इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए भारत-जापान सहयोग आवश्यक – प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री किशिदा का विश्वास

नई दिल्ली – जनतंत्र और कानून के पालन पर सहमति, इन दो बुनियादी मुद्दों पर भारत और जापान का सहयोग आधारित हैं। यह सहयोग सिर्फ इन दो देशों के लिए ही नहीं, बल्कि इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की शांति और समृद्धि के लिए भी आवश्यक हैं, ऐसे सटीक शब्दों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-जापान सहयोग की अहमियत रेखांकित की। ऐसे में जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने कह कहा कि, भारत ऐसा भागीदार देश हैं कि, जिसका स्थान अन्य दोई भी नहीं प्राप्त कर सकता। साथ ही हम भारत के प्रधानमंत्री के सामने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र से जुड़ी नीति पेश करेंगे, यह जानकारी प्रधानमंत्री किशिदा ने संयुक्त वार्ता परिषद में साझा की।

सोमवार को भारत पहुंचे जापन के प्रधानमंत्री किशिदा ने प्रधानमंत्री मोदी से द्विपक्षीय चर्चा की। इसके बाद दोनों नेताओं ने संयुक्त वार्ता परिषद को संबोधित किया। जापान में आयोजित हो रही ‘जी ७’ परिषद में शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री किशिदा ने हमें आमंत्रित किया है, यह जानकारी भी प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान साझा की। जापान के हिरोशिमा में मई महीने में ‘जी ७’ की इस परिषद का आयोजन हो रहा है और इसमें भारत का समावेश ध्यान आकर्षित करता है। इसके बाद भारत में आयोजित हो रही ‘जी २०’ परिषद के लिए जापान के प्रधानमंत्री का फिर से स्वागत करने का अवसर हमे प्राप्त होगा, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा है।

प्रधानमंत्री किशिदा से हुई चर्चा में हमने ‘जी २०’ परिषद के लिए भारत की निर्धारित प्राथमिकता की जानकारी साझा की, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा। भारत ‘ग्लोबल साउथ’ का अंग बने देशों की आवाज़ बनकर इस ‘जी २०’ परिषद में उनका पक्ष रखेगा, यह हमने प्रधानमंत्री किशिदा से साझा किया, ऐसा प्रधानमंत्री मोदी ने कहा। वहीं, भारत और जापान एशिया के अहम जनतंत्र हैं यह कहकर यह इस क्षेत्र की शांति और समृद्धि का आधार होने का बयान भी प्रधानमंत्री किशिदा ने किया।

भारत और जापान आने वाले समय में व्यापार, निवेश और रक्षा क्षेत्र पर अपना रणनीतिक सहयोग अधिक व्यापक करेंगे, यह ऐलान दोनों नेताओं ने किया। साथ ही अब तक द्विपक्षीय सहयोग के क्षेत्र में हुई प्रगति का जायजा लेने की जानकारी भी दोनों नेताओं ने प्रदान की।

इसी बीच, भारत के प्रधानमंत्री से हुई चर्चा के दौरान हम इंडो-पैसिफिक संबंधित नीति साझा करेंगे, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री किशिदा ने इससे जुड़ी उत्सुकता अधिक बढ़ाई है। खास तौर पर जापान के कड़े प्रतिद्वंद्वी चीन के राष्ट्राध्यक्ष रशिया के दौरे पर होते हुए प्रधानमंत्री किशिदा ने भारत का दौरा करना ध्यान आकर्षित करता हैं। चीन जैसा देश रशिया से सहयोग बढ़ा रहा हैं और ऐसे में जापान भारत जैसें प्रमुख जनतांत्रिक देश के साथ अपना सामरिक सहयोग विकसित कर रहा हैं, ऐसा संदेश जापन ने इस माध्यम से दिया है।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती वर्चस्ववादी हरकतें जापान के साथ भारत की भी चिंता बढ़ा रही हैं। चीन कि विस्तारवादी नीति का सीधे खतरा महसूस कर रहे देशों में भारत और जापान भी हैं। चीन एवं उत्तर करिया जैसे देश से होने वाले खतरे के मद्देनज़र जापान ने ताइवान एवं दक्षिण कोरिया से सहयोग बढ़ाने की दिशा में कदम बढ़ाएं हैं। इसके लिए जापान ने अपनी परंपरागत रक्षात्मक रक्षा नीति में आक्रामक बदलाव किए हैं। कुछ दिन पहले दक्षिण कोरिया के राष्ट्राध्यक्ष जापान पर दौरे पर थे और इस दौरान दोनों देशों के नेताओं ने रक्षा सहयोग विकसित करने का निर्णय किया था।

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा को लेकर अमरीका ने कितने भी बड़े दावे किए हो, लेकिन वास्तव में अमरीका का बायडेन प्रशासन इस क्षेत्र को अनदेखा कर रहा हैं, यह भी स्पष्ट हुआ है। इस वजह से चीन की विस्तारवादी हरकते रोकने के लिए इस क्षेत्र के देशों ने ही पहल करके रणनीति तय करनी होगी, इसका स्पष्ट अहसास जापान को हुआ है। जापान की विदेश नीति में इसकी छबि दिखाई पड़ी हैं और इस वजह से जापान भारत का सहयोग अधिक से अधिक मज़बूत करने की समझदारी दिखा रहा हैं। इस पृष्ठभूमि पर प्रधानमंत्री किशिदा की नई इंडो-पैसिफिक नीति की अहमियत अधिक बढ़ती दिख रही हैं।

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