चीन की हुवेई और ज़ेडटीई कंपनियों पर पाबंदी लगाने के जर्मनी के संकेत

 हुवेई और ज़ेडटीईबर्लिन/बीजिंग – जर्मनी के ‘५ जी’ क्षेत्र में आगे से चीन की प्रमुख कंपनियां काम नहीं कर पाएंगीं। जर्मनी की शीर्ष वेबसाइट ‘ज़ाईट ऑनलाईन’ ने इससे संबंधित खबर जारी की है। इसके अनुसार जर्मन सरकार ‘५ जी’ क्षेत्र में सक्रिय ‘हुवेई’ और ‘ज़ेडटीई’ जैसी चीनी कंपनियों पर रोक लगा रही है। जर्मनी के गृह विभाग के अलावा सायबर सुरक्षा यंत्रणा ने इसेस संबंधित सर्वेक्षण शुरू किया है और अब तक ‘५ जी’ क्षेत्र में लगाए गए चीनी उपकरण एवं अन्य पुर्जे हटाए जाएंगे। पिछले दो सालों से जर्मनी और चीन के बीच कोरोना महामारी के साथ झिंजियांग, ताइवान एवं रशिया-यूक्रेन युद्ध के मुद्दों पर तनाव बढ़ता जा रहा है। चीनी कंपनियों पर रोक लगाने का निर्णय इस तनाव को अधिक बढ़ाने का कारण बनेगा, ऐसा लग रहा है।

जर्मनी यूरोप में चीन का सबसे बड़ा व्यापारी भागीदार देश है और जर्मन व्यापार में भी चीन का हिस्सा प्रमुख है। जर्मनी का आठ प्रतिशत निर्यात और १२ प्रतिशत आयात चीन पर निर्भर है। साथ ही जर्मनी की प्रमुख कंपनियों के उत्पादनों का १० प्रतिशत से अदिक बाज़ार चीन में है। लेकिन, पिछले साल से जर्मनी समेत यूरोप के अन्य देशों के साथ चीन में बर्ताव और मौजूद नियमों को लेकर नाराज़गी जताना शुरू हुआ था। पिछले साल अक्तुबर में ‘यूरोपियन एक्स्टर्नल एक्शन सर्विस’ नामक जाने जा रहे महासंघ के विदेश विभाग ने चीन संबंधित नई रपट पेश की थी। इसमें चीन ही प्रमुख प्रतिद्वंद्वी होने का विचार रखकर यूरोपिय महासंघ इस देश के साथ सहयोग सीमित करें, ऐसी आक्रामक सिफारीश की गई थी। 

इसी पृष्ठभूमि पर जर्मनी ने चीन और चीनी कंपनियों पर से निर्भरता घटाने के लिए तेज़ कदम उठाना शुरू किया है। कुछ महीने पहले जर्मनी चीन के साथ व्यापार की नीति में बदलाव करके नई नीति अपनाएगा, ऐसी घोषणा जर्मनी के व्यापार मंत्री रॉबर्ट हैबेक ने की थी। इस पर चीन का तीव्र बयान सामने आया था। जर्मनी पूर्वग्रह दूषित नज़रिया अपना रहा है साथ ही शीत युद्ध की मानसिकता रखता है, ऐसा आरोप चीनी नेता, अधिकारी और माध्यमों ने लगाए थे। लेकिन, इसे अनदेखा करके जर्मनी ने अपनी भूमिका पर कायम रहने का निर्णय करने की बात नई जानकारी से सामने आ रही है। 

‘जर्मन सरकार के प्राप्त संकेत आनेवाले दिनों में चीन से संबंधित खतरे राष्ट्रीय सुरक्षा के नज़रिये से देखे जाएंगे, यही मुद्दा रेखांकित करते रहे हैं। लेकिन, जर्मनी का ‘५ जी’ नेटवर्क भारी मात्रा में चीनी कंपनियों पर निर्भर है। इसकी वजह से चीन का प्रभाव दूर करने में कई वर्ष लग सकते हैं’, ऐसा दावा ‘ऱ्होडियम ग्रूप’ नामक अध्ययन मंडल के प्रमुख नोह बार्किन ने किया। यदि, जर्मन सरकार ने वास्तव में सभी ‘एक्सेस नेटवर्क’ से चीनी कंपनियों के पूर्जे हटाने का निर्णय लिया तो वह एक काफी बड़ा कम होगा, ऐसा जर्मनी विश्लेषक थॉर्स्टन बेन्नर ने कहा है।

जर्मनी ने साल २०२१ में ‘आयटी सिक्युरिटी लॉ’ पारित किया था। लेकिन, चीनी कंपनियों पर सीधे आरोप लगाकर उन्हें हटाना टाल दिया था। पर, इस बार जर्मने के गृह विभाग और सायबर सुरक्षा यंत्रणा ने देश के ‘५ जी नेटवर्क’ में चीनी कंपनियों के समावेश से संबंधित सर्वेक्षण शुरू किया था। इसी के आधार पर शायद यह पाबंदी लगाने का ऐलान होगा, ऐसे संकेत जर्मन वेबसाइट ने दिए हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.