हरीश चंद्रा (१९२३-१९८३)

समय, कर्म और गति इनका हिसाब-किताब सभी के लिए अनिवार्य है। अनेकों के लिए क्लिष्ट, सिरदर्द लगनेवाला गणित का यह विषय।

मातंग मुननि, बौद्धायन, कात्यायन, पाणिनि, आर्यभट, याज्ञवल्क्य, भास्कराचार्य, ब्रह्मगुप्त, वराहमिहिर, रामानुजन, ए. कृष्णास्वामी अय्यर, सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर, सत्येन्द्रनाथ बोस, श्रीराम अभ्यंकर, जयंत नारलीकर ……. इस तरह यह प्राचीन अथवा वैदिक काल से चली आ रही गणितज्ञों की परंपरा के प्रति गौर करें तो पता चलता है कि इस विषय में भी सृजनशीलता के साथ-साथ नव-नवीन कार्य चल रहे हैं। इस परंपरा के एक भारतीय गणितशास्त्री हैं, हरीश चंद्रा।

११ अक्तूबर १९२३ में कानपुर में जन्मे हरीश चंद्रा मेहरोत्रा। प्राथमिक से लेकर उपाधि तक की उनकी शिक्षा कानपुर में ही संपन्न हुई। १९४३ में अलाहाबाद महाविद्यालय से उन्होंने स्नातकोत्तर शिक्षा पूर्ण की। अगले दो वर्ष बंगलुरु में रहकर उन्होंने इसके आगे की पढ़ाई पूरी की। १९४५ में इन्होंने केंब्रिज़ महाविद्यालय में प्रवेश किया। वोल्फगँग पाल नामक प्राध्यापक की सिखाने की पद्धति से वे इतना अधिक प्रभावित हुए कि गणित विषय के प्रति होने वाली रुचि का रूपांतरण संशोधन में होने लगा। प्रा. पॉल डीरॅक उनके संशोधन एवं डॉक्टरेट की पढ़ाई के गाईड़ बन गए। इससे उनका कार्य क्षेत्र अधिक खिल उठा। १९४७ में उन्होंने अमरीका के लिए प्रयाण किया।

१९५० से १९६३ के दौरान हरिश चंद्रा का कार्यक्षेत्र कोलंबिया महाविद्यालय रहा। हरमन वाईल एवं क्लाऊड चेव्हाली नामक गणितज्ञों के कार्य से वे काफी़ प्रभावित हुए और इसी स्थान पर उन्होंने अपने संशोधन के महत्त्वपूर्ण कार्य किए।

सेमी सिंम्पल लाय ग्रुप (Semi Simple Lie Groups) ये वस्तुत: गणित, भूमिति तथा टोपोलॉजी इनके प्रमुख शाखाओं से संबंधित हैं। इस लाय ग्रुप से संबंधित होने वाले ऍप्लीकेशनस्‌ हैं, जो भौतिकशास्त्र, यंत्रशास्त्र, गतिशास्त्र इन विषयों से भी संबंधित होते हैं। सेमी सिंम्पल लाय ग्रुप पर भी उन्होंने संशोधन किया| आर्मंड बोरेल के साथ ही ‘ऍरिथमॅटिक ग्रुप थिअरी’ के कार्य हेतु भी हरीश चंद्रा जाने जाते हैं। ‘रिप्रेझेंटेशन थिअरी’ के मूलभूत संशोधन का कार्य तो उन्होंने किया ही था, साथ ही ‘सेमी सिंम्पल लाय ग्रुप’ के ‘हार्मोनिक ऍनलेलीस’ इस विभाग में भी उन्होंने मूलभूत कार्य किया है। (representation theory , Semi Simple Lie Groups, Harmonic analysis)

१९६८ से १९८३ इन वर्षों में प्रिन्सटन के ‘इन्स्टिट्युट फॉर ऍडवान्स स्टडीज’ गणित विषय से संबंधित एक संशोधन संस्था में एक सम्माननीय प्राध्यापक के रूप में हरीश चंद्रा कार्यरत थे। अमरीका के ‘नेशनल ऍकॅडमी ऑफ सायन्स’ के साथ साथ रॉयल सोसायटी’ के वे माननीय सदस्य थे। अमरीकी मॅथॅमॅटिकल सोसायटी की ओर से उन्हें १९५४ में ‘कोल पुरस्कार’ (cole prize) प्रदान किया गया। १९७४ में ‘इंडियन नॅशनल सायन्स ऍकॅडमी’ की ओर से हरीश चंद्रा को ‘श्रीनिवास रामानुजन पुरस्कार’ से गौरवान्वित किया गया।

प्रिन्स्टन (अमरीका) में उनके सह-संशोधक आर्मंड बोरेल के जन्मदिन पर आयोजित किए गए गणित संबंधित परिषद में हरीश चंद्रा का अचानक दिल का दौरा पड जाने से निधन हो गया। १९८४ में इसी प्रकार की परिषद का आयोजन हरीश चंद्रा के जन्मदिन के निमित्त से किया गया था, परन्तु १९८४ की यह गणित परिषद हरिश चंद्रा के स्मरणार्थ हुआ। कानपुर के महाविद्यालय में हरीश चंद्रा का जन्मदिन हर वर्ष हजारों विद्यार्थी, प्राध्यापक, संशोधक आदि एक साथ मिलकर गणित विषय पर महत्त्वपूर्ण व्याख्यान एवं अन्य कार्यक्रमों के साथ मनाते हैं।

अलाहाबाद के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि एवं कार्यरत रहने वाली संस्था को भारत सरकार ने ‘हरीश चंद्रा रिसर्च इन्स्टिट्युट’ नाम प्रदान कर इस गणितशास्त्री का गौरव किया। मॅथॅमॅटिक्स एवं थिओरॅटिकल फिजिक्स इस विषय पर भी संशोधन इस संस्था में किया जाता है । (HIR)

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