चीन की मंदी दुनिया की मुश्किलें बढ़ानेवाली साबित होगी – अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों की चेतावनी

वॉशिंग्टन/बीजिंग – कोरोना के बाद चीन का आर्थिक सुधार धीमा हुआ हैं। लगातार तीसरे महीने में चीन के कारखानों में उत्पादन कम हुआ हैं और इसका असर निर्यात पर हो रहा हैं। चीन के सेंट्रल बैंक ने युआन की फिसलन रोकने के लिए विदेशी बैंकों से गुहार लगाना शुरू किया हैं। राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने विदेशी निवेश पर आधारित अर्थव्यवस्था से दूरी बनाने की तैयारी की है। इस वजह से चीन की अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद हैं और चीन में लंबे समय तक मंदी रहेगी, ऐसा दावा अभ्यास गुट कर रहा हैं। ऐसा हुआ तो चीन की यह मंदी एशिया-पैसिफिक क्षेत्र के साथ दुनिया के लिए मुश्किल साबित होगी, ऐसी चेतावनी दुनिया भर के अंतरराष्ट्रीय विश्लेषक दे रहे हैं।

पिछले कुछ दिनों से चीन के अरबों उद्यमियों का वर्ग अरब-खाड़ी देशों में आश्रय पाते देखे जा रहे हैं। सौदी अरब और यूएई अब चीनी उद्यमियों के निवेश का केंद्र बन रहा हैं और उन्होंने इन खाड़ी देशों में बसने की तैयारी करने का दावा किया जा रहा हैं। पिछले सात दशकों में कम्युनिस्ट हुकूमत के इतिहास में ऐसा कभी भी नहीं हुआ था। चीन के उद्यमी इतनी बड़ी संख्या में देश के बाहर का रुख कभी नहीं किया था, इस ओर विश्लेषक ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। यह आम बात नहीं हैं, राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की गलत आर्थिक नीति और चीन की अर्थव्यवस्था की हो रही गिरावट का कारण बनी होने का दावा ‘मार्केटएक्स वेंचर्स’ की अध्यक्षा कैथरिन शेन’ ने किया।

अमरीका के अच्छे सहयोग की वजह से पिछले चार दशकों से चीन की अर्थव्यवस्था छलांग लगाकर बढ़ी थी। कम वेतन में काम करने वाले कर्मचारी वर्ग एवं निर्माण क्षेत्र चीन की अर्थव्यवस्था के विकास के लिए सहायक बने थे। इसका लाफ एशिया-पैसिफिक एवं वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी हुआ था। लेकिन, वर्ष २००७ की वैश्विक मंदी के बाद चीन का सकल उत्पादन भी फिसला है और आगे के समय में चीन का आर्थिक विकास दर दो से तीन प्रतिशत के आगे नहीं जाएगा, यह दावा कार्नी एंडॉवमेंट फॉर पीस नामक अभ्यास गुट के विश्लेषक मिशेल पेटीस ने किया।

साथ ही राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग की ‘वन चाइल्ड पॉलिसी’ यानी एक ही बच्चे को जन्म देने की नीति अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित होगी, ऐसा सर्टिफाईड फायनान्शिअल अ‍ॅनालिस्ट अभ्यासगुट के विश्लेषक एडम कून्स का कहना हैं। चीन की अर्थव्यवस्था इस मंदी से संभलेगी और लंबे समय तक विकास करेगी। इसका लाभ अपनी अर्थव्यवस्था को भी होगा, ऐसी उम्मीद विकसित देश रखे हैं। लेकिन, जापान, यूरोप और अमरीका की तरह चीन का विकास दर भी फिसला तो वैश्विक अर्थव्यवस्था की मुश्किल बढ़ेगी, ऐसी चेतावनी कून्स ने दी।

चीन की अर्थव्यवस्था ने मंदी में प्रवेश किया होने का दावा शेन ने किया है। इसके आगे भी चीन मंदी कायम रही तो इसका असर एशिया-पैसिफिक ही नहीं, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी होगा, ऐसा शेन ने कहा है। पिछले कुछ दिनों से काउंसिल ऑफ फॉरेन रिलेशन्स एवं अन्य अभ्यास गुट भी चीन की अर्थव्यवस्था की मंदी की ओर ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। चीन के अपारदर्शी आर्थिक कारोबार भी चिंता का कारण होने का विचार विश्लेषक रखते हैं।

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