राजकोट में कोविड अस्पताल में लगी आग से पांच की मौत – ‘देशभर के अस्पताल अग्नीसुरक्षा संबंधित नियमों का पालन करें’ – सर्वोच्च न्यायलय की सूचना

राजकोट – गुजरात के राजकोट में कोविड सेंटर बनाए गए उदय शिवानंद अस्पताल के गहन देखरेख विभाग में लगी भीषण आग में पांच मरीज़ों की मौत हुई। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दुर्घटना पर तीव्र शोक व्यक्त किया है। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने इस घटना की जाँच के आदेश दिए हैं। साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर संज्ञान लेकर ऐसी वारदातें दुबारा ना हों, इसके लिए आत्मपरीक्षण की आवश्‍यकता की बात कही है। इससे पहले अगस्त में अहमदाबाद के कोविड अस्पताल में लगी आग में आठ लोगों की मृत्यु हुई थी।

rajkot-covid-hospitalउदय शिवानंद अस्पताल में आग लगने की दुर्घटना शुक्रवार की सुबह को हुई। यह अस्पताल विशेष कोविड सेंटर घोषित किया गया था। अस्पताल में कोरोना के ३३ मरीज़ों का इलाज़ चल रहा था। इनमें से गहन देखरेख विभाग में दाखिल पांच मरीज़ों की आग से मौत हुई। अतिदक्षता विभाग से ही यह आग फैलने लगी थी, ऐसी जानकारी संबंधित अधिकारी ने साझा की। २८ मरीज़ों को इस आग से सुरक्षित बाहर निकाला गया है। उन्हें अन्य कोविड अस्पतालों में भर्ती किया गया है। दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पाया हैं। लेकिन, यह आग भड़कने का कारण अभी स्पष्ट नहीं हो सका है।

इसी बीच सर्वोच्च न्यायालय ने इस घटना का संज्ञान लेकर ऐसे हादसे लगातार हो रहे हैं और ऐसी घटना दुबारा ना हो, इसके लिए आवश्‍यक कदम उठाए नहीं गए हैं, यही बात दिख रही है, ऐसा बयान किया हैं। इस पर आत्मपरीक्षण की आवश्‍यकता है, यह बात भी सर्वोच्च न्यायालय ने कही है। साथ ही अदालत ने इस घटना की रपट भी गुजरात सरकार से माँगी है। इसके अलावा देशभर के अस्पतालों में अग्नी सुरक्षा यंत्रणा से संबंधित नियमों का पालन हो, यह इशारा भी सर्वोच्च न्यायालय ने दिया है।

इससे पहले, अगस्त में गुजरात के अहमदाबाद शहर में हुई ऐसी ही दुर्घटना में आठ मरीज़ों की मृत्यु हुई थी। साथ ही मुंबई के मुलुंड़ इलाके में अक्तुबर में एक कोविड सेंटर में आग लगने की घटना हुई थी। इस घटना के दौरान ‘वेंटिलेटर’ पर ८२ वर्ष के मरीज़ की मृत्यु हुई थी। इसके अलावा सितंबर में ओड़िशा के जगतपुर में स्थित कोविड़ सेंटर में आग लगने की घटना हुई थी। उस समय अस्पताल में १२७ मरीज़ दाखिल थे। इनमें से ४० मरीज़ों का गहन देखरेख विभाग में इलाज़ हो रहा था।

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