सौदी के क्राऊन प्रिन्स करेंगे भारत की यात्रा

नई दिल्ली – सौदी अरब के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान अगले महीने भारत की यात्रा करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विशेष न्यौता स्वीकार करके क्राऊन प्रिन्स भारत आ रहे हैं, ऐसा बताया जा रहा है। इससे पहले सौदी के ऊर्जामंत्री अगले हफ्ते भारत पहुँचेंगे। इस दौरान भारतीय रुपया और सौदी की मुद्रा रियाल का प्रत्यक्ष कारोबार में इस्तेमाल करने पर चर्चा होगी। सौदी से भारी मात्रा में ईंधन खरीद कर रहें भारत का सौदी के साथ रुपया-रियाल व्यापार शुरू हुआ तो भारतीय अर्थव्यवस्था की स्थिति-गति बदल सकती हैं। इस वजह से सौदी के ऊर्जामंत्री और इसके बाद क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान की भारत यात्रा को बड़ी रणनीतिक अहमियत प्राप्त हुई हैं।

क्राऊन प्रिन्सपिछले महीने भारत के व्यापारमंत्री पियूष गोयल ने सौदी का दौरा किया था। इस दौरान उन्होंने दोनों देशों के व्यापार, भारतीय दवाइयों को सौदी में मंजूरी के साथ ही रुपया-रियाल व्यापार के मुद्दे पर अहम चर्चा की थी। साथ ही भारत के ‘यूपीआई’ और ‘रूपे कार्ड’ का इस्तेमाल सौदी में शुरू करने पर भी व्यापारमंत्री पियूष गोयल की सौदी से चर्चा होने की खबरें प्राप्त हुई थी। भारत और सौदी अरब के आर्थिक सहयोग को काफी बड़ी पृष्ठभूमि हैं। अमरिकी डॉलर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा हैं और सौदी एवं अधिकांश ईंधन उत्पादक देश डॉलर्स का ही कारोबार में इस्तेमाल करते हैं। लेकिन, अमरीका के संबंधों मे तनाव शुरू होने के बाद सौदी अरब ने व्यापार में चीन के युआन का इस्तेमाल करने की दिशा मे कदम बढ़ाए थे। यह सौदी ने अमरीका को दी हुई चेतावनी हैं, ऐसा विश्‍लेषकों का कहना था।

चीन के युआन के साथ ही सौदी भारतीय रुपया स्वीकार करके अपने कारोबार से डॉलर हटा रहा हैं। इससे भारत को काफी बड़ा लाभ प्राप्त होगा। इस वजह से भारत को ईंधन खरीद ने के लिए अपने विदेशी मुद्रा भंड़ार से अरबों डॉलर्स खर्च करने की आवश्‍यकता नहीं रहेगी। सौदी के बाद भारत को ईंधन प्रदान कर रहें अन्य देश भी कारोबार में रुपया का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपये की विश्‍वासार्हता और प्रभाव प्रचंड़ बढ़ेगा। अमरीका ने अपने डॉलर का मुल्य बढ़ाने के लिए उठाए आक्रामक कदमों के मद्देनज़र भारत और सौदी के इस कारोबार पर सभी विश्‍व की नज़रें लगी हैं। भारत और रशिया ने रुपया-रुबल से अपना कारोबार बढ़ाने के लिए पहल करने के बाद सौदी अरब भी अब रशिया की तरह अपने ईंधन के कारोबार में भारतीय रुपया स्वीकार करेगा, ऐसी संभावना सामने आ रही हैं।

सौदी का प्रभाव होनेवाले ‘ओपेक प्लस’ देशों ने ईंधन उत्पादन २० लाख बैरल्स कम करने का ऐलान करके अमरीका की चिंता बढ़ाई हैं। ऐसा करने के बजाय सौदी अरब ईंधन उत्पादन बढ़ाकर, ईंधन की कीमतें नियंत्रित रखने के लिए सहयोग करें, यह अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष ने रखी माँग सौदी ने ठुकराई हैं। इससे अमरीका और सौदी के रिश्तों में तनाव निर्माण हुआ हैं और इसके परिणाम सामने आ सकते हैं, ऐसी धमकी अमरीका ने सौदी को दी है। ऐसी स्थिति में सौदी अरब भारत जैसें स्वतंत्र विदेश नीति रखने वाले देश के साथ जारी सहयोग अधिक से अधिक व्यापक कर रहा हैं। इसपर भारत भी प्रतिसाद दे रहा हैं।

कुछ हफ्ते पहले भारत और सौदी अरब के बीच सबमरीन केबल यानी गहरे समुद्र में केबल लगाकर ऊर्जा सहयोग स्थापित करने के मुद्दे पर चर्चा हुई थी। यह केबल १,६०० किलोमीटर लंबी होगी और यह प्रकल्प अरबों डॉलर्स लागत का होगा, ऐसी खबरें भी प्रसिद्ध हुई थी। क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान एवं सौदी के ऊर्जामंत्री अब्दुलअझिज बिन सलमान की भारत यात्रा के दौरान इस प्रकल्प को लेकर भी चर्चा होने की उम्मीद है।

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