चीन की अर्थव्यवस्था की गिरावट जारी – उत्पादन सूचकांक के साथ ‘रिअल इस्टेट’ और ‘कन्झ्युमर प्राइस इंडेक्स’ की फिसलन

बीजिंग – चीन की हुकूमत ने पिछले कुछ महीनों में किए प्रावधानों के बावजूद चीन की अर्थव्यवस्था की गिरावट जारी होने की बात सामने आयी है। अर्थव्यवस्था के अहम घटक रहे ‘प्रोड्युसर प्राईस इंडेक्स’, ‘कन्झ्युमर प्राईस इंडेक्स’ एवं संपत्ति के मुल्य की गिरावट हुई है। इसके साथ ही बेरोजगारी और कर्ज का भार काफी बढ़ता दिखाई दिया है। इस वजह से चीन की अर्थव्यवस्था सामान्य स्तर पर आने की संभावना धुंधली हुई है और हुकूमत नई आर्थिक सहायता मुहैया करने का निर्णय लेने के लिए मज़बूर होगी, यह दावा आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषकों ने किया है।

पिछले वर्ष के अन्त में चीन ने कोरोना काल में लगाए प्रतिबंध हटाने का निर्णय किया था। इसके बाद चीन की अर्थव्यवस्था ने गति प्राप्त करना शुरू किया। प्रतिबंध हटाने के बाद चीन की अर्थव्यवस्था में उछाल होगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था सुधार के साथ सामान्य स्तर पर आने की प्रक्रिया शुरू होगी, ऐसा विचार कई वित्त संस्था और आर्थिक विशेषज्ञों ने व्यक्त किया था। लेकिन, इस वर्ष की पहली तिमाही के बाद चीन की अर्थव्यवस्था ने फिर से गोते लगाना शुरू किया है। पिछले तीन महीनों में मांग के साथ घरों की घरीद, खूर्दा बिक्री, उत्पादन, आयात-निर्यात, निजी निवेश समेत चीन के सभी क्षेत्रों का प्रदर्शन निराश कर रहा है।

पिछले कुछ दिनों में सामने आए आंकड़ों ने इसकी पुष्टि की है। चीन में अंदरुनि मांग एवं नागरिकों की खरीदने की क्षमता का निदर्शक ‘कन्झ्युमर प्राईस इंडेक्स’ निचले स्तर पर पहुंचा है। अप्रैल महीने में यह सूचकांक ०.१ और मई महीने में ०.२ था। लेकिन, जून महीने में यही सूचकांक सीधे शून्य होने से चीन की अर्थव्यवस्था को ‘डिफ्लेक्शन’ का खतरा होने की चेतावनी विशेषज्ञों ने दी है। चीन में उत्पाद एवं सेवाओं की कीमतें फिसल रही हैं और यह मुद्दा नागरिकों की क्रयशक्ति कम होने की निदर्शक है। यही स्थिति कायम रही तो अर्थव्यवस्था की वृद्धि थम जाएगी और वह मंदी की चपेट में जा सकती है, इस संभावना पर भी विश्लेषकों ने ध्यान आकर्षित किया है।

‘कन्झ्युमर प्राईस इंडेक्स’ के साथ ही चीन के औद्योगिक उत्पाद का प्रतीक ‘प्रोड्युसर प्राईस इंडेक्स’ की भी गिरावट हुई है। जून महीने में यही सूचकांक ५.४ प्रतिशत फिसला है। उत्पादन सूचकांक की गिरावट होने का यह लगातार नववा अवसर हैं। जून महीने की फिसलन पिछले आठ सालों की सबसे बड़ी होने की जानकारी चीनी यंत्रणाओं ने प्रदान की। चीन में बेरोजगारी का दर भी २० प्रतिशत तक पहुंचा है और कर्ज का भार जीडीपी की तुलना में २८२ प्रतिशत तक जा पहुंचा होने की बात कही जा रही है। विश्व में दूसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बने चीन की गिरावट कायम रहने से चीन को करीबी दिनों में मंदी से नुकसान पहुंचेगा, ऐसा अनुमान आर्थिक विशेषज्ञ एवं विश्लेषक जता रहे हैं। यूरोप और अमरीका की तरह ही चीन के विकास दर की भी गिरावट हुई तो वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने खड़ी मुश्किलें बढ़ेगी, यह चेतावनी विश्लेषकों ने हाल ही में दी थी।

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