अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन की छवि नकारात्मक और मलिन ही है – ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ की रिपोर्ट का निष्कर्ष

china-image-2वॉशिंग्टन/बीजिंग – ‘प्रेमल और विनम्र देश’ ऐसी चीन की छवि तैयार करें, ऐसा संदेश चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने पिछले ही महीने कम्युनिस्ट पार्टी के नेता और अधिकारियों को दिया होने की बात सामने आई थी। जिनपिंग का यह संदेश हालाँकि नेता और अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है, फिर भी दुनिया के अन्य देशों ने उसे कुछ खास महत्व नहीं दिया है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चीन की छवि अभी भी नकारात्मक और मलिन ही होने की बात ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ की रिपोर्ट से सामने आई है। कम्युनिस्ट पार्टी के १०० साल पूरे होने के उपलक्ष्य में चीन की हुकूमत अपनी ही पीठ थपथपा रही है, ऐसे में सामने आई यह रिपोर्ट गौरतलब साबित होती है।

अमरीका, युरोप तथा एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के १७ प्रमुख देशों में किए हुए सर्वे से चीन की नकारात्मक छवि स्पष्ट रूप में सामने आई है। अमरीका और कनाडा समेत युरोप के ९ देश और एशिया-पैसिफिक के ६ देशों में यह सर्वे किया गया। जापान के लगभग ८८ प्रतिशत नागरिकों ने चीन के बारे में नकारात्मक मत ज़ाहिर किए होकर, युरोप के स्वीडन के ८० प्रतिशत नागरिकों ने चीन पर तीव्र नाराज़गी व्यक्त की है।

china-image-1चीन के प्रति नाराज़गी दर्शाते समय ही, राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की नेतृत्व के बारे में भी अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय कुछ खास आशावादी नहीं है, यह स्पष्ट हुआ। सिंगापुर को छोड़कर अन्य १६ देशों के नागरिकों ने, जिनपिंग का नेतृत्व पसंद नहीं यह स्पष्ट किया है। जापान में सिर्फ १० प्रतिशत और स्वीडन में १२ प्रतिशत नागरिकों ने जिनपिंग का नेतृत्व उचित होने की बात कही है। चीन की हुकूमत अपनी जनता को अभिव्यक्ति स्वतंत्रता तथा अन्य मानवाधिकार नहीं दे रही है, यह मत लगभग ८० प्रतिशत नागरिकों ने व्यक्त किया है। ब्रिटेन, इटली, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया इन देशों में इस मुद्दे पर सर्वाधिक नाराज़गी होने की बात सामने आई है।

जिनपिंग का नेतृत्व और मानवाधिकारों के मुद्दे पर चीन के बारे में नाराजगी बढ़ रही है, ऐसे में अमरीका के प्रति सकारात्मक मत दर्ज करने वालों की संख्या बढ़ रही होने का निष्कर्ष ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ ने दर्ज किया है। दक्षिण कोरिया, जापान और इटली जैसे देशों के ७० प्रतिशत से अधिक नागरिकों ने, अमरीका के साथ होनेवाले संबंध और राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के बारे में सकारात्मक भूमिका दर्शाई है।

पिछले कुछ सालों से राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग और कम्युनिस्ट हुकूमत, प्रसारमाध्यमों समेत विभिन्न मार्गों का अवलंब करके, चीन जागतिक महासत्ता होने की छवि खड़ी करने की कोशिश कर रहे हैं। चीन की इस मुहिम का विरोध करने वालों पर, ‘पूर्वग्रहदूषित भूमिका अपनानेवाले’, ‘शीतयुद्धकालीन मानसिकता रखनेवाले’ और ‘अमरीका के गुलाम’ ऐसी मुहरें लगाईं जा रहीं हैं। लेकिन कोरोना की महामारी, हॉंगकॉंग, उइगरवंशियों पर अत्याचार और साऊथ चाइना सी जैसे मुद्दों पर अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय में तीव्र नाराज़गी की भावना होकर, ‘प्यू रिसर्च सेंटर’ की रिपोर्ट से उसकी पुष्टि हो रही है।

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