भारत और चीन के संबंधों में तनाव आया है – विदेशमंत्री एस. जयशंकर

बँकॉक – भारत को आन्तर्राष्ट्रीय नियमों के दायरे में होनेवाला स्वतंत्र, खुला और मुक्त ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र अपेक्षित है। इसके लिए भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के ‘क्वाड’ की स्थापना की गयी है। केवल एक ही स्थान से उसका विरोध हो रहा है, ऐसा कहते हुए विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने चीन पर निशाना साधा। उसी समय, भारत और चीन के संबंधों में तनाव आया है, यह बात भी जयशंकर ने स्पष्ट की। अपने थाइलैंड दौरे में एक युनिवर्सिटी में किये व्याख्यान के दौरान विदेशमंत्री जयशंकर ने देश की भूमिका स्पष्ट रूप से रखकर ठेंठ शब्दों में चीन को लक्ष्य किया।

थाइलैंड की विख्यात युनिवर्सिटी में ‘इंडियाज्‌‍ व्हिजन ऑफ द इंडो-पैसिफिक’ इस विषय पर विदेशमंत्री जयशंकर का व्याख्यान आयोजित किया गया था। ‘इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए और उपलब्ध अवसरों का लाभ उठाने के लिए क्वाड की स्थापना की गयी है। आन्तर्राष्ट्रीय नियमों के दायरे में रहनेवाला मुक्त, खुला, सर्वसमावेशक, शांतिपूर्ण तथा समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र हमें अपेक्षित है। यहाँ पर स्थायी और पारदर्शी बुनियादी सुविधाओं में निवेश भारत चाहता है। इस क्षेत्र में सागरी तथा हवाई परिवहन की आज़ादी हों और बिना किसी रोड़े के व्यापार जारी रहें, ऐसी भारत की माँग है, ऐसा जयशंकर ने कहा।

एकदूसरे की सार्वभौमिकता के प्रति इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के सभी को आदर होना चाहिए। साथ ही, समस्याओं का हल शांतिपूर्ण चर्चा के ज़रिये ढूँढ़ा जायें और सब देशों के साथ समाने तरीके से पेश आना चाहिए, ऐसी उम्मीद भी विदेशमंत्री जयशंकर ने ज़ाहिर की। इसके लिए भारत को इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के केंद्रस्थान में असियान देशों की भूमिका अपेक्षित है। इंडो-पैसिफिक के कारण भारत का असियान देशों के साथ सहयोग अधिक ही बढ़ रहा है, इसका अनुभव असियान के सदस्य होनेवाले भारत के सहयोगी देश कर रहे हैं, इसपर भी विदेशमंत्री जयशंकर ने ग़ौर फ़रमाया।

इस व्याख्यान के बाद विदेशमंत्री को भारत और चीन के संबंधों के बारे में सवाल पूछा गया। इन दिनों भारत-चीन संबंध नाज़ुक स्थिति में होने की स्पष्टोक्ति जयशंकर ने की। भारत के सीमाभाग के पास चीन ने की हरक़तों के कारण दोनों देशों के संबंढों में तनाव पैदा हुआ है। ऐसी परिस्थिति में भारत और चीन का एकसाथ आना मुश्किल है। भारत और चीन का सहयोग अगर स्थापित हुआ, तो यह सदी एशिया महाद्वीप की होगी, ऐसे दावें हालांकि किये जाते हैं, लेकिन फिलहाल तो यह बात मुश्किल दिख रही है, इन शन्दों में भारत के विदेशमंत्री ने वास्तविकता का एहसास करा दिया।

विदेशमंत्री जयशंकर तथा भारत के अन्य नेता भी चीन की खुलेआम आलोचना कर रहे होकर, रक्षाबलों के प्रमुख भी चीन के कारनामें उजागर कर रहे हैं। वहीं, भारत के साथ अपने संबंध उत्तम होने का आभास निर्माण करने की कोशिश चीन कर रहा है। रशिया में होनेवाले अभ्यास में चिनी सेना के साथ भारत का सेनापथक भी सहभागी होनेवाला है, ऐसे दावे चीन द्वारा किये जाते हैं। दोनों देशों के संबंध अच्छे होकर, मतभेद दूर होने के बाद ये संबंध पहले जैसे हो जायेंगे, ऐसा बताकर चीन फिलहाल तो भारत को दुखाना टाल रहा है। उसी समय, भारत की सीमा के पास चल रहीं चीन की उकसाऊ हरक़तें रुकीं नहीं हैं। लेकिन उसका असर भारत के साथ के व्यापारी संबंधों पर ना हों, इसके लिए चीन जानतोड़ कोशिशें कर रहा है।

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