वायुसेना में ‘प्रचंड़’ का समावेश

जोधपुर – भारत में बने ‘लाईट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर’ (एलसीएच) ’प्रचंड़’ का वायुसेना के बेड़े में समावेश हुआ है। ऊँची पहाड़ियों के क्षेत्र में उड़ान भरने की क्षमता वाले इस भार में कम लेकिन प्रभावी हमला करने की क्षमता वाले हेलिकॉप्टर की भारतीय वायुसेना को काफी बड़ी ज़रूरत महसूस हो रही थी। साल १९९९ के कारगिल युद्ध के दौरान वायुसेना को इसकी कमी बड़ी बहुत ज्यादा महसूस हुई थी। इसके बाद ऐसे हेलिकॉप्टर के निर्माण की कोशिश शुरू की गई और ‘प्रचंड़’ वायु सेना के बेड़े में दाखिल हुआ है। रक्षा क्षेत्र के निर्माण में देश को प्राप्त हुई यह ऐतिहासिक सफलता होने का दावा रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने किया।

वायुसेना के जोधपुर अड्डे पर ‘प्रचंड़’ का वायुसेना में समावेश करने का समरोह हुआ। रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, रक्षाबलप्रमुख जनरल अनिल चौहान और एअरचीफ मार्शल वी.आर.चौधरी इस अवसर पर मौजूद थे। तकरीबन १५ ‘एलसीएच’ में से १० वायुसेना को प्राप्त होंगे और अन्य पांच भारतीय थल सेना को प्रदान होंगे। तकरीबन ५.८ टन भार उठाकर उड़ान भरने में सक्षम ‘प्रचंड़’ हेलिकॉप्टर १६ हज़ार फीट से अधिक ऊँचाई पर हथियारों के साथ उड़ान भर सकता है। इस वजह से हिमालय के क्षेत्र में इस हेलिकॉप्टर की तैनाती बड़ी आसानी से करके इसका प्रभाव इस्तेमाल किया जा सकता है। खास तौर पर गश्त लगाने में यह हेलिकॉप्टर आनेवाले दिनों में अहम भूमिका निभाएँगे।

पहाड़ी क्षेत्र में शत्रु की सेना के दल हों या शत्रु के टैंक, उनके बंकर्स या ड्रोन्स को ‘प्रचंड़’ आसानी से नष्ट कर पाएगा, यह विश्वास सेना अधिकारियों ने व्यक्त किया है। ‘प्रचंड़’ पर हवा से हवा में हमला करनेवाले मिसाइल्स, रॉकेट सिस्टम और २० एमएम के टुरेट गन तैनात की गई है। इसके अलावा अन्य हथियारों की वजह से यह हेलिकॉप्टर काफी प्रभावी ढ़ंग से हमला कर सकता है। साथ ही शत्रु के हमले का इस पर विशेष असर नहीं होगा, इस ढ़ंग से ‘प्रचंड़’ की रचना की गई है।

हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएल-हल) ने विकसित किए ‘प्रचंड़’ की अमरिकी निर्माण के प्रगत ‘अपाचे’ हेलिकॉप्टर से तुलना हो रही है। कुछ हद तक यह हेलिकॉप्टर अपाचे से भी प्रगत होने की बात स्पष्ट हुई है। आनेवाले समय में इस हेलिकॉप्टर में अधिक सुधार किए जाएँगे और इसे अधिक प्रभावी बनाया जाएगा, यह विश्वास विश्लेषकों ने व्यक्त किया है। इस हेलिकॉप्टक के समावेश से भारतीय वायुसेना की मारक और गश्त क्षमता काफी मात्रा में बढ़ेगी, यह दावे भी किए जा रहे हैं।

प्रचंड़ के समावेश से भारतीय वायुसेना को अधिक बल मिला है और उतनी ही मात्रा में रक्षा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को भी नई ताकत प्राप्त हुई है, यह विश्वास रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने व्यक्त किया। इस दौरान राजनाथ सिंह ने प्रचंड़ हेलिकॉप्टर से उड़ान भरने का अनुभव लिया। इसी बीच वर्तमान में शुरू यूक्रेन युद्ध को भारतीय रक्षाबल एवं निरीक्षक काफी बारिकी से देख रहे हैं। बड़े मज़बूत और तेज़ गतिविधिया करना संभव ना होनेवाले भारी हथियार और रक्षा सामान को लक्ष्य करना शत्रु के लिए आसान होता है। इससे अधिक तेज़ गतिविधियाँ करने की क्षमता वाले छोटे और कम वजन के हथियारों का मौजूदा युद्ध में प्रभावीरूप से इस्तेमाल किया जा सकता है, यही यूक्रेन युद्ध ने सिखाया है। इस पृष्ठभूमि पर दुर्गम क्षेत्र में भी तेज़ गतिविधियां करने की क्षमता वाले प्रचंड़ की अहमियत अधिक बढ़ी है। पहाड़ी क्षेत्र के संघर्ष में प्रचंड़ की वजह से बड़ा लाभ होगा। इसी वजह से भारत की यह सफलता आनेवाले संघर्ष में निर्णायक साबित हो सकती है।

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