इस्रो ने किया एकसाथ २० उपग्रहों का प्रक्षेपण

अमरीका, रशिया की श्रेणि में अब भारत का समावेश

कार्टोसॅट-२ का प्रक्षेपण
अमरीका के १३ उपग्रहों के साथ साथ कॅनड़ा, जर्मनी, इंडोनेशिया के उपग्रह भी प्रक्षेपित किये

इस्रो

श्रीहरिकोटा, दि. २२ (पीटीआय) – बुधवार को भारत के अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ‘इस्रो’ ने ‘कार्टोसॅट-२’ इस दूरसंचार उपग्रह के साथ ही, एकसाथ २० उपग्रहों का अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक प्रक्षेपण करके नया इतिहास रचा। इससे पहले केवल अमरीका के ‘नासा’ ने तथा रशिया के अंतरिक्ष संस्थान ने २० या उससे अधिक उपग्रहों को एकसाथ अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने का मुश्किल प्रदर्शन कर दिखाया था। भारत द्वारा अंतरिक्ष में छोड़े गए उपग्रहों में अमरीका, जर्मनी, इंडोनेशिया तथा कॅनड़ा इन देशों के उपग्रहों का समावेश है।

‘इस्रो’ का यह प्रदर्शन भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के लिए महत्त्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है। राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ही कई मान्यवरों ने इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के लिए इस्रो को बधाई दी है।

दो महीने पहले, भारत ने ‘इरनास’ उपग्रहमालिका का छठा और आख़िरी उपग्रह प्रक्षेपित कर अमरीका की ‘जीपीएस’ यंत्रणा की तरह अपनी खुद की ‘नाविक’ यंत्रणा तैयार करने में क़ामयाबी हासिल की थी। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद बुधवार को इस्रो ने पूरे २० उपग्रहों का एक ही साथ प्रक्षेपण करके क़ामयाबी की नयी बुलंदी को छू लिया। ‘पीएसएलव्ही-सी३४’ इस उपग्रह-प्रक्षेपण यान की सहायता से, श्रीहरिकोटास्थित ‘सतीश धवन स्पेस सेंटर’ के प्रक्षेपणअड्डे से यह प्रक्षेपण किया गया। सुबह ९.२६ को ‘पीएसएलव्ही’ ने इन सारे उपग्रहों को लेकर अंतरिक्ष की ओर उड़ान भरी और अगले २६ मिनटों में सारे उपग्रह अंतरिक्ष में सुस्थिर हो गये। कुल १२२८ किलो वज़न के ये उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़ने का यह प्रदर्शन ‘इस्रो’ ने बहुत ही कम समय में और मामूली ख़र्चे में कर दिखाया।बुधवार को अंतरिक्ष में छोड़े गये उपग्रहों में भारत के ‘कार्टोसॅट-२’ इस दूरसंचार उपग्रह का समावेश था। ७२५.५ किलो वज़न का ‘कार्टोसॅट-२’ यह उपग्रह भू-सर्वेक्षण अंतरिक्ष उपग्रह होकर, इसपर बिठाये गए ‘पँक्रोमॅटिक कॅमरा’ के ज़रिये खींची जानेवाली तस्वीरें पृथ्वीस्थित नियंत्रण कक्ष भेजी जायेंगी। ये तस्वीरें बहु-उपयोगी होंगी। इसका उपयोग नागरी नियोजन तथा बुनियादी सुविधाओं के विकास के लिए एवं भू-सर्वेक्षण के लिए भी किया जा सकता है। महत्त्वपूर्ण भौगोलिक जानकारी के लिए कार्टोसॅट-२ उपयोगी साबित होनेवाला है।

पुणे के कॉलेज ऑफ़ इंजिनियरिंग के छात्रों ने तैयार किया हुआ ‘स्वयम्’ और चेन्नई के सत्यभामा विश्वविद्यालय के छात्रों ने तैयार किया हुआ ‘सत्यभामासॅट’ ये अध्ययन उपग्रह भी बुधवार को ‘इस्रो’ ने अंतरिक्ष मे प्रक्षेपित किए। अंतरिक्ष के अन्य उपग्रहों द्वारा भेजे गये संदेशों को एकत्रित कर रखना और उनका डिकोड़िंग करके उन्हें पृथ्वी पर भेजने का काम स्वयम् द्वारा किया जानेवाला है।

इसके अलावा ‘इस्रो’ द्वारा प्रक्षेपित किये गए १३ अमरिकी उपग्रहों में १२ उपग्रह ये ‘अर्थ इमेजिंग डव उपग्रह’ हैं। वहीं, एक उपग्रह ‘गुगल’ की ‘टेराबेला’ कंपनी का है। ‘गुगल’ अब ‘इस्रो’ की सेवा का ग्राहक बन चुका होने के कारण भारत व्यावसायिक उपग्रह प्रक्षेपण क्षेत्र में बड़ी उड़ान भरने में सिद्ध हुआ है। इसके अतिरिक्त, ‘इस्रो’ ने कॅनड़ा के दो, जर्मनी और इंडोनेशिया का एक-एक, ऐसे उपग्रह भी अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए।

इससे पहले, सन २००८ में भारत ने एक ही साथ दस उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित करने का करतब दिखाया था। उसके बाद अब एक ही समय २० उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित कर इस्रो ने नयी ऊँचाई को छू लिया है। रशिया ने दो साल पहले एक ही साथ ३३ उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किये थे; वहीं, उससे पहले ‘नासा’ ने २९ उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किये थे। इस्रो के बुधवार के प्रक्षेपण के बाद भारत अमरीका एवं रशिया की श्रेणि में जा बैठा है।

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