गया है। भारत इसके लिए कदम उठाए, ऐसी गुहार बाव्‌शुआन गर ने लगायी। साथ ही भारत और ताइवान के सीधे राजनीतिक संबंध स्थापित नहीं हुए हैं, फिर भी पिछले कुछ सालों में ताइवान संबंधित भारत की भूमिका में स्वागतार्ह बदलाव होने की बात गर ने दर्ज की।

साथ ही भारत ने चीन की लोकतंत्र विरोधी साज़िशों पर एवं ग्रे-ज़ोन युद्ध तंत्र को प्रभावी जवाब दिया है, यह कहकर ताइवान के प्रतिनिधि ने इस पर संतोष व्यक्त किया। सीधे संघर्ष किए बिना लगातार घुसपैठ करते किसी देश पर सामरिक दबाव बढ़ाने के ग्रे-ज़ोन युद्धतंत्र पर चीन काम कर रहा है। भारत के एलएसी पर चीन की सेना की हुई घुसपैठ ‘ग्रे-ज़ोन युद्धतंत्र’ का ही हिस्सा था। लेकिन, भारत ने चीन पर ही इस तंत्र को पलटा है, पिछले कुछ सालों में यह स्पष्ट हुआ था। इसका दाखिला ताइवान के प्रतिनिधि यहां दे रहे हैं। इसी दौरान आनेवाले समय में भारत और ताइवान अपने समान खतरों की पृष्ठभूमि पर सायबर, अंतरिक्ष, समुद्री क्षेत्र, ग्रीन एनर्जी, अन्न सुरक्षा, पर्यटन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाएँ, ऐसा आवाहन बाव्‌शुआन गर ने किया।

ताइवान की जनता चीन के खतरे का सामना कर रही है, इसका अहसास दिलाकर भारत जैसे बड़े लोकतांत्रिक देश ने ताइवान से रणनीतिक सहयोग बढ़ाकर चीन को प्रत्युत्तर देना चाहिये, ऐसा बाव्‌नशुआन गर चीन का स्पष्ट ज़िक्र किए बिना कह रहे हैं। उनके इस आवाहन की यह पृष्ठभूमि है।

सेमीकंडक्टर क्षेत्र में अग्रिम ताइवानी कंपनी भारतीय कंपनी के साथ सहयोग करके भारत में ही प्रकल्प स्थापित कर रही है। सेमीकंडक्टर उद्योग का केंद्र चीन को ताइवान ने दिया यह काफी बड़ा झटका माना जा रहा है। साथ ही भारत ने ताइवान के साथ राजनीतिक स्तर के संबंधों की ओर अब तक कदम नहीं बढ़ाया है, फिर भी ताइवान के साथ व्यापार और अन्य स्तरों के सहयोग के लिए पहल की है। इससे चीन बेचैन हुआ है। तीन दिन पहले चीन के राजदूत ने भारत से ताइवान को लेकर जताई अपनी उम्मीद, चीन की बेचैनी सार्वजनिक करनेवाली बात है। भारत की सुरक्षा और हित को सीधे चुनौती देने की भूमिका अपना रहे चीन की परवाह किए बिना भारत वन चायना पॉलिसी यानी ताइवान, तिब्बत, हाँगकाँग, मकाव आदि चीन का हिस्सा होनेवाली नीति को चुनौती दे, यह माँग सामरिक विश्‍लेषक कर रहे हैं।

इसी दिशा में भारत के कदम बढ़े तो इससे चीन कांप उठेगा, ऐसा दावा सामरिक विश्‍लेषक कर रहे हैं। फिलहाल इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की हरकतें अंतरराष्ट्रीय चिंता का मुद्दा बनी हैं। झिंजियांग प्रांत में उइगरवंशी इस्लामधर्मियों पर चीन के अत्याचारों का मुद्दा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े जोरों की चर्चा का बना हुआ है। ताइवान की खाड़ी में चीन लगातार लड़ाकू विमानों की घुसपैठ करवाने की वजह से भी पश्‍चिमी देशों की चिंता बढ़ी है। ऐसी स्थिति में भारत ने ताइवान के साथ सहयोग बढ़ाने का रणनीतिक निर्णय करने की तैयारी करके चीन की असुरक्षितता अधिक बढ़ाई तो आज भारत के हित को खुलेआम चुनौती देनेवाला चीन सुधर सकता है। इसी कारण भारत को यह कदम बढ़ाने की जरुरत है, इस पर सामरिक विश्‍लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

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