बलुचिस्तान मुद्दे पर चीन की भारत को चेतावनी

बीजिंग, दि. २९ (वृत्तसंस्था) – भारत ने बलुचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन का मसला उठाने के बाद इसके झटके पाकिस्तान के इस्लामाबाद से लेकर चीन के बीजिंग तक लग रहे हैं| बलुचिस्तान का ‘ग्वादर’ बंदरगाह विकसित करते हुए, ‘चायना पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर’ (सीपीईसी) के लिए ४६ अरब डॉलर का निवेश करनेवाले चीन ने, भारत की भूमिका पर चिंता जताई है| भारत ने ‘सीपीईसी’ का विरोध कायम रखा, तो भारत और चीन के संबंधों पर असर होगा| चीन पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के विरोध में खड़ा होगा, ऐसी धमकी चीन के प्रभावशाली राजनीतिज्ञ ‘हू शिशेंग’ ने दी|

baluchistan - बलुचिस्तान

चीन की नीति पर प्रभाव रहनेवाले ‘चायना इन्स्टिट्युट ऑफ़ कंटेपररी इंटरनॅशनल रिलेशन्स’ (सीआयसीआयआर) इस चीन के अभ्यासगुट के संचालक ‘हू शिशेंग’ ने, भारत ने बलुचिस्तान का मुद्दा उठाकर चीन की चिंता बढ़ाई है, ऐसा दावा किया है| चीन ने ‘सीपीईसी’ के लिए लगभग ४६ अरब डॉलर्स का निवेश किया है| इस परियोजना के तहत, पाकिस्तान के कब्ज़ेवाले बलुचिस्तान का ‘ग्वादर’ बंदरगाह चीन विकसित कर रहा है और भारत ने बलुचिस्तान का मुद्दा उठाकर चीन को झटका दिया है, ऐसा ‘शिशेंग’ का कहना है| बलुचिस्तान में पाकिस्तानविरोधी गुटों को अपने हाथ में रखकर भारत ‘सीपीईसी’ परियोजना को झटका दे सकता है, ऐसा डर शिगेंग ने जताया| यदि ऐसा हुआ, तो चीन को इस मसले में पड़ना पडेगा, ऐसा शिशेंग ने कहा|

अपने जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान कर रहे दख़लअंदाज़ी का बदला लेने के लिए भारत बलुचिस्तान का इस्तेमाल कर रहा है| इसका झटका पाकिस्तान को लगेगा| साथ ही, चीन के साथ भारत के संबंध भी प्रभावित होगें, ऐसा शिशेंग ने कहा| तिबेट सीमा प्रश्‍न के कारण भारत और चीन के संबंधों पर जितना असर पड़ता है, उससे ज्यादा असर ‘सीपीईसी’ को भारत द्वारा होनेवाले विरोध के कारण होगा, ऐसा दावा शिशेंग ने किया| भारत यदि अपनी इस भूमिका पर अड़िग रहता है, तो चीन पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाते हुए भारत को प्रत्युत्तर देगा, ऐसी चेतावनी शिशेंग ने दी|

भारत ने ‘सीपीईसी’ परियोजना को रहनेवाला अपना विरोध कभी भी छिपाया नहीं था| विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने, कुछ महीने पहले अपने चीन दौरे में इस परियोजना को स्पष्ट शब्दों में विरोध दर्शाया था| यही नहीं, बल्कि कुछ हफ्तें पहले भारत दौरे पर आए चीन के विदेश मंत्री के पास भी स्वराज ने ‘सीपीईसी’ पर ऐतराज़ जताया था| उस तरफ अनदेखा करनेवाले चीन को, भारत के प्रधानमंत्री ने बलुचिस्तान का मुद्दा उठाकर तगड़ा झटका दिया है, ऐसा दिखाई दे रहा है|

इसी दौरान ‘सीपीईसी’ परियोजना पाकिस्तान का भविष्य बदलने के लिए अहम साबित होगी, ऐसा दावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाझ शरीफ ने किया है| तभी चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने, यह परियोजना किसी भी दूसरे देश के खिलाफ़ नहीं है, ऐसा स्पष्ट किया|

पाकिस्तान और चीन इस परियोजना की क़ामयाबी के बारे में विश्‍वास जता रहे हैं| तभी बलुचिस्तान की जनता इस परियोजना को विरोध दर्शा रही है| इस परियोजना की आड़ लेकर, पाकिस्तान के साथ साथ चीन भी बलुचिस्तान की प्राकृतिक खनिजसंपत्ति की लूट करेगा, ऐसा दावा बलुच नेता कर रहे हैं| कुछ बलुच विद्रोही नेताओं ने इस परियोजना पर हमलें करना शुरू किया है| इस वजह से इस परियोजना की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी सेना को ख़ास तैनाती करनी पड़ी है|

‘सीपीईसी’ का सबसे अधिक लाभ पंजाब प्रांत को मिलनेवाला है और पाकिस्तान के अन्य तीन प्रांतों को, परियोजना से मिलनेवाले फायदे से वंचित रखा गया है, ऐसी शिकायतें शुरू हुई हैं| ‘सीपीईसी’ परियोजना के मार्ग में बदलाव करके पंजाब प्रांत को विशेष लाभ दिलाने के क्रियाकलापों पर कड़ी नाराजगी जताई जा रही है| साथ ही, बलुचिस्तान की जनता को विश्वास दिलाये बिना ही यह परियोजना खड़ी की जा रही है| इसका तगड़ा झटका पाकिस्तान को लगेगा, ऐसा कुछ विश्‍लेषकों ने पाकिस्तान सरकार से कहा|

आखात और युरोपीय देशों का चीन के साथ होनेवाला व्यापार और भी सुलभ करने के लिए ‘सीपीईसी’ परियोजना खड़ी की जा रही है| लेकिन आखाती क्षेत्र में अशांतता और युरोप में अस्थिरता और आर्थिक चुनौति को देखते हुए, यह परियोजना कितनी हद तक क़ामयाब होगी, इस बात पर सवाल उठाए जा रहे हैं|

पाकिस्तान का पारंपरिक दोस्तराष्ट्र माना जानेवाला सौदी अरेबिया और अन्य आखाती देश भी ‘सीपीईसी’ के पक्ष में नहीं है| ईरान भी इस परियोजना से खुश नहीं है| अमरीका तो ‘सीपीईसी’ की ओर शक़ की नज़र से ही देख रहा है| ऐसे हालात में यह परियोजना क्या हासिल करेगी, ऐसा सवाल खडा करनेवाली खबरें कुछ दिन पहले प्रकाशित हुई थीं|

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