अमरीका के ज्येष्ठ कुटनीतिक हेन्री किसिंजर ने भारतीय विदेश नीति को सराहा

वॉशिंग्टन – अमरीका के पूर्व विदेश मंत्री और ज्येष्ठ कुटनीतिक हेन्री किसिंजर ने भारतीय विदेश नीति को ‘संतुलित’ करार देकर भारत को सराहा है। इसके साथ ही पहले की महाशक्तिया कमज़ोर हो रही हैं और ऐसे में विश्व में नई सत्ता उभर रही हैं, ऐसा सूचक बयान भी किसिंजर ने किया है। साथ ही भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर हमारी तरह विचार रखने वाले मौजूदा समय के एक ही नेता होने का दावा भी किसिंजर ने एक साक्षात्कार के दौरान किया। 

हेन्री किसिंजरप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीका दौरे से पहले किसिंजर ने यह बयान करना ध्यान आकर्षित कर रहा है। शीत युद्ध के समय में भारत को शत्रु के तौर पर देखने वाले किसिंजर ने भारतीय विदेश नीति की सराहना करना अहमियत रखता है, ऐसा दावा माध्यम कर रहे हैं। यूक्रेन पर हमला करने वाली रशिया का भारत ने अभी तक स्पष्ट निषेध नहीं किया है, इसपर भी किसिंजर ने गौर किया। अमरीका और अन्य पश्चिमी देशों ने भारत पर रशिया संबंधित नीति में बदलाव करने के लिए दबाव बनाया था। इसके बावजूद भारत ने अपनी विदेश नीति का संतुलन बिगड़ने नहीं दिया था। इसका संज्ञान उम्र के सौ वर्ष पूरे करने वाले किसिंजर ने लिया दिख रहा है।

भारतीय विदेश नीति का संतुलन हमें प्रभावित करता है, यह कहकर किसिंजर ने इसके लिए भारत को सराहा। मौजूदा दौर में पहले की महाशक्तियां कमज़ोर हो रही हैं और नई शक्तियां उभर रही हैं। इस वजह से महाशक्तियों का संघर्ष होने की कड़ी संभावना बनी है। ऐसे समय में भारतीय विदेश नीति का संतुलन बड़ी अहमियत रखता है। इसी वजह से हमें भारत की संतुलित विदेश नीति के प्रति आदर भावना है, ऐसा किसिंजर ने कहा।

इसी बीच, किसिंजर का यह बयान अब विश्व के सामने आया होगा, लेकिन उनका यह साक्षात्कार पिछले महीने प्रसिद्ध हुआ था। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमरीका दौरे के अवसर पर विदेश मंत्री जयशंकर ने उसी अखबार को साक्षात्कार देने की वजह से किसिंजर के दावे एक महीने बाद फिर से सामने आए हैं। भारत कुछ भी होने के बावजूद अपनी विदेश नीति का संतुलन बनाए रखेगा, यह संदेश किसिंजर बायडेन प्रशासन को मई महीने के इस साक्षात्कार के ज़रिये देते होंगे, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं। उन्होंने भारत की सराहना करने के पीछे यही संदेश होने की संभावना ज्यादा है। इस वजह से बायडेन प्रशासन भारत को लेकर अधिक सावधानी दिखाए, ऐसी सूचना किसिंजर अपने इस संदेश से दे रहे है।

लेकिन, विदेश मंत्री जयशंकर ने देश हित के लिए आवश्यक राजनीतिक भूमिका अपनाना गैर नहीं होता, ऐसा अपने साक्षात्कार में स्पष्ट किया। भारत की नीति भारत के हित की ही होगी, दूसरों के लिए भारत अपनी नीति में बदलाव नहीं करेगा, ऐसी चेतावनी ही जयशंकर इस साक्षात्कार को ज़रिया बनाकर दे रहे हैं। लेकिन, भारत और अमरीका के लंबे समय से बने हितसंबंध एक-दूसरे के विरोध में नहीं जाएंगे, ऐसी गवाही दोनों देशों के जनतांत्रिक नेता, राजनीतिक अधिकारी और सामरिक विश्लेषक भी दे रहे हैं। अमरीका को भी इसका अहसास हुआ है और भारत जैसे जनतंत्र का आग्रह करने वाले देश को इसके आगे अनदेखा नहीं कर सकते, ऐसा अमरिकी जनप्रतिनिधि कह रहे हैं। इस वजह से भारत के उदय को खतरे के तौर पर देखने की शीतयुद्ध के दौर की मानसिकता से अमरीका को बाहर निकलना होगा, यह स्पष्ट हो रहा है। भारत के सहयोग से अमरीका को खतरा नहीं, उस्टा यह सहयोग अमरीका के लिए सहायक ही साबित होगा, ऐसा अनुमान ज़िम्मेदार विश्लेषकों ने भी व्यक्त किया है। चीन जैसे देश से अमरीका के हितसंबंधों के लिए होने वाले खतरे पर गौर करें तो भारत अमरीका का अधिक भरोसेमंद देश बनता है, यह अब बायडेन प्रशासन की स्वीकार रहा है।

इस वजह से किसिंजर ने भारतीय विदेश नीति की सराहना करना बायडेन प्रशासन को आगाह करने की कोशिश होगी, फिर भी इसका अमरीका की नीति पर विशेष परिणाम होने की संभावना फिलहाल तो नज़र नहीं आती।

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