‘डोकलाम’ चीनी सैनिकों को की गतिविधियाँ बढ़ गई

नई दिल्ली: ७० दिनों के तनाव के बाद भारत और चीन ने ‘डोकलाम’ से सेना पीछे हटाकर इस विवाद को सुलझाया था। इस बात को कुछ हफ्ते भी पूरे नहीं हुए है, तभी चुम्बी घाटी मे फिर से चीनी सैनिकों की गतिविधियाँ बढने की खबर आई है। भारत, भूटान और चीन की सीमारेखा भिड़े इस क्षेत्र मे चीन ने तीन जगहों पर अपने सैनिकों मे बढ़ोत्तरी करने की खबर है। इस पृष्ठभूमि पर भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर भूटान दौरेपर है और भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन अरुणाचल प्रदेश मे स्थित चीन के पास के सीमा इलाके का दौरा करने वाली है। साथ ही चीन के पास की सीमा पर भारतीय सैनिकों को हाय अलर्ट पर रखा गया है।

 चीनी सैनिकों की गतिविधियाँ

३ सितम्बर को चीन मे ब्रिक्स परिषद् शुरू होने से चार दिन पहले चीन ने डोकलाम विवाद खत्म होने की घोषणा की थी। चीन मे आयोजित की जाने वाली ब्रिक्स परिषद् सफल हो, इस लिए चीन ने यह समझौता किया था, ऐसा कहा जा रहा है। डोकलाम समस्या मे भारत सफल हुआ था और चीन को चुपचाप भारत की बात माननी पड़ी थी, ऐसी दुनिया भर से प्रतिक्रिया आई थी। भूटान का पक्ष लेकर भारत चीन से टक्कर लेगा, यह चीन ने नहीं सोचा था। इसी वजह से चीन ने डोकलाम विवाद को बढ़ावा देकर खुदको ही परेशानी मे डाला है, ऐसा दुनिया के बहुत से देश और विश्लेषक कह रहे थे। उसी दौरान चीन डोकलाम मे हुए अपमान का बदला लिए बिना चुप नहीं बैठेगा, ऐसा विश्लेषक कह रहे थे।

चुम्बी घाटी मे बढ़ गई चीनी सैनिकों की गतिविधियाँ इसी बात की पुष्टि करती है। जिस इलाके मे भारत और चीन की सेना आमने सामने खड़ी थी, वहां से कुछ मीटर की दूरी पर चीन ने १५०० से १७०० सैनिक तैनात किए है। भूतान के साथ विवाद वाले अन्य सीमाक्षेत्र के बदले मे डोकलाम चीन को सौंपा जाए, ऐसा प्रस्ताव चीन भूतान को देने की तैयारी मे है। लेकिन भारत की सुरक्षा के दृष्टिकोण से डोकलाम जैसे अति ऊंचाई पर स्थित क्षेत्र का कब्जा चीन के पास जाना भारत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। इस पृष्ठभूमि पर भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर भूतान के दौरे पर गए है।

एस. जयशंकर ने भूतान के राजा जिग्मे खेसर नामग्येल वांगचुक के साथ भूतान के विदेश मंत्री दामचो दोरजी के साथ चर्चा करने की खबर है। एस. जयशंकर भूतान दौरे पर थे, तभी अमरीका के भारत मे स्थित मौसमी राजदूत मैरिके एल. कार्लसन भी भूतान के दौरे पर है। भूटान मे एस जयशंकर और अमरीकी राजदूत की स्वतंत्र मुलाकात होने की खबर है।

दौरान, भारत और चीन की सेना के बीच होने वाली वार्षिक सीमा बैठक रद्द होने के संकेत मिले है। चीन की ओर से इस साल भारत को निमंत्रण नहीं आया है, ऐसा कहा जा रहा है। इसे भी डोकलाम विवाद की पृष्ठभूमि है। चीन की इस लष्करी गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही मे उत्तराखंड मे स्थित चीन को लगकर सीमा क्षेत्र का दौरा किया था। इस समय केन्द्रीय गृहमंत्री ने यहाँ की सीमा चौकियों का मुआइना किया था। साथ ही भारत-चीन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) के वरिष्ठ अधिकारीयों की भेट ली थी।

भारत की रक्षा मंत्री निर्मला सीतारामन अरुणाचल प्रदेश स्थित चीन सीमा के पास वाले इलाके का दौरा करने वाली है। सेना प्रमुख बिपिन रावत भी रक्षा मंत्री सीतारामन के साथ रहेंगे। अरुणाचल प्रदेश पर चीन बार बार दावा बता रहा है। साथ ही इस इलाके मे चीनी सैनिकों की घुसपैठ की घटनाएँ बढ़ गई है। चीन डोकलाम जैसी परिस्थिति अन्य सीमा इलाकों मे भी निर्माण कर सकता है, ऐसा इशारा जानकारों की ओर से दिया जा रहा है। डोकलाम मे फिर से चीनी सैनिकों की गतिविधियाँ बढ़ गई है, ऐसे मे रक्षा मंत्री का यह दौरा महत्वपूर्ण साबित होता है।

अरुणाचल प्रदेश पर दावा करने वाले चीन की तरफ से रक्षा मंत्री सीतारामन के दौरे पर तीव्र प्रतिक्रिया आने की सम्भावना है। इसके पहले २०१५ मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीजी के अरुणाचल प्रदेश के दौरे पर चीन ने आक्षेप लिया था।

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