भांडूप के ‘ड्रीम मॉल’ में लगी भीषण आग – सनराईज अस्पताल में ११ लोगों की मौत

मुंबई – बुधवार देर रात के बाद भांडूप के ‘ड्रीम मॉल’ में भीषण आग लगी। इसमें मॉल की इमारत में स्थित सनराईज अस्पताल में ११ की दुर्भाग्यवश मौत हुई। इस अस्पताल में अस्थायी ‘कोविड सेंटर’ था और कोरोना के ७६ संक्रमितों पर वहां इलाज़ हो रहा था। इस वारदात में मौत हुए संक्रमितों में वेंटिलेटर पर होनेवाले मरीज़ों का समावेश है।

Bhandup-dream-mall-fireभांडूप रेल स्थानक से कुछ ही दूरी पर स्थित ‘ड्रीम मॉल’ में बुधवार देर रात करीबन १२.३० बजे आग की चिंगारी भड़की। यह आग पहली मंजील के दूकान से शुरू होने की बात कही जा रही है। लेकिन, मॉल के अधिकांश दुकान बंद होने से आग भड़कने की घटना की ओर ध्यान नहीं गया। दुकान के फर्निचर की वजह से आग काफी तेज़ी से फैली। इस मॉल के तीसरी मंजील पर सनराईज अस्पताल है और इस अस्पताल तक आग का धुँआ पहुँचा। अस्पताल के कर्मीयों ने तुरंत मरीज़ों को हटाना शुरू किया। लेकिन, वेंटिलेटर के मरीज़ों को वहां से तुरंत हटाना संभव नहीं हुआ और इसी दौरान दम घुटने से उनकी मौत हुई। अन्य दो घायलों की इलाज़ के दौरान मौत होने की बात कही जा रही है।

इस अस्पताल में इलाज़ हो रहें ७६ में से ६५ मरीज़ों को करीबी अलग अलग कोरोना सेंटर्स में दाखिल किए जाने की जानकारी दी जा रही है। इस अस्पताल में पूरी रात राहत कार्य जारी था। दमकल की २३ गाड़ियों की सहायता से आग को काबू करने की कोशिश की गई। १२ घंटे बाद भी इस आग को काबू करना संभव नहीं हुआ था।

इस मॉल के अधिकांश दुकान आग में भस्म हए है और करोड़ों रुपयों का नुकसान हुआ है। इस मॉल में अस्पताल शुरू करने की अनुमति कैसे प्रदान की गई, यह सवाल उठ रहा है। साथ ही मॉल में आग बुझानेवाली यंत्रणा काम करने की स्थिति में ना होने से आग को काबू करने में बड़ी अड़चने आईं। आग बुझाने की यंत्रणा नाकाम होने से पालिका प्रशासन ने मॉल प्रशासन को नोटीस भेजा था, यह जानकारी भी सामने आ रही है। राज्य सरकार ने इस आग में मृत हुए मरीज़ों के परिवारों को ५ लाख रुपयों की सहायता देने का ऐलान किया है। साथ ही इस घटना की जाँच करने के आदेश भी दिए गए हैं।

दो वर्ष पहले अंधेरी मरोल स्थित कामगार अस्पताल में लगी आग में ६ की मौत हुई थी और १४६ घायल हुए थे। इस अस्पताल की इमारत के लिए फायर एनओसी प्रदान नहीं हुई थी, यह बात भी स्पष्ट हुई। साथ ही बीते वर्ष मुलुंड के एपेक्स अस्पताल में आग लगने से ४० कोरोना संक्रमितों को वहां से हटाना पड़ा था।

इसी वर्ष भंड़ारा जिला अस्पताल में लगी आग में १० शिशुओं की मौत हुई। वहां पर भी आग बुझानेवाली यंत्रणा में खराबी होने की बात स्पष्ट हुई थी। इसके बाद राज्य के सभी अस्पतालों का फायर ऑडिट करने की सूचना राज्य सरकार ने जारी की थी। भांडूप मॉल और सनरलाईज अस्पताल में लगी आग ने इन दुर्घटनाओं की भी याद ताजा की। साथ ही इस वजह से अस्पताल और मॉल के फायर ऑडिट का मसला फिर से उठा है।

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