ईस्ट एशिया समिट में भारत ने की चीन की आलोचना

नई दिल्ली/हनोई – साउथ चायना सी में जारी हरकतें और हुईं घटनाएँ इस क्षेत्र की विश्‍वासार्हता को तोड़ देनेवाली हैं, इन शब्दों में भारत ने चीन की आलोचना की है। शनिवार के दिन हुई ‘ईस्ट एशिया समिट’ के दौरान भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने, चीन ने ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ का इस्तेमाल करके आग्नेय एशियाई देशों पर अपनी शर्ते स्वीकार करने के लिए दबाव बनाया है, यह आरोप भी रखा। इस दौरान उन्होंने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का ज़िक्र ‘एकात्मिक समुद्री क्षेत्र’ करके, इसमें भारत के हितसंबंध आसियान देशों को केंद्र में रखकर विकसित किए जा रहे हैं, यह बात भी स्पष्ट की। भारत और चीन के बीच प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा को लेकर तनाव बना हुआ है और ऐसे में भारतीय विदेशमंत्री ने आन्तर्राष्ट्रीय व्यासपीठ पर चीन को लक्ष्य करना अहमियत रखता है।

east-asia-summitशनिवार के दिन, आसियान के प्रमुख पद संभाल रहें वियतनाम की अध्यक्षता में १५ वीं ईस्ट एशिया समिट का आयोजन हुआ। इस दौरान आसियान के १० सदस्य देशों के साथ भारत, अमरीका, जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूझीलैण्ड एवं चीन के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इस वर्चुअल बैठक में भारत के विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने चीन का नाम लिए बगैर इस देश को आक्रामक शब्दों से निशाना किया।

साउथ चायना सी में जारी हरकतें एवं हो रही गतिविधियाँ इस क्षेत्र की विश्‍वासार्हता को छेद देनेवालीं हैं। इस क्षेत्र की गतिविधियों का दायरा तय करने के लिए फिलहाल बातचीत जारी है। इसमें शामिल मुद्दें, संयुक्त राष्ट्रसंघ ने तय किए समुद्री क्षेत्र से संबंधित नियमों से मेल रखनेवाले हों। क्षेत्रीय अखंड़ता एवं संप्रभुता का सम्मान रखना होगा। इस क्षेत्र के बाहरी देशों के हितसंबंधों की ओर दूषित नज़रिये से ना देखा जाएँ, इन शब्दों में एस.जयशंकर ने चीन को फटकार लगाई। आसियान देशों से हो रही बातचीत के दौरान चीन ने, भारत और अमरीका के साथ अन्य देशों को साउथ चायना सी के बाहर रखने की जोरदार कोशिश जारी रखी है। इसके लिए चीन छोटे देशों पर दबाव बना रहा है, ऐसी जानकारी भी सामने आयी है। इस पृष्ठभूमि पर भारतीय विदेशमंत्री ने अपनाई सख्त भूमिका अहम साबित होती है।

इस दौरान विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने इंडो-पैसिफिक में भारत के बढ़ते योगदान का भी समर्थन किया। भारत के लिए इंडो-पैसिफिक ‘एकात्मिक समुद्री क्षेत्र’ होने की बात उन्होंने स्पष्ट की। भारत इस क्षेत्र में विकसित कर रहें संबंध, आसियान देशों को केंद्र में रखकर बना रहा हैं, यह भरोसा भी उन्होंने दिलाया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए विश्‍व के अलग अलग देश स्वतंत्र नीति घोषित कर रहे हैं और एस.जयशंकर ने इस बात का स्वागत किया। इन देशों का नज़रिया यदि आन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देनेवाला होगा, तो वह चुनौती साबित नहीं होगा, ऐसा उन्होंने जताया।

गलवान में हुआ संघर्ष और प्रत्यक्ष नियंत्रण रेखा पर जारी हरकतों की पृष्ठभूमि पर, लष्करी एवं आर्थिक स्तर पर भारत चीन को मुँहतोड़ प्रत्युत्तर दे रहा है। साथ ही, अब राजनीतिक स्तर पर भी भारत ने आक्रामक भूमिका अपनाकर चीन को कड़े बोल सुनाना शुरू किया है, यह बात एस. जयशंकर के बयान से स्पष्ट हो रही है।

Leave a Reply

Your email address will not be published.