तवांग की सीमा पर जारी तनाव के बीच लद्दाख के ‘एलएसी’ पर भारत और चीनी सेना की हुई चर्चा

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन – अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में चीन की घुसपैठ के कारण तनाव बढ़ने के बीच लद्दाख के ‘एलएसी’ पर तनाव कम करने के लिए भारत और चीन के सेना अधिकारियों की चर्चा हुई। यह तनाव कम करने के लिए दोनों देशों की सेना की हुई चर्चा का यह 17 वां दौर था। लेकिन, इस चर्चा से भी ज्यादा कुछ हासिल नहीं हुआ है। इस चर्चा की खबर आने के साथ ही भारत और अमरिकी रक्षाबलप्रमुखों के चर्चा की खबर सामने आयी हैं। इस चर्चा में भारतीय रक्षाबलप्रमुख जनरल अनिल चौहान और अमरिकी रक्षाबलप्रमुख मार्क मिले ने दोनों देशें के बीच क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर की सुरक्षा को लेकर सहयोग व्यापक करने का निर्धार व्यक्त किया।

कुछ दिन पहले ही उत्तराखंड़ के ‘एलएसी’ के करीब भारत और अमरिकी सेना के संयुक्त युद्धाभ्यास का आयोजन हुआ था। इस पर चीन ने आपत्ति जताकर भारत ने चीन से किए समझौते का उल्लंघन इस युद्धाभ्यास से हुआ है, यह कहा था। इस आपत्ति पर भारत और अमरीका ने भी प्रत्युत्तर दिया था। इस युद्धाभ्यास से किसी भी तरह के समझौते का उल्लंघन नहीं होता, ऐसा भारत ने कहा था। लेकिन, युद्धाभ्यास के बाद चीन की सेना ने तवांग सेक्टर के यांगत्से क्षेत्र में घुसपैठ करने की कोशिश की थी। लेकिन, भारतीय सैनिकों ने समयसूचकता दिखाकर चीनी सैनिकों को शीघ्रता से रोककर उनकी घुसपैठ की कोशिश नाकाम कर दी। इसपर भारत में चर्चा शुरू थी और इसी बीच दोनों देशों की सेना ने लद्दाख के एलएसी पर तनाव कम करने के लिए चर्चा की।

दोनों देशों की चुशूल-मॉल्दो सीमा पर यह चर्चा हुई। लद्दाख के एलएसी पर जारी तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों की हुई चर्चा का यह 17 वां दौर था। लेकिन, 20 दिसंबर को हुई इस चर्चा से ज्यादा कुछ हासिल नहीं हो सका। सीमा विवाद का हल बातचीत से निकालने की बात दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों ने स्वीकारी है, ऐसा भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा। इससे पहले हुई चर्चा के दौर के बाद भी इसी तरह के बयान किए गए थे।

ऐसे में भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ने के बीच भारतीय रक्षाबलप्रमुख जनरल अनिल चौहान और अमरिकी रक्षाबलप्रमुख जनरल मार्क मिले की फोन पर बातचीत होने का वृत्त हैं। यह चर्चा दोनों देशों का रक्षा सहयोग अधिक व्यापक करने की दिशा में बढ़ाया कदम होने का दावा किया जा रहा हैं। खुले और मुक्त इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए भारत की भूमिका बड़ी अहम हैं और भारत इस क्षेत्र की प्रमुख शक्ति हैं, यह दावा जनरल मिले ने इस दौरान किया। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की अस्थिरता, असंतुलन और असुरक्षितता बढ़ने के पीछे चीन की विस्तारवादी हरकतें होने का आरोप अमरीका ने अप्रत्यक्ष तरिके से लगाया था। ऐसी स्थिति में भारत ही इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए योगदान देनेवाला देश होने की बात कहकर अमरीका इस क्षेत्र में भारत के रहे योगदान की सराहना करती दिख रही हैं।

अमरिकी रक्षाबलों द्वारा भारत से सहयोग करने के लिए विशेष पहल की जा रही हैं। अमरीका सामरिक स्तर पर भारत की अहमियत ठिक से पहचाने और भारत से सहयोग बढ़ाने के लिए योजना के तहत कदम बढ़ाएं, ऐसी मांग अमरिकी रक्षाबल के वरिष्ठ अधिकारी लगातार कर रहे हैं।

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