जम्मू और कश्‍मीर समेत लद्दाख में ‘जी-२०’ का आयोजन करके भारत का चीन को झटका

नई दिल्ली – भारत जम्मू और कश्‍मीर में ‘जी-२०’ की बैठक का आयोजन कर रहा है, यह खबर सामने आने के बाद पाकिस्तान के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई थी। इस कोशिश में अगर भारत कामयाब हुआ, तो यह विवादित क्षेत्र होने का पाकिस्तान का दावा खत्म हो जाएगा, यह ड़र पाकिस्तान को सता रहा है। इसी वजह से, जम्मू और कश्‍मीर में ‘जी-२०’ के आयोजन का विरोध करें, ऐसी गुहार पाकिस्तान ने सऊदी, तुर्की और चीन को लगाई थी। लेकिन, चीन ने पाकिस्तान का साथ देकर, जम्मू और कश्‍मीर में जी-२० का आयोजन करने से विरोध किया। इसके बाद भारत ने जम्मू और कश्‍मीर समेत लद्दाख में भी ‘जी-२०’ की बैठक आयोजित करने की तैयारी की है। लद्दाख पर अपना दावा जता रहें चीन को भारत ने दिया यह बड़ा झटका है।

जम्मू और कश्‍मीर के साथ लद्दाख को अब केंद्रीय प्रदेश बनाया गया है। धारा-३७० हटाने के बाद पहली बार इस केंद्रीय प्रदेश में आन्तर्राष्ट्रीय परिषद का आयोजन किया जा रहा है। इसकी तैयारी शुरू हुई है और विदेश मंत्रालय ने लद्दाख के अधिकारियों को इससे संबंधित खत दिया है। ‘जी-२०’ बैठक का आयोजन करने के लिए विशेष अधिकारी नियुक्त करने की सूचना विदेश मंत्रालय ने लद्दाख प्रशासन से की हैं। पाकिस्तान के बाद ‘जी-२०’ का जम्मू और कश्‍मीर में आयोजन करने का विरोध कर रहें चीन को भारत ने दिया यह काफी बड़ा झटका है।

कुछ दिन पहले ही चीन के विदेश मंत्रालय ने यह कहा था कि विवादित क्षेत्र में ‘जी-२०’ परिषद का आयोजन करके ऐसें राजनीति करने के बजाय, आर्थिक पिछाड़ी से बाहर कैसें निकलना है, इसका विचार करना अधिक बेहतर होगा। लेकिन, चीन के विरोध की भारत परवाह नहीं करता यही बात, ‘जी-२०’ परिषद का लद्दाख में आयोजन करके भारत ने दिखाई है। लद्दाख के ‘एलएसी’ पर भारत और चीन के करीबन पचास से साठ हज़ार सैनिक एक-दूसरें के सामने खड़े हैं। लद्दाख भारत का क्षेत्र नहीं हैं, इसपर अपना अधिकार होने के दावे चीन करता रहा है। गलवान की घाटी में भारत और चीन की सेना का संघर्ष होने के बाद लद्दाख के ‘एलएसी’ पर काफी तनाव बना था। यह तनाव अभी खत्म नहीं हुआ है।

चीन इस क्षेत्र से पूरी तरह से पीछे हटने तक भारतीय सेना पीछें नहीं हटेगी। चीन अगर भारत के साथ आर्थिक और राजनीतिक स्तर पर सहयोग की उम्मीद रखता है, तो पहले चीन को ‘एलएसी’ पर सौहर्दता स्थापित करनी ही होगी, ऐसी भारत की माँग है। भारत ने अपनाई इस सख्त नीति के कारण चीन की मुश्‍किलें बढ़ती हुईं दिख रही हैं। भारत के विरोध में आक्रामक सैनिकी कार्रवाई करने का साहस चीन में बचा नहीं, यह संदेश इससे पूरे विश्‍व को प्राप्त हुआ है। ऐसी स्थिति में चीन ने जम्मू और कश्‍मीर में ‘जी-२०’ के आयोजन करने पर आपत्ति जताने के बाद, सीधे लद्दाख में ही ‘जी-२०’ की बैठक का आयोजन करके भारत सीधे चीन को चुनौती देता दिख रहा है। यह भारत की चीन संबंधित नीति में हुए आक्रामक बदलाव का हिस्सा बनता है।

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