चीन का सेना पीछे हटाने का प्रस्ताव भारत ने दुबारा ठुकराया

नई दिल्ली – लद्दाख की ‘एलएसी’ पर तैनात चीनी सैनिकों की स्थिति वहां की ठंड़ की वजह से काफी खराब है और ऐसे में चीन ने एक बार फिरसे भारत के सामने सेना को पीछे हटाने से संबंधित प्रस्ताव देने का वृत्त है। लेकिन, चीन को दुबारा विश्‍वासघात करने का अवसर प्राप्त करने नहीं देंगे, यह निर्धार करनवाले भारत ने चीन का यह प्रस्ताव ठुकराया है, ऐसा सूत्रों का कहना है। इस वजह से भारत पर दबाव बढ़ाने के लिए चीन ने अक्साई चीन क्षेत्र में बड़ी मात्रा में लष्करी निर्माण कार्य करना शुरू किया है। इस वजह से ऊपरी ‘एलएसी’ पर शांति स्थापित करने की भाषा चीन बोल रहा हो, फिर भी इस देश ने भारत का विश्‍वासघात करने का विचार अभी छोड़ा नहीं है, यह बात फिरसे उजागर हो रही है।

चीन ने लद्दाख की ‘एलएसी’ पर करीबन ६० हज़ार सैनिक तैनात किए हैं, यह बयान अमरिकी विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने किया था। इसके साथ प्रगत हथियार और रक्षा सामान भी ‘एलएसी’ पर तैनात करके चीन ने भारत को धमकाने की पूरी कोशिश की। लेकिन, भारत ने मुँहतोड़ तैनाती करके चीन की उम्मीदों के परे प्रत्युत्तर दिया। लद्दाख के साथ अरुणाचल प्रदेश तक की ‘एलएसी’ पर भारतीय सेना एवं वायुसेना किसी भी स्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार होने के इशारे भारत से चीन को दिए जा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर चीन अभी भी इस क्षेत्र से भारत पीछे हटे, यह माँग बार बार कर रहा है।

खास तौर पर २९-३० अगस्त के दिन लद्दाख के पैन्गॉन्ग त्सो के दक्षिणी ओर स्थित पहाड़ियों पर भारतीय सैनिकों ने कब्जा करना चीन के लिए चौकानेवाली घटना साबित हुई थी। इस वजह से भारतीय सेना इस क्षेत्र पर वर्चस्व बरकरार रखने की स्थिति में है। कोशिश करने के बावजूद  भारतीय सेना को वहां से पीछे हटने के लिए मज़बूर करने में चीन की सेना नाकाम हुई है। इसी कारण चीन अब इसी क्षेत्र से भारत पीछे हटे, इस माँग पर अड़ा हुआ है। लेकिन, चीन ही इस तरह की माँग करने के बजाय अपनी पूरी सेना की इस क्षेत्र से वापसी करने का विचार करे, यह भारत की भूमिका है। इसके लिए चीन तैयार नहीं है। लेकिन, लद्दाख की ठंड़ चीनी सैनिकों के लिए अब बड़ी मुश्‍किल बनती हुई दिख रही है। इसी कारण अलग अलग तरीकों से इस क्षेत्र में लष्करी मौजूदगी बरकरार रखने के लिए चीन कड़ी कोशिश कर रहा है। इस क्षेत्र से कुछ किलोमीटर दूरी पर स्थित ‘अक्साई चीन’ में चीनी सेना ने बड़ी मात्रा में निर्माण कार्य शुरू किया है। यह भी चीन की रणनीति का हिस्सा साबित होता है।

सीमा विवाद का हल निकालने के लिए दोनों देशों के सेना अधिकारियों की चर्चा के अब तक सात दौर हुए हैं। लेकिन इससे कुछ भी हाथ नहीं लग सका है। भारतीय सीमा में घुसपैठ करने की कोशिश करके और गलवान वैली में कायराना हमला करके चीन ने अपना बड़ा नुकसान करवाया है, यह निष्कर्ष विश्‍वभर के विश्‍लेषक दर्ज़ कर रहे हैं। चीन को भी इसका अहसास है और फिलहाल चीन इस सीमा विवाद मे अपनी प्रतिष्ठा बचाने की कोशिश में जुटा हुआ दिख रहा है। लेकिन, भारत इस बार चीन को यह अवसर देने की स्थिति में नहीं है। भारत में चीन के विरोध में गुस्से की बड़ी लहर है और इसका असर भारत सरकार की नीति पर हुआ है। इसी कारण चीन के विरोध में आक्रामक निर्णय करने का सिलसिला भारत सरकार ने जारी रखा है। इसके साथ ही चीन के विरोध में अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने के लिए भारत ने अधिक सक्रिय भूमिका अपनाई है।

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