भारत-रशिया मध्य एशियाई देशों में संयुक्त सैन्य प्रकल्प स्थापित करेंगे

नई दिल्ली – भारत और रशिया संयुक्त कोशिशों से मध्य एशियाई देशों में हथियार और रक्षा सामान के निर्माण प्रकल्प स्थापित करने की तैयारी में हैं। इसके लिए दोनों देशों में चर्चा होने की जानकारी कुछ विदेशी वृत्तसंस्थाओं ने प्रदान की है और भारतीय माध्यमों में भी इससे संबंधित खबरें प्रसिद्ध हुई हैं। रशियन राष्ट्राध्यक्ष की भारत यात्रा और दोनों देशों की पहली ‘टू प्लस टू’ चर्चा में यह मुद्दा शामिल किया गया था। भारत का प्रभाव इससे काफी बढ़ेगा, इसका अहसास होने से चीन के विदेशमंत्री ने मध्य एशियाई देशों की यात्रा का निर्णय करने के दावे किए जा रहे हैं।

संयुक्त सैन्य प्रकल्प६ दिसंबर को रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन भारत आए थे। इसके बाद दोनों देशों के विदेशमंत्री एवं रक्षामंत्रियों के बीच ‘टू प्लस टू’ चर्चा हुई थी। इस दौरान रशिया ने भारत के सामने मध्य एशियाई देशों में हथियार और रक्षा सामान के संयुक्त निर्माण प्रकल्प स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। इसके अनुसार ताजिकिस्तान, कज़ाकस्तान और उज़बेकिस्तान को इसमें शामिल किया जाएगा। किसी समय सोवियत रशिया का हिस्सा रहे इन देशों में आज भी रशियन कंपनियों के हथियार और रक्षा सामान के निर्माण प्रकल्प मौजूद हैं। यह प्रकल्प अधिक विकसित करके भारत और रशिया एवं मध्य एशियाई देशों का सैन्य सहयोग मज़बूत करने का प्रस्ताव रशिया ने भारत के सामने रखा था।

भारत और रशिया का एक-दूसरे पर असाधारण विश्‍वास है और दोनों देश सैन्य सहयोग नई उंचाई पर पहुँचाने के लिए उत्सुक हैं, ऐसा रशिया के रक्षामंत्री सर्जेई शोईगू ने कहा था। उनका यह बयान मध्य एशियाई देशों में भारत और रशिया के इस सहयोग का दाखिला देने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। रशियन राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन का यह भारत दौरा और इसके बाद दोनों देशों की ‘टू प्लस टू’ चर्चा से पहले भारत ने मध्य एशियाई देशों से अफ़गानिस्तान के मुद्दे पर चर्चा की थी। इसमें रशिया के प्रस्ताव पर भी चर्चा का समावेश होने की संभावना है, यह चर्चा हो रही है। इस वजह से मध्य एशियाई देशों पर प्रभाव ड़ालने के लिए उत्सुक चीन की बेचैनी बढ़ी थी।

चीन नैसर्गिक स्रोतों से भरे मध्य एशियाई देशों पर अपना वर्चस्व स्थापित करने की महत्वाकांक्षा रखता है। लेकिन, चीन की इन गतिविधियों की ओर रशिया सावधानी से देख रही है और चीन को जवाबी चुनौति देने के लिए रशिया अब भारत की सहायता प्राप्त कर रही है। इसका अहसास होने से बेचैन हुए चीन ने अपने विदेशमंत्री का मध्य एशियाई देशों का दौरा आयोजित किया था। अगले महीने यह दौरा हो रहा है और चीन इससे अधिक आकर्षक प्रस्ताव मध्य एशियाई देशों के सामने रखेगा, यह दावे किए जा रहे हैं।

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