लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट करके भारत एवं जापान सहयोग बढ़ाएंगे

नई दिल्ली – २ वर्षों पहले चीन ने हिंद महासागर के जिबौती में विदेश में अपना पहला लष्करी अड्डा निर्माण करके भारत की चिंता बढ़ाई थी। भारत को घेरने की महत्वाकांक्षी योजना के भाग के तौर पर चीन के जिबौती के अड्डे को देखा जा रहा था। पर भारत ने चीन के इस योजना को सुरंग लगाने की तैयारी की है। जल्द ही भारत और जापान में लॉजिस्टिक सपोर्ट करार होने वाला है और इसकी वजह से दोनों देशों को एक दूसरों के लष्करी अड्डों का उपयोग करना संभव होगा। जिबौती में जापान के लष्करी अड्डा होकर भारत को इस लष्करी अड्डे का उपयोग करने का मार्ग खुला होने वाला है।

२८ अक्टूबर के रोज प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भारत जापान में वार्षिक शिखर बैठक के लिए जापान के दौरे पर जाने वाले हैं। इस दौरे में दोनों देशों में लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट होने का वृत्त है। अगस्त महीने में जापान के रक्षा मंत्री इत्सूनूरी आनोदेरा भारत दौरे पर आए थे। उस समय दोनों देशों में इस प्रकार इस करार का प्रस्ताव प्रथम प्रस्तुत किया गया था।

पिछले हफ्ते में दोनों देशों में वार्षिक बैठक की तैयारी के लिए जापान के प्रधानमंत्री शिंजो ऐबे के सलाहकार ‘शोतारो याची’ भारत के दौरे पर आए थे। उस समय उन्होंने भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल से भेंट करके चर्चा की थी। इस भेंट में इस लॉजिस्टिक सपोर्ट करार के संदर्भ में चर्चा हुई है। शिखर बैठक में इस करार पर हस्ताक्षर करने की दृष्टि से दोनों देशों की गतिविधियां शुरू होने की जानकारी उजागर हो रही है।

लॉजिस्टिक सपोर्ट, सहयोग, शोतारो याची, लष्करी अड्डा, एग्रीमेंट, चर्चा, भारत, जापान, चीनइस करार के बाद दोनों देश एक दूसरों के लष्करी अड्डो का उपयोग कर सकते हैं। युद्ध एवं इमरजेंसी के समय में इस अड्डे से भारत एवं जापान एक दूसरों के लष्कर को भी सहायता कर सकते हैं। इसकी वजह से जापान के जिबौती के लष्करी अड्डे का उपयोग भारत से किया जा सकता है। जिबौती में सन २००९ में जापान का लष्करी अड्डा कार्यान्वित हुआ है। वहा जापान के सैनिक तैनात होकर रनवे और बंदरगाह भी है। २ वर्षों पहले जापान ने इस अड्डे का विस्तार किया था।

चीन ने भी २ वर्षों पहले अफ्रीकन देश होनेवाले जिबौती में अपने विदेश का पहला लष्करी अड्डा निर्माण किया था। वहां चीन ने अपनी विध्वंसक तैनात की है। हिंद महासागर में भारत के नैसर्गिक प्रभाव को चुनौती देने के लिए चीन की गतिविधियां शुरू है। भारत को घेरने के व्यापक योजना पर चीन पिछले कई वर्ष काम कर रहा है। चीन ने जिबौती में निर्माण किया यह लष्करी अड्डा चीन के षड्यंत्र का भाग होने की बात विश्लेषकों ने कही थी। चीन के इस अड्डे की वजह से भारत की चिंता बढ़ रही थी। पर जापान के साथ लॉजिस्टिक सपोर्ट करार होने के बाद भारतीय रक्षा दल के लिए जापान ने जिबौती में बनाया लष्करी अड्डा भारत के लिये खुला होगा। जिसकी वजह से चीन के भारत विरोधी गतिविधियों को सुरंग लगेगा ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

एक तरफ भारत को जिबौती के साथ जापान के ईस्ट चाइना सी में बनाये अड्डे का उपयोग भविष्य में हो सकता है। उसी समय जापान को भी आपातकालीन परिस्थिति में भारत का अड्डे की तरह उपयोग करना संभव होगा। अंडमान निकोबार में व्ह्युहरचनात्मक रूप से महत्वपूर्ण भारत के अड्डे का उपयोग जापान से किया जा सकता है। इसकी वजह से भारत और जापान में हुआ करार चीन की चिंता बढ़ाने वाला होगा ऐसे दावे किए जा रहे हैं।

इससे पहले भी भारत ने अमरिका और फ्रांस के साथ लॉजिस्टिक सपोर्ट करार किया था। इसके सिवाय ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत के साथ यह करार करने के लिए उत्सुकता दिखाई थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published.