हायब्रीड युद्ध की वजह से अंदरुनि और बाहरी सुरक्षा की दूरी कम हुई – रक्षामंत्री राजनाथ सिंह

गांधीनगर – अंदरुनि और बाहरी इस तरह से सुरक्षा को देखा जाता हैं। लेकिन, पिछले दो दशकों में देश की अंदरुनि और सीमा की सुरक्षा की दूरी कम हुई हैं। हायब्रीड युद्ध ने यह बदलाव लाया है। इस युद्धतकनीक के अनुसार स्वयंसेवी संस्था(एनजीओ), न्याय व्यवस्था, जनतंत्र का गलत इस्तेमाल करके किसी देश की सुरक्षा को खतरे में धकेला जा सकता हैं। साथ ही सोशल मीडिया का दुष्प्रचार के अभियान को चलाने के लिए भी गलत इस्तेमाल मुमकिन हैं, ऐसी चेतावनी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दी।

हायब्रीड युद्धगुजरात के गांधीनगर में राष्ट्रीय रक्षा विद्यालय के समारोह में बोलते समय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने यह इशारा दिया। तकनीक भारी मात्रा में विकसित हुई हैं और इससे देश की सुरक्षा पर भी असर हो रहा हैं। हायब्रीड युद्ध तकनीक इस्तेमाल करके देश की सुरक्षा को चुनौती देने के लिए विभिन्न विकल्पों का इस्तेमाल किया जाता हैं। इस वजह से पिछले दो दशकों के दौरान अंदरुनि और बाहरी सुरक्षा की दूरी काफी कम हुई हैं, यह दावा रक्षामंत्री ने किया।

सोशल मीडिया की आज़ादी बुरी बात नहीं। लेकिन, इस आज़ादी का गलत लाभ उठाकर देश के विरोध में दुष्प्रचार करने का अभियान चलाया जा सकता हैं। इसके अलवा अभिव्यक्ती की आज़ादी के नाम से घातक मुद्दों का प्रचार भी सोशल मीडिया के ज़रिये किया जा सकता हैं, ऐसा इशारा राजनाथ सिंह ने दिया। ‘एनजीओ’ को प्राप्त आज़ादी काइस्तेमाल देश की सुरक्षा को चुनौती देने के लिए हो सकता हैं। न्याय व्यवस्था का गलत इस्तेमाल करके देश के विकास में रोड़े अटकाने की भी कोशिश मुमकिन हो सकती हैं। देश की जनतांत्रिक व्यवस्था का ही इस्तेमाल करके राजनीत दलों में घुसपैठ करके घातक ताकतें देश की एकता और सुरक्षा पर हमलें कर सकती हैं, यह इशारा भी रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दिया।

यह किसी की कल्पना से उतरी बात नहीं हैं। बल्कि, सामरिक विश्‍लेषक और कुछ देशों की रक्षा संबंधित नीति में इन मुद्दों का पुरी जानकारी के साथ ज़िक्र किया गया हैं, इसका अहसासभी रक्षामंत्री ने इस दौरान कराया। साथ ही आतंकवाद का खतरा सीर्फ हिंसा तक सीमित नहीं। बल्कि, सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके समाज में विद्वेष और दरार बनाने के लिए ‘फेक न्यूज’ और भड़काऊ मुद्दे फैलाने के पीछे भी आतंकी ताकतें काम कर रही हैं, ऐसा रक्षामंत्री ने कहा।

कुछ सेमीनार्स में काफी गंभीर चर्चा हो रही हैं, यह दिखावा निर्माण किया जाता है। लेकिन, वास्तव में इन ठिकानों पर झुठ और गुमराह करनेवाली जानकारी प्रदान करके समाज में दरार बढ़ाने की और इसको ज़रिया बनाकर हिंसा करने का काम भी हो सकता हैं। समाज विघातक यह ताकतें इतनीं प्रगत बनीं है कि, पुलिस दलों की यंत्रणाओं को चकमा दे सकती हैं। इसी वजह से देश की सुरक्षा के सामने खड़ी चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें अधिक चौकन्ना रहना होगा। जिस मात्रा में नई तकनीक विकसित हो रही हैं, उसी मात्रा में देश की सुरक्षा के लिए बने खतरें भी बढ़ते हैं, इसका अहसास हमें रखना चाहिये, ऐसा स्पष्ट बयान राजनाथ सिंह ने किया हैं।

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