परमाणु अनुबंध के लिए पश्चिमी देशों को दी ‘रिश्वत’ दुनिया के सामने घोषित करेंगे – ईरान के उप विदेश मंत्री की धमकी

तेहरान: यूरोपीय देशों ने परमाणु अनुबंध को लेकर ईरान के साथ चर्चा करने के बजाय यह अनुबंध बचाने के लिए अमरिका पर दबाव डालना चाहिए। वैसा नहीं हुआ तो पश्चिमी देशों के नेता और राजनीतिक अधिकारियों ने इस परमाणु अनुबंध के लिए ईरान की तरफ से कितनी रिश्वत ली है यह हम घोषित करेंगे, ऐसी धमकी ईरान के उप विदेश मंत्री ने दी है। इस धमकी की पृष्ठभूमि पर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के निरिक्षक ‘टोरो वरियोरान्ता’ ने इस्तीफा देने की वजह से, इस बारे में आशंका और भी बढ़ी है।

तीन साल पहले अमरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ ईरान का परमाणु अनुबंध हुआ था। इसके बाद ईरान के परमाणु कार्यक्रम से संभावित खतरा दूर होकर विश्व अधिक सुरक्षित बनने की बात अमरिका के तत्कालीन राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने कहा था। लेकिन इस्राइल और सऊदी अरेबिया इन अमरिकी मित्र देशों ने इस अनुबंध पर आपत्ति जताई और इस वजह से ईरान को परमाणु विकसित करने का लाइसेंस मिलने की आलोचना की थी। ओबामा के बाद अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष बने डोनाल्ड ट्रम्प ने इस अनुबंध की जोरदार आलोचना करके इससे पीछे हटने की घोषणा की।

रिश्वत, घोषित, परमाणु अनुबंध, पश्चिमी देशों, निया के सामने, तेहरान, ईरानराष्ट्राध्यक्ष ट्रम्प ने लिए इस निर्णय की अमरिका के कुछ नेता आलोचना कर रहे हैं और इसमें भूतपूर्व राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा और भूतपूर्व विदेश मंत्री जॉन कैरी का समावेश है। फ़्रांस, जर्मनी और ब्रिटन इन देशों ने ईरान के साथ किए परमाणु अनुबंध को बचाने के लिए बहुत कोशिश की थी, यह बात भी स्पष्ट हुई थी। यूरोपियन कौंसिल के अध्यक्ष जीन क्लाउड जंकर ने अमरिका ने परमाणु अनुबंध से पीछे हटने के बाद, यूरोपीय महासंघ अब अमरिका की जगह ले, ऐसी माँग की थी। ईरान के साथ किए परमाणु अनुबंध के पक्ष में खड़े रहने के लिए फ़्रांस, जर्मनी और ब्रिटन और यूरोपीय महासंघ के नेता अमरिका को चुनौती दे रहे हैं। इन देशों ने परमाणु अनुबंध के बाद ईरान में बड़े पैमाने पर निवेश किया था। परमाणु अनुबंध से पीछे हटने के अमरिका के निर्णय की वजह से यह निवेश खतरे में आने की वजह से यह देश अमरिका का विरोध कर रहे हैं, ऐसा दावा कुछ विश्लेषकों ने किया था। लेकिन ईरान के उप विदेश मंत्री ‘हसन घाशघवी’ ने पश्चिमी देशों को दी धमकी अलग ही संकेत देती है।

यूरोपीय देशों ने ईरान के साथ चर्चा करने के बजाय परमाणु अनुबंध बचाने के लिए अमरिका पर दबाव डालना चाहिए। वैसा नहीं हुआ तो पश्चिमी देशों के नेता और राजनीतिक अधिकारियों ने इस परमाणु अनुबंध के लिए ईरान की तरफ से कितनी रिश्वत ली है यह ईरान घोषित करेगा, ऐसा घशघावी ने कहा है। खाड़ी क्षेत्र के विश्लेषक रमन घामावी ने घशघावी के इस विधान की जानकारी देकर इसे बहुत बड़ी प्रसिद्धी दी है। उसके बाद मीडिया में ईरान के साथ किए परमाणु अनुबंध के लिए ‘रिश्वत’ ली गई है क्या? ऐसा सवाल पूछा जा रहा है। इस वजह से सदर परमाणु अनुबंध का समर्थन करने वाले पश्चिमी देशों के नेता और राजनीतिक अधिकारियों के बारे में आशंका बढने का दावा भी मीडिया कर रही है।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा आयोग के निरीक्षक ‘टोरो वरियोरान्ता’ ने कोई वजह बताए बिना अचानक इस्तीफा देकर इस बारे में आशंका और भी बढाई है।

 

परमाणु करार बचाने के लिए यूरोपीय देशों को ईरान से ६० दिनों की अवधि

तेहरान: ईरान ने यूरोपीय देशों को परमाणु करार बचाने के लिए केवल ४५ से ६० दिनों की अवधि दी है। इस समय में परमाणु करार के बारे में ईरान को आश्वस्त करनेवाले यूरोपीय देश असफल ठहरे, तो इरान इस बारे में निर्णय लेने के लिए मुक्त होगा, ऐसा ईरान के विदेश मंत्रालय ने सूचित किया है।

रिश्वत, घोषित, परमाणु अनुबंध, पश्चिमी देशों, निया के सामने, तेहरान, ईरानपरमाणु करार से अमरिका ने वापसी करने के बाद ईरान ने इस बारे में अपनी भूमिका अधिक आक्रामक की है। ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ चीन के बाद रशिया के दौरे पर गए थे। राजनीतिक स्तर पर यह प्रयत्न शुरू होते हुए ईरान के उप विदेशमंत्री अब्बास अरगच्ची ने यह धमकी दी है। यह अपना निजी मत ना होकर यह ईरान की भूमिका होने का दावा अरगच्ची ने किया है।

अमरिका के राष्ट्राध्यक्ष ने परमाणु करार से वापसी करने के बाद ईरान ने यह करार तोड़ने की घोषणा की थी। फिर भी इस करार के लिए ईरान यूरोपीय देशों को एक अवसर दे रहा है, यह बात ईरान के राष्ट्राध्यक्ष रोहानी ने कही थी। उसके बाद ईरान की गतिविधियां शुरू हुई है और यह करार बचाने के लिये यूरोपीय देश पुरी ताकद से प्रयत्न नही कर रहे है, ऐसी आशंका ईरान को है। इसकी वजह से ईरान से यूरोपीय देशों को अलग अलग स्तर पर धमकियां एवं चेतावनी दी जा रही हैं।

दौरान जर्मनी के उप विदेश मंत्रि ने ईरान को दिए इस ६० दिनों के अवधि पर चर्चा करने की आवश्यकता ना होने की बात कही है। सच में ईरान की मांगे हम मंजूर कर सकते हैं क्या? इस पर यूरोपीय देशों को निर्णय लेना होगा, ऐसा आवाहन जर्मनी के उप विदेश मंत्री मिशेल रॉथ ने किया है।

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