प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि होते समय भारत ‘नेशनल डिझास्टर पूल’ बनाएँ – एसबीआय के आर्थिक सलाहकार का आवाहन

नई दिल्ली – ‘अमेरिका और चीन के बाद सर्वाधिक मात्रा में प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़नेवाले देशों में भारत का समावेश है। भूकंप, भूस्खलन, चक्रवात, गीला और सूखा अकाल तथा अन्य आपदाओं का प्रमाण बढ़ रहा है, ऐसे में भारत ने इन आपदाओं का सामना करने के लिए विशेष प्रावधान करने की आवश्यकता है’, ऐसा ‘स्टेट बैंक ऑफ इंडिया’ के आर्थिक सलाहकार ‘सौम्या कांती घोष’ ने कहा है। सन २०२० से अब तक देश में आई बाढ़ में मानवी मृत्यु समेत लगभग ७.५ अरब डॉलर्स का आर्थिक नुकसान किया, इसका उदाहरण देकर, इनमें से केवल ११ प्रतिशत बातों को बीमा सुरक्षा प्रदान थी, इस बात पर घोष ने गौर फरमाया।

‘नेशनल डिझास्टर पूल’दुनिया भर में प्राकृतिक आपदाओं का प्रमाण बढ़ रहा होकर, भारत सर्वाधिक आपदा सहन करनेवाले देशों में तीसरे नंबर पर है। सन १९०० से २००० इस शतक भर की कालावधि में भारत पर ४०२ प्राकृतिक आपदाएँ आ धमकीं थीं। वहीं, सन २००१ से २०२१ इस कालावधी में भारत पर ३५४ प्राकृतिक संकट आये। सन २००१ से देश पर आईं इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण १०० करोड़ लोग प्रभावित हुए। इसमें ८३ हज़ार लोगों की जानें गईं। आज के दौर की दरों के अनुसार इन आपदाओं में हुए नुकसान की रकम अगर निश्चित की, तो वह लगभग १३ लाख करोड़ रुपए इतनी होगी। यह रकम देश के जीडीपी के लगभग ६ प्रतिशत इतनी बड़ी है, ऐसा बताकर सौम्या कांती घोष ने पूरे देश का इस समस्या की ओर ध्यान आकर्षित किया।

सन १९०० से आज तक भारत को प्राकृतिक आपदाओं के कारण १४४ अरब डॉलर्स की हानि सहनी पड़ी। इसमें से अधिकांश हानि बाढ़ों के कारण हुई होकर, यह रकम लगभग ८६.८ अरब डॉलर्स इतनी है। वहीं, चक्रवात के कारण हुई हानि की रकम ४४.७ अरब डॉलर्स इतनी है। दर्ज हुई हानि की अपेक्षा भी, दर्ज ना हुई हानि की संख्या बड़ी हो सकती है, इसका भी एहसास घोष ने करा दिया। हाल के दौर में चक्रवातों की तीव्रता और प्रमाण बढ़ता चला जा रहा है। देश के पश्चिमी ओर के महाराष्ट्र और गुजरात इन राज्यों के किनारे पर टकरानेवाले चक्रवात इसकी गवाही दे रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में, प्राकृतिक आपदाओं के कारण होनेवाली हानि टालने के लिए बीमा सुरक्षा की व्याप्ति बढ़ाना आवश्यक है, यह बताकर सौम्या कांती घोष ने इसका महत्व जताया है।

इसी कारण सरकारी और प्राइवेट क्षेत्र की साझेदारी से ‘नेशनल डिझास्टर पूल’ यानी राष्ट्रीय आपदाओं से होनेवाली हानि को टालने के लिए विशेष निधि का प्रावधान करने की आवश्यकता है। इसका इस्तेमाल करके बीमा सुरक्षा के ज़रिए, जितनी हो सके उतनी मात्रा में आर्थिक नुकसान पूरा करने की कोशिश करनी चाहिए, ऐसा घोष ने जताया है।

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