‘एमटीसीआर’ में भारत का प्रवेश

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नयी दिल्ली, दि. २७ (पीटीआय) – भारत को ‘मिसाईल टेक्नॉलॉजी कंट्रोल रेजिम’ (एमटीसीआर) इस प्रभावशाली गुट में प्रवेश मिल गया है । ‘एमटीसीआर’ में मिले इस प्रवेश से, अत्याधुनिक रक्षाविषयक तंत्रज्ञान एवं क्षेपणास्त्र हासिल करना भारत के लिए मुमक़िन होनेवाला है । भारत के ‘एमटीसीआर’ में प्रवेश के कारण परमाणुअस्त्र प्रसारबंदी का कार्य और भी प्रभावी रूप में आगे ले जाना संभव होगा, ऐसा विश्वास भारत ने व्यक्त किया है ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीका दौरे पर रहते, अमरीका ने ‘एमटीसीआर’ में भारत के प्रवेश के लिए समर्थन दिया था । उसके बाद इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी होकर, सोमवार को भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने इस संदर्भ में समझौते पर हस्ताक्षर किये । इस समय फ्रान्स, नेदरलँड्स तथा लक्झेंबर्ग इन देशों के राजदूत उपस्थित थे । इस प्रवेश के साथ भारत ‘एमटीसीआर’ का ३५ वाँ सदस्यदेश बन गया है । अमरीका, फ्रान्स के साथ दुनियाभर के प्रमुख देश ‘एमटीसीआर’ के सदस्य हैं । लेकिन चीन को अभी तक ‘एमटीसीआर’ में प्रवेश नहीं मिला है ।

चीन ने ‘एनएसजी’ में भारत का प्रवेश रोक दिया था । उसके पीछे, भारत को ‘एमटीसीआर’ में मिल रहा प्रवेश ज़िम्मेदार था, क्योंकि ‘एमटीसीआर’ में प्रवेश मिलने के बाद भारत का प्रभाव अधिक प्रमाण में बढ़ चुका होने के कारण, चीन की परेशानियाँ काफ़ी बढ़ गयी थीं । उपरोक्त गुट में प्रवेश होने के बाद भारत की रक्षासिद्धता में बड़े पैमाने पर वृद्धि होगी ।

अमरीका एवं अन्य देशों से अत्याधुनिक क्षेपणास्त्र तथा उसके साथ जुड़ा हुआ अतिप्रगत तंत्रज्ञान भारत को मिल सकता है । उसी समय, भारत अपने मित्रदेशों को इन प्रगत क्षेपणास्त्रों की आपूर्ति कर सकता है । इससे भारत का प्रभाव निश्चित ही बढ़ेगा ।

इस कारण चीन तथा पाक़िस्तान ये देश बेचैन हो उठे होकर, इसी कारण ‘एनएसजी’ में भारत के साथ पाक़िस्तान का भी समावेश किया जाये, ऐसा आग्रह चीन द्वारा किया जा रहा था । पाक़िस्तान भी, भारत को ‘एमटीसीआर’ में मिले प्रवेश को लेकर गंभीर चिंता ज़ाहिर कर रहा होकर, यह बात पाक़िस्तान की सुरक्षा के लिए ख़तरा बन सकती है, ऐसा दावा कर रहा है । ‘एमटीसीआर’ में भारत को मिला प्रवेश, यह भारत के राजनीतिक प्रयासों को मिली क़ामयाबी है, यह कहते हुए पाक़िस्तान के विश्लेषक, अपनी सरकार निकम्मी होने की कड़ी आलोचना कर रहे हैं ।

‘एमटीसीआर’ तथा ‘एनएसजी’ के लिए अमरीका का समर्थन प्राप्त कर भारत ने बहुत बड़ी राजनीतिक बढ़त ली होने के कारण, हमारा देश बहुत पीछे रह गया होने की चिंता भी पाक़िस्तानी विश्लेषक व्यक्त कर रहे हैं । इसी कारण, पाक़िस्तान ने अमरीका में ‘लॉबिंग’ करने के लिए नयी एजन्सी नियुक्त करने की तैयारी की होने की ख़बर प्रकाशित हुई है ।

भारत को अमरीका में मिल रही क़ामयाबी के पीछे, भारत के प्रयासों के साथ साथ पाक़िस्तान सरकार की नाक़ामयाबी का भी बहुत बड़ा हिस्सा होने की आलोचना पाक़िस्तानी लष्कर से संबंधित विश्लेषकों द्वारा की जाती है । उसी समय पाक़िस्तान के भूतपूर्व राजनीतिक अधिकारी भारत के पक्ष में खड़े रहे होकर, उससे पाक़िस्तान को बहुत बड़ा नुकसान हुआ होने का आरोप भी इन विश्लेषकों ने किया है ।

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