२६/११ के हमले का घाव देश कभी नहीं भूलेगा – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मुंबई – मुंबई पर हुए २६/११ के हमले के १३ वर्ष पूरे हुए और इस अवसर पर देशभर में इस कायराना हमले में शहीद हुए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है| इस हमले में शहीद हुए सुरक्षा बलों के सैनिकों का एवं इस हमले में मारे गए लोगों को देश हमेशा याद करेगा, ऐसा राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा| इस आतंकी हमले के घाव देश कभी नहीं भूलेगा, ऐसा कहकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज का भारत आतंकवाद का नई नीति और नई पद्धति से मुकाबला कर रहा है, यह संदेश दिया| पाकिस्तान ने २६/११ हमले के सूत्रधारों पर मुकदमों को गति प्रदान करे, यह मॉंग करके भारतीय विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान के राजनीतिक अफसर को समन्स थमाए हैं|

पाकिस्तान से आए हुए १० आतंकियों ने मुंबई में २६/११ हमला करके सनसनी निर्माण की थी| इन आतंकियों के साथ सुरक्षाबलों की मुठभेड़ लगभग ६० घंटों तक जारी थी| इस कायराना हमले में १६६ लोग मारे गए थे| इनमें अमरिकी और इस्रायली नागरिकों का भी समावेश था| इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जंग का अनुमान जताया जा रहा था| लेकिन, पाकिस्तान ने इस हमले से हमारा संबंध ना होने का बयान करके इस हमले के लिए ज़िम्मेदार ‘नॉन स्टेट एक्टर्स’ के खिलाफ कार्रवाई करने का वादा किया था| पाकिस्तान ने इस हमले की साज़िश को लेकर अब अपने कान बंद किए हैं| लेकिन, इस हमले के सूत्रधार हमलावर आज भी पाकिस्तान में ही होने की बात इस देश के माध्यमों ने सार्वजनिक की है| मुंबई पुलिस बल के शहीद हवलदार तुकाराम ओंबले ने अजमल कसाब को जीवित पकड़ने से इस हमले के संबंधों से इन्कार करना पाकिस्तान के लिए असंभव हो गया था|

26-11-Modiइसके बाद पाकिस्तान ने २६/११ की साज़िश करनेवाले हफीज सईद और लखि उर रेहमान लख्वी जैसे आतंकियों पर मुकदमा दर्ज़ करने का नाटक खड़ा किया| लेकिन, यह मुकदमा पाकिस्तान की अलग अलग यंत्रणाओं ने तकनीकी वजह बताकर रोक रखा था| भारत ने लगातार पुख्ता सबूत प्रदान करने के बावजूद पाकिस्तान ने इन सबूतों से इन्कार किया था| इस मामले में भारत ने पाकिस्तान का समय समय पर पर्दाफाश किया| २६/११ हमले के १३ वें स्मरण दिवस पर भी विदेश मंत्रालय ने पाकिस्तान को इस मुकमदे के काम को गति प्रदान करने को कहा है और इसके लिए समन्स भी थमाए हैं|

तीन हफ्ते पहले ही पाकिस्तान की अदालत ने अन्य मामले में २६/११ का सूत्रधार हफीज सईद को निर्दोष करार दिया था| अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ने के बाद पाकिस्तान की सरकार हफीज सईद और उसके सहयोगी आतंकियों को नज़रबंद या जेल में कैद करने का दिखावा खड़ा करता है| लेकिन, यह दबाव कम होते ही हफीज सईद और उसके सहयोगियों को रिहा किया जाता है| ऐसी हरकतों की वजह से पाकिस्तान आतंकवाद का पुरस्कार करनेवाला देश होने की पुष्टी पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी होने लगी है|

इसी बीच, अमरिकी रक्षा मुख्यालय पेंटॅगॉन के पूर्व अधिकारी एवं नामांकित विश्‍लेषक माइकल रुबीन ने हाल ही में एक लेख में यह मॉंग की थी कि, पाकिस्तान में मौजूद आतंकियों के ठिकानों पर अमरीका हमले करे| मुंबई में हुए २६/११ के हमले में अमरिकी नागरिक भी मारे गए थे, इसकी याद रुबीन ने करायी| मुंबई, काबुल और कराची जैसे शहरों में पाकिस्तान अमरिकी नागरिकों का खून बहा रहा है और यह हमलें करनेवालों को पनाह दे रहा हैं, ऐसी तीखी आलोचना रुबीन ने की| ऐसे पाकिस्तान को इसकी कीमत चूकाने के लिए मज़बूर करने के अलावा कोई चारा ना होने का इशारा रुबीन ने अमरीका के बायडेन प्रशासन को दिया है|

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