यूरोप के शरणार्थियों के झुंड की पहली बलि ज्यूधर्मियों की – फ्रेन्च अभ्यासक का आरोप

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरपैरिस – जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने वर्ष २०१५ में यूरोप में शरणार्थियों का स्वागत करने के बारे में लिया निर्णय मूर्खता थी और चांसलर मर्केल इनके निर्णय के पहले शिकार यूरोप के ज्यूधर्मिय हुए हैं, ऐसा सनसनीखेज आरोप फ्रेंच अभ्यासक एलन फिंकलक्रौट ने किया है| यूरोप में फिलहाल प्रखर राष्ट्रवाद को मिलनेवाला समर्थन, जनसंख्या एवं समाज में होनेवाले बदलाव यह आनेवाली प्रतिक्रिया है, ऐसा दावा फिंकलक्रौट ने किया है|

पिछले कई वर्षों में फ्रान्स एवं जर्मनी के साथ यूरोप में प्रमुख देशों में ज्यू धर्मिय नागरिक एवं संस्थाओ पर होनेवाले हमलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है| पिछले महीने में फ्रान्स में स्ट्रासबर्ग शहर में ज्यू धर्मियों के दफनभूमि की विडंबना करने की घटना सामने आई थी| फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रोन ने भी इस घटना पर गंभीरता से ध्यान दिया था| फ्रान्स के साथ जर्मनी, पोलैंड, स्पेन जैसे देशों में ज्यू धर्मियों के विरोध में होनेवाले हमले बढ़ने की बात सामने आ रही है|

इस्रायल के राष्ट्राध्यक्ष बेंजामिन नेत्यान्याहू ने यूरोप में ज्यू धर्मिय के विरोध में होनेवाली घटनाए बढ़ रही हैं और उसके विरोध में संपूर्ण यूरोप को साथ आकर ठोस भूमिका लेनी चाहिए, ऐसा आवाहन किया था| फ्रान्स में बढ़ती ज्यू विरोधी घटनाओं के बाद इस्रायल के एक वरिष्ठ नेता ने फ्रान्स में रहनेवाले ज्यूवंशीयों को इस्रायल में आने की आक्रामक प्रतिक्रिया दी थी|

इस पृष्ठभूमि पर फ्रेंच अभ्यासक एलेन फिंकलक्रौट ने किया आरोप ध्यान केंद्रित करने वाला ठहरा है| चांसलर मर्केल ने वर्ष २०१५ में शरणार्थियों को यूरोप में खुला आमंत्रण देते हुए, हम यह कर सकते हैं, ऐसी घोषणा की थी| यह घोषणा एक मूर्खता थी| आपने यह स्वयं देखा है कि आप यह नहीं कर सकते| अतिरंजित नैतिकता और आर्थिक हित संबंध जोड़ने का प्रयत्न अयोग्य ठहरा है, ऐसे शब्दों में फ्रेंच अभ्यासक ने जर्मन चांसलर को फटकारा है|

जर्मन नागरिकों को मुक्तरूप से खरीदारी करनी थी और नैतिक रूप से सिद्ध करना था| पर इसके लिए ज्यूधर्मिय का उपयोग किया गया और एक के पीछे एक यूरोप में टकरानेवाले शरणार्थियों की घुसपैठ के पहले शिकार ठहरे हैं, ऐसा आरोप फिंकलक्रौट ने किया है| शरणार्थियों से जुडी नीति जिम्मेदारी से संभालनी चाहिए थी, ऐसा भी उस समय उन्होंने सूचित किया है|

फिलहाल यूरोप में शरणार्थियों को स्थानीय समाज में घुलमिलने की प्रक्रिया बहुत कठिन हुई है और शरणार्थियों के झुंड अगर कायम रहे तो उसके तीव्र एवं विपरीत परिणाम सामने आने का डर लग रहा है| फ्रान्स में सहजरूप से इस्लामी संस्कृति स्वीकार होगी या धर्म बदलने की प्रक्रिया को गति मिल सकती है, ऐसे शब्दों में अभ्यासक ने शरणार्थियों की बढ़ती संख्या की वजह से निर्माण होने वाला खतरा रेखांकित किया है|

पिछले कुछ वर्षों में फ्रान्स की राजधानी पैरिस में ज्यूधर्मियों की संख्या जलद गति से घट रही है और कुछ भाग तथा शहरों के ज्यूधर्मिय हमेशा के लिए बाहर निकल रहे हैं, इसकी तरफ एलेन फिंकलक्रौट ने ध्यान केंद्रित किया है|

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