भारत द्वारा अहम क्षेत्रों में ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ नियमों में सुधार घोषित

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नयी दिल्ली, दि. २० (पीटीआय) – रक्षा, हवाई क्षेत्र, दवानिर्माण क्षेत्र, खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र इनके साथ साथ, अन्य अहम क्षेत्रों में भी ‘प्रत्यक्ष विदेशी निवेश’ (फ़ॉरेन ड़ायरेक्ट इन्व्हेस्ट्मेंट – एफ़ड़ीआय) की मर्यादा को बढ़ाने का निर्णय केंद्र सरकार ने घोषित किया है। ‘अब भारतीय अर्थव्यवस्था विदेशी निवेशकारों के लिए खुली हो चुकी है’ यह बताकर, ‘इससे देश के रोज़गारनिर्माण को बढ़ावा मिलेगा’ ऐसा विश्वास प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने व्यक्त किया है। रक्षा क्षेत्र में ‘एफ़ड़ीआय’ की ४९ प्रतिशत की मर्यादा को बढ़ाकर १०० प्रतिशत तक ले जाने के कारण, देश को अत्याधुनिक रक्षाविषयक तंत्रज्ञान उपलब्ध हो जायेगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।

सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में उच्चस्तरीय बैठक का आयोजन किया गया था। इस बैठक में ‘एफ़ड़ीआय’ की मर्यादा को बढ़ाने का बहुत ही महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया। इससे पहले, पिछले वर्ष के नवम्बर महीने में केंद्र सरकार द्वारा ‘एफ़ड़ीआय’ की मर्यादा को शिथिल करनेवाले कुछ अहम निर्णय लिये गये थे। सोमवार को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में रक्षा, हवाई क्षेत्र, सिंगल ब्रँड़ रिटेल इन क्षेत्रों में ‘एफ़ड़ीआय’ के नियम शिथिल कर दिये गए हैं।

नीति की दृष्टि से यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण निर्णय होकर, इससे भारत में आनेवाले विदेशी निवेश में भारी मात्रा में वृद्धि होगी। मग़र रक्षाक्षेत्र में ‘एफ़ड़ीआय’ करने के लिए सरकार की अनुमति अनिवार्य रखी गयी है। इस महत्त्वपूर्ण कदम से देश को रक्षाक्षेत्र से जुड़ा हुआ अतिप्रगत तंत्रज्ञान आसानी से उपलब्ध होगा। इसका बहुत बड़ा सकारात्मक परिणाम देश की सुरक्षा पर एवं रक्षासामग्री के निर्माण पर होगा।

तेज़ी से विकसित हो रहे देश के हवाई क्षेत्र में तथा दवानिर्माण क्षेत्र में भी ‘एफ़ड़ीआय’ की मर्यादा १०० प्रतिशत तक बढ़ायी होने के कारण, इन क्षेत्रों की स्थितिगति बदल सकती है, ऐसा दावा किया जा रहा है।

खाद्य प्रसंस्करण (फ़ूड़ प्रोसेसिंग) उद्योग और उसके अंतर्गत आनेवाले ई-कॉमर्स क्षेत्र में ‘एफ़ड़ीआय’ की मर्यादा भी १०० प्रतिशत तक बढ़ा दी गयी होकर, इसके भी बहुत बड़े दूरगामी परिणाम दिखायी देंगे।

दवानिर्माण क्षेत्र में ‘एफ़ड़ीआय’ की मर्यादा को ७४ प्रतिशत तक ले जाया गया है। इस ‘एफ़ड़ीआय’ की प्रक्रिया को आसान बना दिया होकर, उसका बहुत बड़ा फ़ायदा इस क्षेत्र को मिल सकता है।

इस कारण भारतीय अर्थव्यवस्था आंतर्राष्ट्रीय निवेशकारों के लिए सर्वाधिक खुली अर्थव्यवस्था बन गयी है, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने सोशल मीडिया में घोषित किया। उसी समय, इस निर्णय के कारण देश में रोज़गारनिर्माण को बड़े पैमाने पर बढ़ावा मिलेगा, ऐसा विश्वास भी प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया।

सन २०१५-१६ इस आर्थिक वर्ष में भारत में हुआ ‘एफ़ड़ीआय’ ५५ अरब डॉलर्स तक गया था। एक आर्थिक वर्ष में हुए ‘एफ़ड़ीआय’ का यह उच्चांक साबित हुआ है।

यह सफलता, सरकार द्वारा हाथ में लिये गए आर्थिक सुधारों के कार्यक्रम के कारण मिली है, ऐसा माना जा रहा है। इस कारण, आंतर्राष्ट्रीय वित्तसंस्थाओं ने ‘निवेश के लिए सर्वाधिक आकर्षक स्थान’ के रूप में भारत को मान्यता दी थी। उसी समय, भारत अपने आर्थिक सुधारों का कार्यक्रम अधिक गतिमान करें और विदेशी निवेश की मर्यादा को बढ़ायें, ऐसी उम्मीद आंतर्राष्ट्रीय निवेशकारों द्वारा ज़ाहीर की जा रही थी।

इस संदर्भ में साहसी निर्णय करके, अहम क्षेत्रों में ‘एफ़ड़ीआय’ की मर्यादा बढ़ा दी जाने के कारण, आनेवाले समय में भारत में बड़े पैमाने पर निवेश हो सकता है। चीन की अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन निराशाजनक रहते हुए, साथ ही दुनियाभर की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के सामनें कड़ी चुनौतियाँ खड़ी रहते हुए, भारतीय अर्थव्यवस्था ने सबसे अच्छा प्रदर्शन करके निवेशकारों का ध्यान आकर्षित किया था।

ऐसा होने के बावजूद, आंतर्राष्ट्रीय निवेशकारों को भारत सरकार से रहनेवालीं उम्मीदें बहुत बड़ीं  होकर, उन्हें पूरा करने के बाद ही भारत में होनेवाला विदेशी निवेश भारी मात्रा में बढ़ सकता है, ऐसा आंतर्राष्ट्रीय विश्लेषकों द्वारा कहा जा रहा था। आंतर्राष्ट्रीय वित्तसंस्थाएँ भी, भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन की प्रशंसा करते समय, भारत अर्थिक सुधारों की गति को बढ़ायें, ऐसा मशवरा भी दे रही थीं।

इस पार्श्वभूमि पर सरकार ने किये इस फ़ैसले को आंतर्राष्ट्रीय निवेशकार अधिक सकारात्मक प्रतिसाद दें, ऐसी उम्मीद है। फिलहाल भारत सर्वाधिक प्रमाण में विदेशी निवेश आकर्षित करनेवाला देश साबित हुआ है। आनेवाले समय में भारत इस मोरचे पर और भी आगे जायेगा, यह सरकार द्वारा ‘एफ़ड़ीआय’ के मामले में लिये गये साहसी एवं आक्रामक निर्णय के कारण दिखायी देने लगा है।

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प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (‘एफ़ड़ीआय’) की मर्यादा
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क्षेत्र                प्रतिशत
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रक्षा                १०० प्रतिशत
हवाई क्षेत्र            १०० प्रतिशत
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग    १०० प्रतिशत
(ई-कॉमर्स)
प्रसारण क्षेत्र            १०० प्रतिशत
निजी सुरक्षा संस्था        ७४ प्रतिशत
दवानिर्माण क्षेत्र        ७४ प्रतिशत
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