विदेशों में अलगाववादियों की जारी भारत विरोधी गतिविधियों में पाकिस्तान की ‘आईएसआई’ – भारतीय अधिकारी का दावा

नई दिल्ली/वॉशिंग्टन – अमरीका के सैन्य फ्रान्सिस्को में स्तित भारतीय दूतावास में मंगलवार को खलिस्तानी अलगाववादियों ने घुसपैठ करके हमला किया। इससे पहले रविवार को लंदन में एक खलिस्तानी अलगाववादी ने भारतीय उच्चायोग से राष्ट्रध्वज हटाने की भड़काऊ हरकत की थी। ऑस्ट्रेलिया के कैनबेरा में संसद के सामने भारत विरोधी प्रदर्शन होने की खबरें प्राप्त हो रही हैं। भारत का विदेश मंत्रालय इन देशों के सामने राजनीतिक स्तर पर इस मुद्दे को उठा रहा है। साथ ही इन खलिस्तानी अलगाववादियों के पीछे पाकिस्तान की कुख्यात गुप्तचर संगठन ‘आईएसआई’ होने की बात भारतीय अधिकारी साझा कर रहे हैं।

पंजाब पुलिस ने अलगाववादी नेता अमृतपाल सिंह को गिरफ्तार करने की तैयारी की थी। लेकिन, गिरफ्तारी से पहले ही अमृतपाल सिंह फरार हुआ। उसकी तलाश जारी हैं। इसी बीच अमृतपाल के सहयोगियों को हिरासत में लिया गया हैं। इसके बार रविवार को लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाह खलिस्तानवादी प्रदर्शनकारियों ने भारत विरोधी नारेबाज़ी की और इनमें से एक सिरफिर से उच्चायोग पर लगा भारत का राष्ट्रध्वज हटाने की हरकत की थी। इसकी तीव्र गूंज भारत में सुनाई पड़ी है। ब्रिटेन के भारतीय नागरिकों ने भी इसके विरोध में प्रदर्शन करके अपने राष्ट्रभक्ति का अहसास ब्रिटेन की सरकार को कराया।

भारत ने राजनीतिक स्तर पर ब्रिटेन के सामने यह मुद्दा उठाया और उच्चायोग की सुरक्षा बढ़ाने की मांग रखी। साथ ही यह गुनाह करनेवाले अपराधियों पर सख्त कार्रवाई करें, ऐसी चेतावनी भी भारत ने ब्रिटेन को दी है। इसके बाद ब्रिटेन की यंत्रणा ने इस मामले मे एक की गिरफ्तारी करने की खबर प्रसिद्ध हुई ती। मंगलवार को अमरीका के सैन फ्रान्सिस्को शहर में स्थित भारतीय दूतावास में खलिस्तानवादियोंने घुसपैठ करके तोड़फोड़ की। अमरीका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जैक सुलिवन ने इस हमले का निषेध किया हैं। इसके बाद भारतीय दूतावास की सुरक्षा बढ़ाने का निर्णय अमरिकी यंत्रणाओं ने किया होने की जानकारी प्रदान हो रही है। भारत ने इस मामले में अमरीका के सामने चिंता जताई है। ऑस्ट्रेलिया की राजधानी कैनबेरा में संसद के बाहर एवं अन्य कुछ ठिकानों पर खलिस्तानी अलगाववादियों ने प्रदर्शन करने का वृत्त है।

तीन देशों में खलिस्तानी अलगाववादियों ने की हुई इन भारत विरोधी हरकतों के पीछे पाकिस्तान की गुप्तचर संगठन ‘आईएसआई’ का हाथ होने का भारतीय अधिकारियों का कहना हैं। 

इन अलगाववादियों को ‘आईएसआई’ पैसों की आपूर्ति कर रही हैं, ऐसे दावे भी हो रहे हैं। इस वजह से विदेशों में भारतीय दूतावास को लक्ष्य किए जाने की बात दिखाई दे रही हैं। पाकिस्तान ने यह साज़िश की हैं, फिर भी ब्रिटेन जैसा देश भारत को सबक सिखाने के लिए क्या इन प्रदर्शनों का इस्तेमाल कर रहा हैं, ऐसा सवाल भारतीय माध्यम कर रहे हैं। लंदन में भारतीय उच्चायोग को पर्याप्त सुरक्षा क्यो नहीं मुहैया की जा रही हैं, यह सवाल करके माध्यमों ने ब्रिटेन की मंशा पर आशंका जताई हैं। ब्रिटेन की तरह अमरीका भी दिखावे के लिए भारतीय दूतावास पर हुए हमले का निषेध कर रही हैं, लेकिन वास्तव में इस प्रदर्शनों का भारत पर दबाव बनाने के लिए इस्तेमाल करने में जुटी होने की बात इस घटना से सामने आ रही है।

अलगाववादियों की भारत विरोधी हरकतों की खबरें प्राप्त हो रही थी तभी ‘२०२२ कंट्री रिपोर्ट ऑन ह्यूमन राईटस्‌‍ प्रैक्टिसेस’ नामक रपट अमरीका में जारी हुई है। इसमें ऐसे दावे किए गए हैं कि, पिछले साल भारत में मानव अधिकारों का काफी बड़ी मात्रा में हनन हुआ है। इसका दाखिला देकर बायडेन प्रशासन ने भारत को मानव अधिकारों का पालन करें, ऐसी सूचना की है। यह सूचना यानी भारत पर दबाव बनाने की अमरीका की और एक कोशिश हैं और खलिस्तानवादियों की हिंसक गतिविधियों के पृष्ठभूमि पर जारी हुई यह रपट अमरीका के उद्देश्य पर सवाल उठाती है।

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