असम में कनेक्टिविटी के लिए ‘महाबाहु ब्रह्मपुत्रा’ कार्यक्रम का शुभारंभ

मजुली – ‘ब्रह्मपुत्रा सिर्फ नदी नहीं है बल्कि, असम की विविधता, संस्कृति, शांति से भरे सहजीवन की जन्मदात्री है। ब्रह्मपुत्रा पर ‘कनेक्टिविटी’ से संबंधित जितना काम होना चाहिए था, उतना नहीं हुआ है। उत्तर और पूर्व असम में भी ‘कनेक्टिविटी’ इतने वर्षों में अच्छी तरह से स्थापित करना संभव नहीं हो पाया है। लेकिन, अब ‘महाबाहु’ ब्रह्मपुत्रा के आशिर्वाद से इस दिशा में तेज़ी से काम किया जा रहा है। आज का दिवस इस नज़रिये से और असम के साथ-साथ पूरे ईशान कोण भारत के लिए ऐतिहासिक है’, यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

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ब्रह्मपुत्रा पर कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए सरकार ने शुरू किए कार्यक्रम को ‘महाबाहु ब्रह्मपुत्रा’ नाम दिया गया है। गुरूवार के दिन प्रधानमंत्री के हाथों ‘महाबाहु ब्रह्मपुत्रा’ के तहत अलग अलग ‘कनेक्टिविटी’ प्रकल्पों का उद्घाटन एवं नींव रखने का कार्यक्रम किया गया।

‘महाबाहु ब्रह्मपुत्रा’ प्रकल्प के तहत ब्रह्मपुत्रा नदी पर जलमार्ग, बंदरगाह और पुलों का निर्माण करके कनेक्टिविटी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। इस प्रकल्प की शुरूआत करते समय प्रधानमंत्री ने गुरूवार के दिन निमाती-मजुली, उत्तर और दक्षिण गुवाहाटी, धुबरी-तसिंगीमारी ‘रो पैक्स’ जहाज़ सेवा का शुभारंभ किया। इसके साथ ही असम ‘रो पैक्स’ द्वारा ‘कनेक्टिविटी’ बढ़ानेवाला देश का अग्रिम राज्य बना है। इसके अलावा जोगीघोप में ‘इनलैण्ड वॉटर ट्रान्सपोर्ट टर्मिनल’ के साथ ब्रह्मपुत्रा नदी पर चार स्थानों पर पर्यटक जेट्टी तैयार करने के कार्य की नींव भी रखी गई। धुबरी-फूलबारी पुल, मजूली पुल के निर्माण कार्य का भी प्रधानमंत्री ने वर्चुअल कार्यक्रम द्वारा शिलान्यास किया। इसके अलावा इस क्षेत्र में उद्योग और निवेश को बढ़ावा देने के लिए ‘डिजिटल प्रॉब्लेम्स सॉलविंग सिस्टम’ का भी प्रधानमंत्री के हाथों शुभारंभ हुआ। इस वजह से वहां पर व्यापार करना अधिक आसान होगा।

शुभारंभ किए गए तीन ‘रो पैक्स’ सेवाओं की वजह से निमाती-मजुली की ४२० किलोमीटर दूरी अब मात्र १२ किलोमीटर रहेगी। उत्तर और दक्षिण गुवाहाटी की ४० किलोमीटर की दूरी कम होकर अब ३ किलोमीटर रहेगी। साथ ही धुबरी-तसिंगीमारी की २२० किलोमीटर की दूरी अब महज २८ किलोमीटर रहेगी। जलमार्ग द्वारा संभव हुई इस कनेक्टिविटी का लाभ असम के कई छोटे और मध्यम उद्योगों को प्राप्त होगा। व्यापारियों को कम समय में अपना सामान अन्य ठिकानों पर पहुँचाना संभव होगा।

कालीबाई घाटी से जोहराट को जोड़नेवाले ८ किलोमीटर लंबाई के पुल के निर्माण कार्य की नींव भी प्रधानमंत्री के हाथों रखी गई। यह पूल तैयार होने पर मजूली के नागरिकों के लिए जीवनवाहिनी साबित होगी, यह विश्‍वास प्रधानमंत्री ने व्यक्त किया। साथ ही असम के धुबरी से मेघालय के फूलबारी तक १९ किलोमीटर लंबाई के पुल का निर्माण होगा। इससे असम और मेघायल की दूरी कम होगी और बराक घाटी में कनेक्टिविटी अधिक मज़बूत होगी, यह बात भी प्रधानमंत्री ने इस दौरान रेखांकित की। इस पुल के कारण असम और मेघायल का अंतर १०० किलोमीटर के बजाय मात्र १९-२० किलोमीटर रहेगा। यह पुल देश के साथ पड़ोसी देशों में परिवहन के लिए भी अहम साबित होगा, इस ओर प्रधानमंत्री मोदी ने ध्यान आकर्षित किया।

इसी बीच, विदेशमंत्री एस.जयशंकर और भारत में नियुक्त जापान के राजदूत सातोशी सुज़ूकी ने दो दिन पहले ही असम का दौरा किया था। उस समय विदेशमंत्री एस.जयशंकर ने असम के विकास की अहमियत रेखांकित करते समय असम भारत की ‘ऐक्ट ईस्ट’ नीति के लिए ‘स्प्रिंगबोर्ड’ का काम करेगा, यह विश्‍वास व्यक्त किया था।

भारत सरकार ईशान कोण राज्यों के विकास पर भारी मात्रा में जोर दे रही है। इन राज्यों में कई पुल, सड़कें, रेल और जलमार्ग विकसित किए जा रहे हैं। बांगलादेश, म्यांमार, भूटान और चीन की सीमा ईशान कोण के इन राज्यों से जुड़ी हैं। इस वजह से यह विकास देश की सुरक्षा के नज़रिये से भी काफी अहम है। इनमें से कई प्रकल्पों के कारण भारत को अपनी सेना को बड़ी तेज़ी से चीन की सीमा पर पहुँचाना संभव होगा। इस कारण भी चीन बेचैन हुआ है, ऐसे दावे विश्‍लेषक कर रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर ‘महाबाहु ब्रह्मपुत्रा’ कार्यक्रम की भी अहमियत रेखांकित हो रही है।

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