इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में जर्मनी की सैन्य गतिविधियाँ कड़वी यादें ताज़ा करती हैं – चीन के विदेश मंत्रालय की टीपणी

बीजिंग/बर्लिन – इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने मित्रदेशों के साथ सहयोग बढ़ाकर समुद्री यातायात की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जर्मनी ने इस क्षेत्र में विध्वंसकों का दल तैनात करने का ऐलान किया। जर्मनी के इस ऐलान पर चीन ने गुस्सा जताया है। ‘इस तैनाती की वजह से इतिहास की कड़वी यादें ताज़ा होंगी और बुरे गुट फिर से एकजुट होंगे’, ऐसी चेतावनी चीन के विदेश मंत्रालय ने दी। इसके ज़रिये चीन जर्मनी के नाज़ीवादी इतिहास की यादें ताज़ा करता हुआ दिख रहा है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्रपिछले कुछ दिनों से ऑस्ट्रेलिया में मित्रदेशों का ‘पिच ब्लैक’ युद्धाभ्यास जारी है। इसमें मेज़बान ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत, अमरीका, जर्मनी, फ्रान्स, जापान, न्यूज़ीलैण्ड और दक्षिण कोरिया के लड़ाकू विमान शामिल हुए हैं। इस युद्धाभ्यास में जर्मनी ने १३ लड़ाकू विमान भेजे हैं, यह जानकारी भी सामने आयी थी। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती हुई सामरिक आक्रामकता को जवाब देने के लिए अमरीका और मित्रदेशों के इस हवाई युद्धाभ्यास का आयोजन होने का दावा किया जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया के इस युद्धाभ्यास की चीन ने पहले ही आलोचना की थी।

ऐसी स्थिति में जर्मनी के रक्षाबलप्रमुख जनरल एबरहार्ड झौर्न ने दो दिन पहले अहम ऐलान किया। पिछले साल जर्मनी के एक विध्वंसक ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से सफर किया था। इस साल जर्मनी के १३ लड़ाकू विमान इस क्षेत्र के हवाई युद्धाभ्यास का हिस्सा बने हैं। अगले साल और वर्ष २०२४ में जर्मनी के विध्वंसकों का बड़ा बेड़ा इंडो-पैसिफिक में तैनात होगा, ऐसा ऐलान जनरल झौर्न ने किया। इस क्षेत्र में जर्मनी का प्रभाव बढ़ाने के लिए यह तैनाती होगी, यह जानकारी जर्मनी के रक्षाबलप्रमुख ने दी।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र‘विध्वंसकों की इस तैनाती के ज़रिये जर्मनी को किसी भी देश को उकसाना नहीं है लेकिन, जर्मनी अपने सहयोगियों के समर्थन में और अंतरराष्ट्रीय नियमों पर आधारित समुद्री स्वतंत्रता की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहेगा, यह संदेश देना है’, ऐसा कहकर जनरल झौर्न ने इस तैनाती का समर्थन किया। जर्मन रक्षाबलप्रमुख के इस ऐलान की वजह से चीन की बेचैनी बढ़ी है। चीन के विदेश मंत्रालय ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तैनाती बढ़ाने की कोशिश कर रहे जर्मनी पर टीपणी की है।

साथ ही ‘जर्मनी की इस तैनाती की वजह से इतिहास की कड़वी यादें ताज़ा होंगी और कुछ देशों में खराब संगठन गठित हो जाएँगे’, ऐसी चेतावनी चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वैंग वेन्बिन ने दी। चीन की रक्षा नीति रक्षात्मक और अपने क्षेत्रीय संबंधों की सुरक्षा के लिए है, ऐसा दावा वेन्बिन ने किया।

दूसरे विश्वयुद्ध में हिटलर के नेतृत्व में नाज़ी जर्मनी ने साम्राज्य विस्तार करने के लिए आक्रामक नीति अपनाई थी। तब हिटलर के विध्वंसक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र तक पहुँचे थे। साथ ही हिटलर के इस विस्तार नीति का जापान ने भी साथ दिया था, इस पर चीनी माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद प्रतिबंध लगाए गए जर्मनी ने अपनी सैन्य गतिविधियाँ सीमित रखी थीं। लेकिन, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तैनाती बढ़ाकर जर्मनी फिर से वही कड़वी यादे ताज़ा कर रहा है, ऐसा चीन सुझा रहा है। इसके ज़रिये चीन का विदेश मंत्रालय जर्मनी पर साम्राज्य विस्तार का आरोप लगा रहा है, फिर भी वास्तव में चीन की नीति ही दूसरे विश्वयुद्ध की साम्राज्यवादी ताकतों का अनुकरण करती है, ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं।

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