उत्तराखंड़ के चमोली में बर्फ खिसकने से आठ की मौत – ३१ लापता

uttarakhand-chamoliगोपेश्‍वर – उत्तराखंड़ के चमोली में शुक्रवार रात को बर्फ खिसकने से ‘बॉर्डर रोड ऑर्गनायजेशन’ (बीआरओ) के आठ कर्मचारियों की मौत हुई है और ३१ लापता होने की जानकारी सामने आ रही है। इस हादसे के दौरान बर्फ की बड़ी चट्टान खिसककर नीति वैली में स्थित सुमना क्षेत्र में मौजूद ‘बीआरओ’ के शिविर पर गिर पड़ी। फ़रवरी में चमोली क्षेत्र में ही धौली गंगा में हिम नदी का कुछ हिस्सा टूटकर गिरने से बड़ा जलप्रलय हुआ था। इस दौरान लगभग २०० की जान गई।

शुक्रवार की रात को चीन की सीमा से कुछ दूरी पर स्थित चमोली के नीति वैली में भारी मात्रा में हिमस्खलन हुआ। इस क्षेत्र में ‘बीआरओ’ बड़ी मात्रा में सड़क निर्माण का कार्य कर रही है। इसके लिए वहां के दो स्थानों पर ‘बीआरओ’ के कामगारों के लिए शिविर बनाए गए हैं। शुक्रवार के दिन हुए हिमस्खलन का बड़ा हिस्सा इनमें से एक शिविर पर गिर पड़ा। सौभाग्यवश इस शिविर के पड़ोस में बने अन्य शिविर को इस हादसे से कुछ भी नुकसान नहीं हुआ। इन दोनों शिविरों में कुल मिलाकर तकरीबन ४३० कामगार थे। इनमें से ५० लापता होने की जानकारी शुरू में प्राप्त हुई थी।

uttarakhand-chamoliशुक्रवार की रात को ही सेना और आयटीबीपी के सैनिकों ने वहां पर राहत कार्य शुरू किया। शुक्रवार की रात को यहां से दो शव बरामद हुए और शनिवार की सुबह को राहत कार्य में शामिल सैनिकों ने बर्फ का टीला हटाकर अन्य छह शव बरामद किए। इस वजह से इस विपदा में मृत हुए लोगों की संख्या आठ हुई। इसी दौरान करीबन ३९१ कामगार यहाँ से सुरक्षित बाहर निकलकर यहां से कुछ ही दूरी पर स्थित ‘इंडो-तिब्बतीयन बॉर्डर पुलिस’ (आयटीबीपी) के शिविर में जा पहुँचने की जानकारी अफसरों ने साझा की। साथ ही करीबन ३१ के लापता होने की जानकारी सामने आ रही है।

उत्तराखंड़ के मुख्यमंत्री तिरथ सिंह रावत ने इस क्षेत्र का हवाई दौरा किया और नुकसान का जायज़ा लिया। कुछ घायल कामगारों को राहत दल ने बचाया है और उन पर जोशीमठ के लष्करी अस्पताल में इलाज हो रहा है।

नीति वैली में जिस सुमना हिस्सा में यह हादसा हुआ वहां से २५ किलोमीटर दूर फ़रवरी में नंदादेवी ग्लैशियर का एक बड़ा हिस्सा धौलीगंगा के प्रवाह में गिरने से बड़ा जलप्रलय हुआ था। इससे जोशीमठ के पास वाले क्षेत्र में बड़ा नुकसान हुआ था। इस प्रवाह में दो जल-बिजली प्रकल्प बह गए और पांच से छह गांवों का बड़ा नुकसान हुआ था। जल-बिजली प्रकल्प में काम करनेवालों के साथ करीबन २४० लोग इस विपदा के बाद लापता थे। वे सभी वहां की टनेल में फंसे होने का ड़र व्यक्त किया जा रहा था। उन्हें बचाने के लिए सेना ने बड़ा राहत कार्य शुरू किया था। इनमें से कुछ लोगों को बचाया गया और ८० लोगों के शव टनेल से बरामद हुए थे। इनमें से १२६ का अब तक पता नहीं चला है। इन सभी को मृत समझा जा रहा है।

uttarakhand-chamoliइसी बीच, चमोली में बड़ी मात्रा में बर्फबारी हो रही है और अब भी सुमना क्षेत्र में राहत कार्य जारी है। बर्फबारी की वजह से इस राहत कार्य में बाधा निर्माण हो रही है। इस राहत कार्य में राष्ट्रीय आपदा निवारण बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा निवारण दल (एसडीआरएफ) के सैनिक भी शामिल हैं। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शहा ने उत्तराखंड़ सरकार को हर तरह की सहायता प्रदान करने का वादा किया है।

वर्ष १९९१ में सुमान में ही हुए हिमस्खलन में ‘आयटीबीपी’ के ११ सैनिकों की मौत हुई थी। बर्फबारी के दौरान हिमालयीन क्षेत्र में हिमस्खलन के कई हादसे होते हैं।

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