पूर्व अफ्रीकी देश स्वतंत्र सैन्य संगठन स्थापित करेंगे

नैरोबी – बुरूंडी, केनिया, रवांडा, दक्षिण सुड़ान, तांज़ानिया, युगांडा और डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑप कांगो इन पूर्व अफ्रीकी देशों ने साथ मिलकर स्वतंत्र सैन्य संगठन का निर्माण करना तय किया हैं| पिछले कुछ दशकों से कॉंगों में शुरू आतंकवाद को खत्म करने में संयुक्त राष्ट्रसंघ के शांतिसैनिक नाकाम हुए हैं| इस वजह से इस आतंकवाद के विरोध में स्थानिय देशों का सैन्य संगठन आवश्यक हैं, इसपर पूर्व अफ्रीकी देशों की सहमति हुई हैं|

सात देशों की ‘ईस्ट अफ्रीकन कम्युनिटी’ (ईएसी) यानी पूर्व अफ्रीकी देशों की केनिया की राजधानी नैरोबी में विशेष बैठक हुई| इनमें पूर्व अफ्रीकी देशों के सैन्य अधिकारी उपस्थित थे| इनमें डेमोक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की सुव्यवस्था ना होने की चिंता इन अफ्रीकी देशों ने व्यक्त की| कांगो के आतंकवादी एवं विद्रोही संगठनों को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्रसंघ ने अपने शांति सैनिक तैनात किए थे| इसके लिए कांगो ने पिछले कुछ सालों में अरबों डॉलर्स खर्च किए हैं|

लेकिन, इसके बाद भी कांगो की आतंकी संगठनों को ठिकाने लगाना संभव नहीं हुआ हैं| वास्तव में कांगो में फिलहाल १२० से अधिक आतंकी और विद्रोही गुट कार्यरत होने की चौकानेवाली जानकारी सामने आयी थी| इनमें ‘आयएस’ से जुड़ी आतंकी संगठनों का भी समावेश हैं| कॉंगो के पूर्वीय ओर में प्रभाव रखनेवाले इन गुटों का मुख्य केंद्र युगांड़ा में होने का दावा किया जा रहा हैं| इस पृष्ठभूमि पर इन आतंकी और विद्रोही संगठनों पर कार्रवाई करने के लिए पूर्व अफ्रीकी देशों ने स्वतंत्र सैन्य संगठन बनाने की बात स्वीकारी|

इससे पहले पूर्व अफ्रीकी देशों ने कांगो के आतंकी और विद्रोही संगठनों के लिए आवाहन किया हैं| कांगो की सशस्त्र संगठन अपने हथियार त्याग कर राजनीतिक प्रक्रिया में शामिल हो, नहीं तो हमारी सैन्य कार्रवाई के लिए तैयार रहें, ऐसा इशारा पूर्व अफ्रीकी देशों ने दिया हैं| इस मुद्दे पर जल्द ही पूर्व अफ्रीकी देशों के नेताओं की बैठक होगी| इस बैठक में कांगो की सैन्य कार्रवाई पर विचार हो सकता हैं|

इसी बीच, पिछले कुछ महीनों में अफ्रीकी देशों में आतंकवाद का काफी मात्रा में बढ़ा हैं| इस आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अफ्रीकी देश बड़ी मात्रा में संयुक्त राष्ट्रसंघ के शांतिसैनिक या अमरीका एवं यूरोपिय देशों की सैन्य सहायता पर निर्भर होते हैं| नायजर ने भी यूरोपिय देशों के स्पेशल फोर्सेस की तैनाती की मॉंग की हैं| लेकिन, इसके आगे हमारी सुरक्षा के लिए अन्य  देशों पर निर्भर रहना मुमकिन नहीं होगा, इसका अहसास पूर्व अफ्रीकी देशों को होता दिख रहा हैं|

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