चीन के उत्पादों पर भारत बहिष्कार नही कर सकता – चीन के सरकारी दैनिक ने फिर से उकसाया

बीजिंग – चीन सरकार के ‘ग्लोबल टाईम्स’ समाचार पत्र ने भारत को फिर से उकसाया है| चीन के उत्पादों पर बहिष्कार करने की भारत की कोशिश नाकामयाब हुए बिना नही रहेगी| इसी लिए भारत अपने अकार्यक्षम उत्पाद क्षेत्र का विकास करने के लिए चीन की कार्यपद्धती का स्वीकार करें, यह सलाह ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने दी है| साथ ही चीन के पायदान तक पहुंचने के लिए भारत को अभी काफी परिश्रम करने होंगे, यह फटकार भी इस समाचार पत्र ने लगाई है|

‘जैश ए मोहम्मद’ का प्रमुख मौलाना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्रसंघ की सुरक्षा परिषद कार्रवाई कर रही थी, तभी इस कार्रवाई में चीन ने बाधा बनाई थी| इसके बाद भारत में चीन के विरोध में गुस्से की लहर उठी| चीन के उत्पादों पर बहिष्कार करने की मांग जोर पकड ही थी, तभी ‘ग्लोबल टाईम्स’ ने भारतीयों के सामने चीन ने बनाए सामान को विकल्प नही है, यह कहा था| लेकिन, मसूद अजहर पर कार्रवाई करने में बाधा बने चीन ने अजहर को आतंकी करार देने में बनाया अडंगा हटाया था| इस दौरान भारतीयों ने चीन के उकसानेवाले रवैये की ओर नजरअंदाजी की थी| लेकिन, अब फिर एक बार चीन के इस सरकारी पत्र ने भारत पर टिपणी की है|

चीन के उत्पादों पर बहिष्कार करने की भारत की कोशिश नाकामयाब ही होगी, यह कहकर भारत का उत्पाद क्षेत्र अभी विकसित नही हुआ है यह टिपणी भी ग्लोबल टाईम्स ने लगाई है| उत्पाद क्षेत्र में चीन के साथ बराबरी करने के लिए भारत को काफी परिश्रम उठाने होंगे, यह कहकर इसके लिए भारत को चीन की ९९६, इस कार्यपद्धती का स्वीकार करना होगा, यह दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया है| चीन में सुबह ९ बजे से रात ९ बजे तक काम करने की संस्कृति बनाई गई है और हफ्तें में छह दिन इस तरह काम करने के कडे नियम पर चीन में अमल होता है|

इस ९९६ पद्धती का स्वीकार किया तो ही भारत के उत्पाद क्षेत्र को आगे लाना मुमकिन होगा, ऐसा ग्लोबल टाईम्स का कहना है| चीन से बडे गर्व के साथ इस कार्य संस्कृति का पुरस्कार किया जा रहा है, फिर भी वास्तव में इस देश में कामगारों की स्थिति काफी खराब होने के आरोप दुनिया भर में हो रहे है|

चीन का उत्पाद क्षेत्र बडी मात्रा में विकसित हुआ है और दुनिया की फैक्टरी यह लौकिक भी चीन ने प्राप्त किया है| लेकिन, चीन में कामगारों के बुनियादी अधिकार ठुकराए जा रहे है, इस असलियत की ओर दुनियाभर के विशेषज्ञों ने समय समय पर ध्यान आकर्षित किया था|

ऐसा होते हुए भी चीन अपनी कार्य संस्कृति से भारत सबक सिखे, यह संदेशा देकर उकसाने की कोशिश कर रहा है| साथ ही उत्पाद क्षेत्र में भारत अभी भी काफी पीछे है, यह एहसास दिलाकर चीन के सरकारी माध्यम भारत का मजाक उडाने की कोशिश कर रहे है| लेकिन, असलियत में चीन भारत को प्रबल प्रतिस्पर्धी देश के तौर पर देख रहा है?और भारत चीन को पीछे धकलने की क्षमता रखता है, इसका पूरा एहसास चीन रखता है|

कुछ दिन पहले ही चीन में कार्यरत करीबन २०० अमरिकी कंपनियां भारत जाने की तैयारी में होने के समाचार प्राप्त हुए थे| अमरिका और चीन में हो रहे व्यापार युद्ध की वजह से चीन की स्थिति काफी खराब हुई है?और चीन के अर्थव्यवस्था की कामगिरी भी निराशा करती है, यह स्पष्ट हुआ है| ऐसी स्थिति में अमरिका का नेतृत्व चीन में मौजूद अमरिकी कंपनीयों को बाहर निकलने की सलाह दे रहा है| अपने कारखाने अमरिका या अन्य मित्रदेशों ले जाए, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने स्पष्ट किया था| इसका भी असर दिखने लगा है और जल्द ही चीन में मौजूद मरिकी कंपनीयां भारत की दिशा में आगे बढने के संकेत प्राप्त हो रहे है|

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