जम्मू-कश्‍मीर के अलगाववादी नेता गिलानी का ‘हुरियत’ से इस्तीफ़ा

श्रीनगर – जम्मू-कश्‍मीर के अलगाववादी नेता सय्यद अली शहा गिलानी ने हुरियत कान्फरन्स के अध्यक्षपद से इस्तीफा दिया है। पाकिस्तान के इशारों पर कश्‍मीर घाटी में अलगाववादी गतिविधियाँ कर रही ‘हुरियत’ के नेता गिलानी ने यह इस्तीफा पाकिस्तान के ही दबाव में दिया है, ऐसा कहा जा रहा है। केंद्र सरकार ने कश्‍मीर से धारा-३७० को हटाने के बाद, ‘हुरियत’ द्वारा राज्य में हिंसक प्रदर्शन और आतंकी हमलें किये जायेंगे और इससे भारत पर दबाव बढ़ाना मुमकिन होगा; साथ ही इससे बनी स्थिति का इस्तेमाल आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर करना संभव होगा, यह उम्मीद पाकिस्तान को थी। लेकिन, जम्मू-कश्‍मीर में ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। इसी कारण आयएसआय गिलानी पर नाराज़ हुआ था, ऐसा कहा जा रहा है। वहीं, गिलानी का इस्तीफा यानी कश्‍मीर में अलगाववादियों का अस्तित्व अब ख़त्म होने का संकेत साबित होता है, यह बात विश्‍लेषक रख रहे हैं।jammu-kashmir-gilani

जम्मू-कश्‍मीर के सभी अलगाववादी संगठनों का संयुक्त संगठन बनी ‘हुरियत कान्फरन्स’ का अध्यक्षपद गिलानी के हाथ में था। कश्‍मीर में अलगाववादियों का जहाल चेहरा, यह गिलानी की पहचान थी। सोमवार के दिन एक ऑडियो संदेश जारी करके गिलानी ने दो वाक्यों में अपना इस्तीफा घोषित किया। वर्तमान की स्थिति देखकर हम इस्तिफा पेश कर रहे हैं। अब ‘हुरियत’ के साथ अपना किसी भी प्रकार से संबंध नहीं होगा, यह बात गिलानी ने कही है।

जम्मू-कश्‍मीर के पूर्व पुलिस महासंचालक और अपने कार्यकाल के दौरान आतंकियों के लिए खतरा समझे जानेवाले एस.पी.वैद्य ने, गिलानी के इस्तिफे के बाद सोशल मीडिया पर एक पोस्ट ड़ाली है। अलगाववादियों का सरदार, आतंकियों को प्रोत्साहित करनेवाला और ‘आयएसआय’ का हस्तक, यह गिलानी की पहचान होने का बयान वैद्य ने किया है। साथ ही, ‘सब कुछ लूटा के होश में आए तो क्या हुआ….’ ऐसी टिप्पणी भी वैद्य ने की है।

कश्‍मीर घाटी में अलगाववादी गतिविधियों पर लगाम कसा है और वहाँ के अलगाववादियों का अस्तित्व अब ख़त्म हो रहा है, यह बात विश्‍लेषक रख रहे हैं। कई अलगाववादी नेता ‘टेरर फंडिंग’ के मामले में जेल में बंद हुए हैं। साथ ही इन्हीं मामलों में कई अलगाववादी नेताओं की संपत्ति जब्त हुई हैं। गिलानी के साथ ही कई अलगाववादी नेताओं को पाकिस्तान से बड़ी मात्रा में पैसें मिलते रहे हैं। इससे उन्हों ने बड़ी तादात में संपत्ति इकट्ठा की है, यह बात पहले ही स्पष्ट हुई थी। साथ ही, कश्‍मीरी युवाओं को आतंकवाद के लिए भड़कानेवाले, उनके हाथ में बंदुक और पत्थर थमानेवाले अलगाववादियों के बच्चें, विदेश में आराम की ज़िंदगी जी रहे हैं। यह बात स्पष्ट होने पर पिछले पाँच-छः वर्षों में अलगाववादियों को प्राप्त होनेवाला समर्थन भी कई इलाकों में कम हुआ था।

इसमें जम्मू-कश्‍मीर से धारा-३७० हटाए जाने के बाद केंद्र सरकार ने राज्य के निवासी कानून में बदलाव किये थे। इसके बाद ‘हुरियत कॉन्फ़रन्स’ को कश्‍मीर में हिंसा करना संभव नहीं हो सका है। इससे पाकिस्तान का गुप्तचर संगठन ‘आयएसआय’ नाराज़ होने से गिलानी हुरियत छोड़ने के लिए मज़बूर हुए, ऐसा भी कहा जा रहा है।

इसी बीच जम्मू-कश्‍मीर में सुरक्षा बलों की कार्रवाई में हिजबुल मुजाहिदीन का कमांड़र मसूद को ढ़ेर किया गया। मसूद के मारे जाने से डोड़ा जिला आतंकवाद से मुक्त होने की बात पुलिस ने कही है। साथ ही, इस मुठभेड़ में ‘लश्‍कर ए तोयबा के अन्य दो आतंकियों को भी मार गिराया गया हैं, यह जानकारी पुलिस ने साझा की हैं।

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