अफ्रीका के जिबौती में चीन का पहला विदेशी सैनिकी अड्डा

China Base

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अमेरिका को चुनौती देनेवाले चीन द्वारा सेना के आधुनिकीकरण के लिये बडे कदम उठाये जा रहे है। इसी कार्यक्रम के अंतर्गत चीन ने विदेशी भूमि पर अपना पहला सैनिकी अड्डा खडा करने का फैसला लिया है। पूर्व अफ्रीका के जिबौती में चीन अपने नौसेना बेस का निर्माण करेगी। चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा इस बात की पुष्टि कर दी गयी है। अमेरिका के ‘अफ्रीका कमांड’ के प्रमुख जनरल डेव्हिड रॉड्रिग्झ द्वारा कई दिन पहले एक मुलाकात में चीने के बेस के बारे में जानकारी खुली कर दी गयी थी। जिबौती में अमेरिका के साथ फ्रान्स और जापान का सैनिकी अड्डा मौजूद है।

छह महीने पहले जिबौती के राष्ट्रपति इस्माईल ओमर गुलेह ने चीन के साथ सैनिकी अड्डे के निर्माण के बारे में बातचीत का दावा किया था। पर उस वक्त चीन द्वारा उस पर कोई भी टिप्पणी नही हुई थी। पिछले हफ्ते अमेरिका के ‘अफ्रीका कमांड’ के प्रमुख जनरल डेव्हिड रॉड्रिग्झ ने एक मुलाकात में बताया था कि, चीन आफ्रीका में उनका पहला सैनिकी अड्डा बना रही है। मुलाकात में अमेरिकी जनरल ने दावा किया था कि, चीन ने जिबौती सरकार के साथ 10 साल का समझौता भी किया है। अमेरिकी अधिकारी के इस दावे की चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा पुष्टि की गयी है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हाँग लेई द्वारा अफ्रीका के जिबौती में सैनिकी अड्डे के तैयारी की जानकारी दी गयी। हाँग लेई ने बताया कि,‘चीन और जिबौती मित्रदेश है। सेना और नौसेना के लिए आवश्यक सामग्री के आपूर्ति के लिए जिबौती में अड्डा खडा करने के मसले पर हमारी बातचीत शुरु है। चीनी सेना के प्रादेशिक तथा अंतरराष्ट्रीय मुहिमों के लिए यह अड्डा महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। जिबौती में खडा होनेवाला यह सैनिकी अड्डा चीन का विदेशी भूमि पर पहला ‘मिलिटरी बेस’ होगा।

छह साल पहले चीनी नौसेना के अधिकारी रिअर अ‍ॅडमिरल वु शेंगली द्वारा समुद्री डाकुओं के खिलाफ कारवाई के लिए विदेश में नौसेना का अड्डा स्थापित करने का सुझाव दिया था। वु शेंगली अब चीन के नौसेना के प्रमुख है और इस समय जिबौती में अड्डे का निर्माण होना विशेष बात मानी जा रही है। कई हफ्तों पहले चीन के सेनाप्रमुख जनरल फँग फेंगहुई ने जिबौती का दौरा किया था। इस भेंट में सैनिकी अड्डे के फैसले पर अंतिम मुहर लगने का दावा किया जा रहा है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग द्वारा कुछ दिन पहले ही चीन के सरहद के पार सुरक्षा व्यवस्था कडी करने के निर्देश दिये गये थे। इसके चलते पहले किया गया सैनिकी अड्डे का निर्माण महत्त्वपूर्ण कदम माना जाता है।

चीन द्वारा पिछले दो दशकों में अफ्रीका में अरबो डॉलर्स का निवेश किया गया है। अफ्रीकी देश चीन के प्रमुख व्यापारी भागीदारों में से एक माने जाते है। इस समय चीन के करीब 20 लाख नागरिक आफ्रीका में स्थित है। पिछले कुछ वर्षों से चीने के अफ्रीकी हितसंबंधों को झटके लगने लगे है। अफ्रीकी देशों में चीनी लोगों पर होनेवाले हमले भी बढते जा रहे है। कुछ ही दिन पहले माली में हुए आतंकवादी हमले में चीन के तीन नागरिकों की हत्या कर दी गयी थी। इन गतिविधियों को देखते हुए ऐसा कहा जाता है कि, चीन ने सामरिक नीति के तहत जिबौती में सैनिकी अड्डे का फैसला लिया है।

इस समय जिबौती में अमेरिका का ‘कॅम्प लेमोनिर’ नामक सैनिकी अड्डा कार्यान्वित है और उस पर करीब चार हजार जवानों के साथ ड्रोन्स और लडाकू हवाईजहाज तैनात है।

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