जर्मनी के लड़ाकू विमान इंडो-पैसिफिक में दाखिल

बर्लिन – जर्मनी के लड़ाकू विमानों का बेड़ा पहली बार इंडो-पैसिफिक में दाखिल हुआ है। सिंगापुर और ऑस्ट्रेलियन रक्षाबलों के साथ युद्धाभ्यास करने के लिए जर्मनी के लड़ाकू विमान अगले पूरे महीने इस क्षेत्र में  तैनात रहेंगे। इनमें से ऑस्ट्रेलिया के साथ  हो रहा युद्धाभ्यास चीन के लिए चेतावनी देनेवाला है, यह दावा किया जा रहा है। इसी बीच, जर्मनी के विध्वंसक ने पिछले साथ ‘साउथ चायना सी’ में गश्त लगाई थी, इसके बाद चीन ने धमकाया था। इस वजह से ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी के इस क्षेत्र में हो रहें युद्धाभ्यास पर चीन का बयान प्राप्त होने के असार हैं।

जर्मनी के रक्षामंत्री ख्रिस्तीन लैंब्रेश ने माध्यमों के साथ बातचीत करते हुए, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के इस युद्धाभ्यास की अहमियत रेखांकित की। यूक्रेन का युद्ध प्राथमिकता पर है और उसपर ध्यान केंद्रित है। इसके बावजूद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों की ओर जर्मनी की अनदेखी नहीं हुई है और इसके लिए जर्मनी के लड़ाकू विमान इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की ओर रवाना हुए हैं’, ऐसा रक्षामंत्री लैंब्रेश ने कहा। मंगलवार देर समय सिंगापूर पहुँचे ये विमान ९ सितंबर तक इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में युद्धाभ्यास करेंगे।

जर्मनी के १३ विमानों का बेड़ा सिंगापूर में उतरा है और इनमें छह यूरोफायटर लड़ाकू विमान, चार ‘ए ४०० एम’ बहुउद्देशीय विमान और तीन ‘ए ३३०’ ईंधन वाहक टैंकर विमानों का समावेश है। जर्मनी से उड़ान भरने के बाद इन विमानों ने लगभग २४ घंटों में १० हज़ार किलोमीटर की दूरी तय की, यह जानकारी सामने आ रही है।  इसके साथ ही, ज़रूरत महसूस होने पर जर्मनी के विमान एक ही दिन में  इस क्षेत्र में दाखिल हो सकते हैं, यह संदेश इस उड़ान के ज़रिये दिया जा रहा है, ऐसा जर्मनी के वायुसेनाप्रमुख लेफ्टनंट जनरल इंगो गेराट्झ् ने कहा।

सिंगापूर के हवाई युद्धाभ्यास के बाद इन विमानों का बेड़ा बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया रवाना होगा। जर्मन विमान ऑस्ट्रेलिया में दो चरणों में युद्धाभ्यास करेंगे। पहले चरण में जर्मनी के ये विमान ‘पिच ब्लैक’ नामक द्वैवार्षिक बहुराष्ट्रीय युद्धाभ्यास में शामिल होंगे। तीन हफ्ते चलनेवाले इस युद्धाभ्यास में मेजबान ऑस्ट्रेलिया समेत, जर्मनी के साथ भारत, अमरीका, फ्रान्स, ब्रिटेन, जापान, यूएई, न्यूझीलैण्ड, नेदरलैण्ड और थायलैण्ड समेत अन्य कुछ देशों के विमान हिस्सा होंगे। लगभग ढ़ाई हज़ार सैनिक और १०० लड़ाकू विमानों के बड़े युद्धाभ्यास का आयोजन हो रहा है। इसके बाद जर्मनी के विमान ऑस्ट्रेलियन विध्वंसकों के साथ युद्धाभ्यास में शामिल होंगे।

वैश्विक गतिविधियों में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की भूमिका काफी अहम होने का दावा करके जर्मनी ने, इस क्षेत्र में अपनी मौजुदगी बढ़ाने का ऐलान सालभर पहले ही किया था। इसी के हिस्से के तौर पर पिछले साल जर्मनी की नौसेना के ‘बेयर’ नामक विध्वंसक ने ‘साऊथ चायना सी’ के क्षेत्र से सफर किया था। कुल लंबे २० सालों बाद जर्मनी के किसी विध्वंसक ने इस समुद्री क्षेत्र से सफर करने की वजह से अन्तर्राष्ट्रीय माध्यमों का ध्यान आकर्षित हुआ था।

इसी दौरान साऊथ चायना सी का विवाद शुरू हुआ। अमरीका एवं ऑस्ट्रेलिया के विध्वंसक ने इस क्षेत्र में गश्त लगाने से बेचैन हुए चीन ने गंभीर परिणामों की धमकी दी थी। ऐसें दौर में  साऊथ चायना सी में गश्त लगा रहें जर्मन विध्वंसक को चीन ने चेतावनी दी थी।  साथ ही चीन ने जर्मन विध्वंसक को बंदरगाह में प्रवेश देने से भी इन्कार किया था। ऐसें में अब ताइवान के मुद्दे पर फिर एक बार इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में तनाव निर्माण हुआ है और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में आयोजित युद्धाभ्यास में देखी जा रही जर्मनी के लड़ाकू विमानों की मौजूदगी चीन को अधिक बौखला सकती है।

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