रशियन हथियारों पर भारत की निर्भरता कम करने के लिए अमरीका कानून में बदलाव लाए – तीन अमरिकी सिनेटर्स की माँग

वॉशिंग्टन – भारत हथियारों के लिए बडे पैमाने पर रशिया पर निर्भर है। भारत की रशिया पर यह निर्भरता कम करने के लिए बायडेन प्रशासन अमरीका के कानून में बदलाव लाए, ऐसी माँग तीन अमरिकी सिनेटर्स ने बड़े जोरों से की है। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमरीका के हित के लिए चीन का खतरा होनेवाले भारत को अमरीका ने अधिकाधिक हथियारों से लैस करना आवश्‍यक होगा, ऐसा इन अमरिकी सिनेटर्स का कहना है।

अमरीकन सिनेट की इंडिया कॉकस्‌ के सह-अध्यक्ष सिनेटर मार्क वॉर्नर जैक रीड और सिनेटर जिम इनहोफ्‌ ने अमरिकी ‘नैशनल डिफेन्स ऑथराइजेशन एक्ट’ में सुधार करने की माँग की। भारत को प्रगत हथियारों की आपूर्ति की ज़रूरत है। इस मोर्चे पर भारत बडे पैमाने पर रशिया पर निर्भर है। इससे उभरने के लिए भारत को प्रोत्साहित करने की जरुरत है। इसके लिए इस कानून में बदलाव करके बायडेन प्रशासन तेज़ी से कदम उठाए, ऐसी माँग इन सिनेटर्स ने की। साथ ही भारत को चीन से खतरे के मद्देनज़र इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अमरीका के हित के लिए अमरीका ने भारत को प्रगत हथियार प्रदान करने की आवश्‍यकता पर इन सिनेटर्स ने ध्यान आकर्षित किया।

भारत और अमरीका का रक्षा सहयोग लोकतांत्रिक सिद्धांतों पर खड़ा है, इसकी याद इन सिनेटर्स ने दिलाई। इसी बीच, हाल ही में हुए अमरीका दौर में भारतीय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने भारत और रशिया का सैन्य सहयोग विकसित होने के पीछे अमरीका की नीति ही ज़िम्मेदार होने का इशारा दिया था। शीतयुद्ध के दौर में भारत ने अमरीका से हथियारों की कई बार माँग की थी। लेकिन, तब अमरीका ने भारत को इन्कार कर दिया था। इस वजह से भारत को सोवियत रशिया से हथियार और रक्षा सामान खरीदने पड़े, इन शब्दों में जयशंकर ने अमरीका को फटकार लगायी थी।

रशिया से ‘एस-४००’ हवाई सुरक्षा यंत्रणा खरीदने के बाद भारत को प्रतिबंध लगाने की धमकियाँ देनेवाली अमरीका को विदेशमंत्री जयशंकर ने दो टुक उत्तर दिया था। इस वजह से विदेशमंत्री जयशंकर का दौरा खत्म होने के बाद अमरिकी सिनेटर्स ने भारत को लेकर बायडेन प्रशासन के सामने रखी यह माँग ध्यान आकर्षित कर रही है। चीन से भारत को होनेवाले खतरे की चिंता अमरीका को सता रही है, पर इससे कई गुना अमरीका को भारत के हथियार और रक्षा सामान का बाज़ार आकर्षित कर रहा है। इसके लिए अमरीका भारत के सामने नए-नए प्रस्ताव पेश कर रही है और अमरीका के ‘नैशनल डिफेन्स ऑथराइजेशन एक्ट’ में बदलाव लाने की माँग के पीछे भी अमरिकी हथियार निर्माण उद्योग से संबंधित कंपनियों का हित होने की बात स्पष्ट दिख रही है।

भारत ने भी अपनी रक्षा संबंधित ज़रूरतों के लिए आवश्‍यक प्रगत हथियार और रक्षा सामान अमरीका से खरीदने की तैयारी दर्शायी है। फिर भी इस क्षेत्र में दोनों देशों के कारोबार को उम्मीद अनुसार सफलता नहीं मिल पाई है।

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