भूतपूर्व विदेश मंत्री केरी की ईरानी नेताओं के साथ भेंट पर ट्रम्प की आलोचना

वॉशिंग्टन: कुछ दिनों पहले ही ईरान समर्थक आतंकवादियों ने इराक में स्थित अमरिका के दूतावास के पास रॉकेट हमले किए थे। ऐसे अमरिका के साथ दुश्मनी रखने वाले नेताओं के साथ भूतपूर्व विदेश मंत्री केरी की भेंट अवैध है और अमरिका के इतिहास में इस तरह का उदाहरण कभी नहीं मिलेगा’, ऐसी कडी आलोचना अमरिका के विदेश मंत्री मीक पौम्पिओ ने की है। ईरान के विदेशमंत्री जावेद झरिफ के साथ केरी की मुलाकात अमरिका की ईरान की नीतियों के लिए घातक है, ऐसा आरोप अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प ने लगाया है।

भूतपूर्व विदेश मंत्री, केरी, ईरानी नेताओं, भेंट, ट्रम्प, आलोचना, अमरिका, मीक पौम्पिओअमरिका के भूतपूर्व विदेशमंत्री केरी की ‘एव्हरी डे इज एक्स्ट्रा’ यह नई किताब जल्द ही प्रकाशित होने जा रही है। इस अवसर पर अमरिका के एक रेडियो चैनल को दिए साक्षात्कार में केरी ने जावेद झरिफ के साथ अभी भी मुलाकात होती है, इस बात को स्पष्ट किया है। पिछले वर्ष जनवरी महीने में केरी का कार्यकाल ख़त्म हो गया था। लेकिन उसके बाद भी केरी ने अमरिका के नियमों का उल्लंघन करके झरिफ से पाँच बार मुलाकात की है। इस बात को कबूल करके केरी ने ट्रम्प की ईरान विषयक भूमिका की आलोचना की है। साथ ही ट्रम्प ईरान की राजवट को गिराने की तैयारी में होने का दावा भी किया है।

मई महीने में केरी ने यूरोप में झरिफ के साथ मुलाकात करने की खबर प्रसिद्ध हुई थी। लेकिन पहली बार केरी ने कबूल करने के बाद ट्रम्प और पौम्पिओ ने जोरदार आलोचना की है। अमरिका विरोधी ईरान के साथ केरी की मुलाकत अवैध होने की आलोचना ट्रम्प ने की है। साथ ही केरी अमरिका की लोकनियुक्त सरकार को चुनौती देने वाली योजना बना रहे हैं, ऐसा आरोप भी ट्रम्प ने किया है।

केरी-झरिफ मुलाकात से क्रोधित हुए पौम्पिओ ने केरी की कठोर आलोचना की है। ‘अमरिका की सुरक्षा को चुनौती देने वाले देश के वरिष्ठ नेता के साथ केरी ने की चर्चा अलग संकेत देती है। इसके आगे केरी ईरान के नेताओं के साथ इस तरह मुलाकात न करें। परमाणु अनुबंध में योगदान देना है तो वह उसके लिए विधिवत अनुमति लें’, ऐसी चेतावनी पौम्पिओ ने दी है।

दौरान, केरी की तरह ओबामा प्रशासन के भूतपूर्व अधिकारी भी ईरान की राजवट के संपर्क में होने का दावा किया जा रहा है। ओबामा प्रशासन ने ईरान के बारे में बहुत ही नर्म नीति अपनाई थी, यह आलोचना उस समय की जा रही थी। इस नीति की वजह से इस्राइल, सऊदी अरेबिया और खाड़ी के अन्य मित्र देश अमरिका के खिलाफ जाने के आरोप शुरू हुए थे।

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