चीन को रोकने के लिए भारत और जर्मनी को रशिया की जरुरत है – जर्मनी के नौदल प्रमुख के-अचिम शॉनबाच

नवी दिल्ली – चीन के खिलाफ भारत और जर्मनी को रशिया की जरुरत है। रशिया में लोकतंत्र नहीं है फिर भी भारत और जर्मनी के लिए रशिया का बहुत बडा महत्व है। रशिया के नैसर्गिक स्त्रोतों पर चीन का अवलंबन है। इसलिए रशिया को चीन से दूर रखने के लिए भारत और जर्मनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं, ऐसे स्पष्ट शब्दों में जर्मनी के नौदल प्रमुख के-अचिम शॉनबाच ने अपने देश की भूमिका रखी। तो इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बारे में जर्मनी की नई सरकार ने स्वीकारी हुई भूमिका का भारन ने स्वागत किया है।

के-अचिम शॉनबाच

जर्मनी के नौदलप्रमुख शॉनबाच भारत की यात्रा पर आए हुए है। जर्मनई में जई सरकार सत्ता में आई है। भूतपूर्व सरकार की तुलना में जर्मनी की इस नई सरकार की भूमिका अलग होने की बात नौदल प्रमुख शॉनबाच द्वारा भारत यात्रा के दौरान स्पष्ट हुई। अब जर्मनी ने चीन के खिलाफ स्पष्ट भूमिका अपनाई है। तो रशिया के बारे में अपनी भूमिका भी जर्मनी ठोसरूप से रख रही है। नई दिल्ली में ‘इन्स्टीट्यूट फॉर डिफेन्स स्टडीज् ऐंड एनालिसिस-आयडीएसए’ इस अध्ययन मंडल के साथ बोलते हुए जर्मन नौदल प्रमुख ने अपनी सरकार की धारणा ठोस शब्दों में बयान की।

जर्मन नौदल की विनाशिका भारत यात्रा पर है और भारतीय नौदल के साथ सहकार्य बढाने के लिए अपना देश उत्सुक होने की बात जर्मनी के अधिकारी कर रहे है। तो जर्मन नौदल प्रमुख की इस भारत यात्रा में उन्होंने परराष्ट्र सचिव हर्षवर्धन श्रिंगला से भेंट की थी। जर्मनी की नई सरकार ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के बारे में अधिक सक्रिय भूमिका अपनाई है, इसका परराष्ट्र सचिव श्रिंगला ने स्वागत किया। तो ’आयडीएसए’ के अपने व्यख्यान में जर्मनी के नौदल प्रमुख ने अपने देश की भूमिका एवं धारण बहुत ही स्पष्ट शब्दों में बयान किया।

अफ्रिका खंड के देशों को चीन अपने कर्ज के फंदे में फंसा रहा है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की गतिविधियां चिंताजनक साबित हो रही हैं, ऐसा जर्मनी के नौदल प्रमुख ने कहा। अपने देश में एक राजकीय नेता के विधान का उल्लेख भी जर्मनी के नौदल प्रमुख ने किया। फिलहाल चीन जो कुछ कर रहा है, उसे देखते हुए यह देश उतना अच्छा नहीं है, यह बात अब स्पष्ट होने लगी है, ऐसा जर्मनी के नेता ने कहा था। नौदल प्रमुख शॉनबाच ने उन्ही के विधान का उल्लेख करके चीन के धोखे को रेखांकित किया।

चीन का बल कम करना हो तो रशिया को चीन से अलग करना पडेगा। इसलिए भारत एवं जर्मनी के लिए रशिया महत्वपूर्ण देश है। रशिया के नैसर्गिक स्त्रोतों पर चीन बडे पैमाने पर निर्भर है, इस बात को ध्यान में रखते हुए भारत और जर्मनी को रशिया के साथ सहकार्य बढाने के लिए कदम उठाने चाहिएं ऐसा नौदल प्रमुख शॉनबाच ने कहा है। रशिया एवं जर्मनी में ’नॉर्ड स्ट्रीम टू’ ईंधन करार संपन्न हो चुका है और जल्द ही यह प्रकल्प साध्य होगा, ऐसे दावे किए जा रहे हैं। मात्र अमेरिका ने इसका तीव्र विरोध किया है और कुछ युरोपिय देश भी इसके खिलाफ हैं।

ऐसी स्थिति में जर्मनी चीन को रोकने के लिए रशिया के साथ सहकार्य निहायत जरुरी होने की बात ध्यान में ला रहा है। भारत ने भी यह बात विभिन्न तरीकों से अमेरिका को समझाने की कोशिश की थी, ऐसा विश्लेषकों का कहना है। इसलिए भारत एवं जर्मनी की इस संदर्भ में एकसमान भूमिका होने की बात सामने आ रही है। नौदल प्रमुख शॉनबाच ने सटीक शब्दों में यह बात रखकर अमेरिका समेत युरोप स्थित रशिया विरोधि देशों को इसका अहसास कराया है।

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