’बिमस्टेक’ देश सहयोग बढ़ाने के लिए हुए सहमत

नई दिल्ली – अंतरराष्ट्रीय या क्षेत्रिय स्तर पर खड़ी हो रही चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाने हेतु ‘बिमस्टेक’ के सदस्य देश सहमत हुए हैं। ‘बे ऑफ बेंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टिसेक्टरल टेक्निकल ऐण्ड इकॉनॉमिक को-ऑपरेशन’ (बिमस्टेक) की हाल ही में बैठक हुई। इसी बीच कोरोना वायरस के कारण हुए आर्थिक असरों पर विशेष ध्यान केंद्रीत किया गया। श्रीलंका में आयोजित की गई यह बैठक कोरोना वायरस के फैलाव की वजह से वर्च्युअल स्वरूप में आयोजित की गई। बिमस्टेक की अगली बैठक अलगे वर्ष जनवरी में होगी।

bimstekभारत, बांगलादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, म्यानमार और थायलैण्ड यह सात देश बिमस्टेक के सदस्य हैं। वर्तमान में बिमस्टेक का अध्यक्ष पद श्रीलंका संभाल रहा है। बुधवार के दिन हुई इस बैठक में भारत के विदेश मंत्रालय के सचिव (पूर्व) विजय ठाकुर सिंह मौजूद थे। इस बैठक में सदस्य देशों का सहयोग बढ़ाने पर सहमति हुई। साथ ही कोरोना वायरस की वजह से विश्‍व के सामने आर्थिक संकट खड़ा हुआ हैं। बिमस्टेक के सदस्य देशों को भी इससे नुकसान पहुँच रहा है। इससे संबंधित आर्थिक चुनौतियों पर संबंधित बैठक में ध्यान केंद्रीत किया गया। साथ ही बीते कुछ वर्षों से मंजूरी की प्रतिक्षा में रहा ‘बिमस्टेक’ का ‘चार्टर’ भी इस बैठक में पारित किया गया।

बिमस्टेक के सदस्य देशों की जनसंख्या विश्‍व की तुलना में २२% है तथा अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में इन देशों का हिस्सा २.८ ट्रिलियन डॉलर्स है। इसी वजह से इन सदस्य देशों का आर्थिक सहयोग अहम है। पाकिस्तान की आतंकवादी नीति पर आलोचना करके भारत ने सार्क की बैठक से पीछे हटने के बाद बिमस्टेक की अहमियत बढ़ी है। भारत ने भी बिमस्टेक को अधिक अहमियत देकर इस क्षेत्र में पाकिस्तान को अलथ-थलग कर दिया है। भारत जैसे ‘नेबरहुड फर्स्ट ऐक्ट ईस्ट पोलिसी’ के तहत दक्षिणी एवं आग्नेय एशियाई देशों से सहयोग बढ़ा रहा है उसी तरीके से बिमस्टेक के सदस्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाया हैं।

bimstekइसी बीच लद्दाख में भारत और चीन की सेना एक-दूसरे के सामने खड़ी हुई है और वहां पर युद्ध भड़क सकता है, ऐसी चिंता भी व्यक्त की जा रही है। लेकिन, कोरोना के संकट के लिए ज़िम्मेदार चीन के खिलाफ़ विश्‍वभर में तीव्र क्रोध व्यक्त किया जा रहा है। साथ ही चीन की विस्तारवादी नीति और शिकारी अर्थनीति से बिमस्टेक के सदस्य देशों के लिए भी खतरे की बात मानी जा रही है। ऐसी स्थिति में भारत के इन देशों के साथ संबंध मज़बूत हो रहे हैं और इससे भारत का राजनीतिक प्रभाव अधिक बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

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