माली चरमपंथ की ओर झुकने पर फ्रान्स अपनी सेना को हटाएगा – राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन की चेतावनी

पैरिस – सियासी अस्थिरता की वजह से माली यदि फिर से चरमपंथ की ओर झुकता है, तो फ्रान्स इस देश में तैनात अपनी सेना को हटाएगा, ऐसी कड़ी चेतावनी राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन ने दी है। बीते हफ्ते माली की सेना ने बगावत करके, देश का नियंत्रण फिर एक बार अपने हाथों में लिया है। इस वजह से इस देश में जनतंत्र की प्रक्रिया को बड़ा झटका लगा है और अमरीका एवं युरोप समेत अफ्रीकी देशों ने भी तीव्र प्रतिक्रिया दर्ज़ की है।

French-Military-Mali-01-300x169बीते हफ्ते माली के वरिष्ठ सेना अधिकारी कर्नल असिमी गोय्ता के नेतृत्व में सेना ने फिर से विद्रोह किया। राष्ट्राध्यक्ष बाह एन्दाओ और प्रधानमंत्री मॉक्तर ओउआन ने जनतंत्र के हस्तांतरण की प्रक्रिया तबाह करने की साज़िश की, यह कारण सेना ने बताया है। बगावत के बाद माली के राष्ट्राध्यक्ष और प्रधानमंत्री को गिरफ्तार करके उनसे इस्तीफा लिया गया है। देश की संवैधानिक अदालत ने कर्नल गोय्ता को, अस्थायी राष्ट्राध्यक्ष के तौर पर देश का नियंत्रण हाथों में लेने के लिए अनुमति प्रदान की है।

माली में बीते वर्ष के अगस्त महीने में सेना ने विद्रोह करके, तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम कैता की सरकार का तख़्तापलट किया था। इसके बाद मात्र नौ महीनों में हुए दूसरे विद्रोह के कारण माली में अराजकता की स्थिति बनी है। जनतंत्र के हस्तांतरण की प्रक्रिया शुरू होने के दौर में विद्रोह होने से पश्‍चिमी देशों के साथ अफ्रीका से भी तीव्र प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। फ्रान्स की सेना माली में तैनात है और फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन हाल ही में अफ्रीका का दौरा करके स्वदेश पहुँचे थे।

French-Military-Mali-300x169लगातार दूसरी बार हुई सेना की बगावत की वजह से फ्रान्स बेचैन हुआ है और राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन की चेतावनी उसी का हिस्सा है। ‘जनतंत्र की समर्थक सरकार या उसके हस्तांतरण की प्रक्रिया जिस देश में नहीं होती, ऐसें देशों को इसके आगे से फ्रान्स समर्थन प्रदान नहीं करेगा। अफ्रीका में स्थायी रूप से सेना की तैनाती रखने का उद्देश्‍य फ्रान्स नहीं रखता। माली जैसें देश में चरमपंथ बढ़ रहा हैं और ऐसें में फ्रान्स के सैनिक इस देश में तैनात रहना मुमकिन नहीं है। विद्रोह की पृष्ठभूमि पर, माली का झुकाव यदि फिर से चरमपंथ की ओर जाने के संकेत प्राप्त हुए, तो फ्रान्स इस देश से अपनी सेना हटाएगा’, यह चेतावनी राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने दी।

फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष की यह चेतावनी, अफ्रीका के ‘साहेल’ क्षेत्र के लिए बड़ा झटका साबित हो सकता है। बीते कुछ वर्षों में इस क्षेत्र के आतंकी संगठनों की हरकतें काफी मात्रा में बढ़ी हैं और अफ्रीकी देश इसका मुकाबला करने में स्पष्ट तौर पर नाकाम हुए हैं। फ्रान्स ने वर्ष २०१३ में इस क्षेत्र में पाँच हज़ार से अधिक सैनिक तैनात किए हैं। लेकिन, फ्रान्स को भी अपेक्षित कामयाबी प्राप्त नहीं हुई है। फिर भी फ्रान्स ने इस क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी मुहिम जारी रखी है और अन्य युरोपीय देशों को भी इसमें शामिल होने के लिए आवाहन किया है।

लेकिन, फ्रान्स ने यदि अपनी सेना हटाई, तो साहेल क्षेत्र आतंकी संगठनों के लिए खुला क्षेत्र बन सकता है, यह चेतावनी विश्‍लेषक दे रहे हैं। इसी बीच, अफ्रीकी देशों का प्रमुख संगठन ‘इकोवास’ ने अपने गुट से माली को निकाल बाहर करने का ऐलान किया है।

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