भारत यात्रा के दौरान जापान के प्रधानमंत्री पेश करेंगे ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र से जुड़ी नई योजना

नई दिल्ली – अपनी भारत यात्रा के दौरान जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए नई योजना पेश करेंगे, यह स्पष्ट हुआ हैं। इश वजह से सोमवार से शुरू हो रहे प्रधानमंत्री किशिदा के भारत दौरे पर दुनिया भर के निरिक्षकों की नज़रें लगी हैं। जापान के प्रधानमंत्री ने पिछले कुछ दिनों से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की भूमिका काफी अहम होने का बयान करके अपने भारत दौरे की उत्सुकता बढ़ाई थी। ऐसी स्थिति में इस समुद्री क्षेत्र के लिए नई योजना हमारे पास होने के साथ देकर जापान के प्रधानमंत्री चीन की बेचैनी अधिक बढ़ाते दिख रहे हैं।

रविवार को प्रधानमंत्री किशिदा भारत दौरे के लिए निकलने की खबर जापान के समाचार पत्रों ने प्रदान की। उनके इस दौरे पर चीन बारिकी से देख रहा हैं, यह पहले ही स्पष्ट हुआ था। चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाईम्स ने तो इस भारत यात्रा को लेकर जापान के प्रधानमंत्री को चेतावनी भी दी थी। जापान कितनी भी कोशिश करें तो भी चीन के खिलाफ भारत का इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं होगा, ऐसा दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया था। इस पृष्ठभूमि पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए नई योजना के संकेत देकर जापान के प्रधानमंत्री ने चीन को अधिक ही असुरक्षित बनाया दिख रहा हैं। जापान में ‘जी ७’ देशों की बैठक का आयोजन हो रहा हैं और इस बैठक के लिए भारत के प्रधानमंत्री को भी आमंत्रित किया जाएगा, ऐसी चर्चा शुरु हुई है। प्रधानमंत्री किशिदा अपने भारत दौरे में ही इस बैठक का न्योता देंगे, ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री किशिदा ने कुछ ही दिन पहले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र मुक्त और खुले रखने के लिए भारत काफी बड़ा योगदान देगा और इस क्षेत्र के लिए भारत को असाधारण अहमियत होने का इशारा दिया था। इस वजह से उनकी नई इंडो-पैसिफिक नीति में भारत को अधिक अहम स्थान होगा, ऐसी कड़ी संभावना सामने आ रही हैं। पिछले साल सिंगापूर में आयोजित ‘शांग्री-ला डायलॉग’ में प्रधानमंत्री किशिदा ने अपनी इस नई योजना का ऐलान किया था। लेकिन, इसका ब्योरा सार्वजनिक नहीं किया था। लेकिन, अपनी यह योजना खुले और मुक्त इंडो-पैसिफिक के लिए अहम होगी, यह विश्वास उन्होंने व्यक्त किया था।

इसी वजह से जापान के प्रधानमंत्री की इस भारत यात्रा से चीन की बेचैनी बढ़ती दिख रही हैं। भारत और जापान एवं क्वाड के सदस्य अमरीका और ऑस्ट्रेलिया का सहयोग चीन विरोधी ना रहे, यह उम्मीद चीन व्यक्त कर रहा हैं। हाल ही में भारत में आयोजित जी २० परिषद में क्वाड सदस्य देशों के विदेश मंत्री की चर्चा हुई थी। इसपर चीन के विदेश मंत्री ने तीव्र आलोचना की। क्वाड की यह चर्चा हमारे विरोध में ही हैं, ऐसा बयान चीन के विदेश मंत्री ने किया था।

चीन की वर्चस्ववादी हरकतों पर नकेल लगाकर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र का कारोबार अंतरराष्ट्रीय नियमों से चलाना हैं तो भारत को अधिक व्यापक भूमिका अपनानी होगी, ऐसा जापान और ऑस्ट्रेलिया लगातार कह रहे हैं। अमरीका और यूरोपिय देशों ने भी इस क्षेत्र में भारत का स्थान असाधारण होगा, ऐसा दावा किया था। चीन के वर्चस्ववाद के विरोध में खड़ा होना हैं तो भारत के अलावा अन्य विकल्प नहीं हैं, ऐसा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषी सुनाक ने सुचित किया था। वहीं, फ्रान्स, जर्मनी जैसे यूरोपिय देशों के साथ कनाड़ा ने भी अपनी इंडो-पैसिफिक नीति में भारत के सहयोग को काफी बड़ी अहमियत होने का ऐलान किया था।

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