चिनी अर्थव्यवस्था में ‘नॉन-परफ़ॉर्मिंग लोन्स’ की व्याप्ति दो लाख करोड़ डॉलर्स पर

बीजिंग/लंडन, दि. २६ (वृत्तसंस्था) – चीन की अर्थव्यवस्था में ‘नॉन परफॉर्मिंग लोन्स’ की व्याप्ति लगभग दो लाख करोड़ डॉलर्स तक जा पहुँची है| चीन सरकार यदि अब इस संकट पर ध्यान नहीं देगी, तो उससे छुटकारा पाने के लिए चिनी ‘जीडीपी’ का तक़रीबन ३३ प्रतिशत हिस्सा खर्च हो सकता है, ऐसी चेतावनी ‘फिच रेटिंग्ज’ नामक विख़्यात वित्तसंस्था ने दी है|

china-reuters - चीन की अर्थव्यवस्था

वहीं, चिनी अर्थव्यवस्था में दिख रही गिरावट से आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को पैदा हुआ खतरा अब तक ख़त्म नहीं हुआ, ऐसी फटकार आंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोश (आयएमएफ़) के भूतपूर्व अर्थतज्ज्ञ ने लगायी है| अमरीका में आयी महामंदी और युरोझोन पर आये संकट के बाद जागतिक अर्थव्यवस्था के सामने, चीन में हो रहे आर्थिक उथलपुथल की चुनौती खडी हो सकती है, ऐसे संकेत दिख रहे है|

पिछले हफ्ते आंतर्राष्ट्रीय बैकिंग क्षेत्र में नियामक के तौर पर सक्रिय रहनेवाले ‘बँक ऑफ इंटरनॅशनल सेटलमेंट्स’ ने, चीन की अर्थव्यवस्था में लोन्स की मात्रा क़ाबू से बाहर जाने की तथा उससे देश में स्थित बैंकिंग क्षेत्र का पतन होने की चेतावनी दी थी| आठ साल की अवधि में अर्थव्यवस्था में लोन्स की मात्रा ‘जीडीपी’ के २२५ प्रतिशत तक जा पहुँची है| इस पृष्ठभूमि पर, जागतिक स्तर पर मुख्य आंतर्राष्ट्रीय पतमानांकन संस्था (क्रेडिट रेटिंग्ज एजन्सी) के रूप में कार्यरत रहनेवाली ‘फिच क्रेडिट रेटिंग्ज्’ की चेतावनी महत्त्वपूर्ण मानी जाती है|

‘फिच’ ने अपनी चेतावनी में, ‘नॉन-परफ़ॉर्मिंग लोन्स’ की मात्रा १५ से २१ प्रतिशत तक पहुँच जाने की जानकारी दी है| चीन के सत्ताधारियों ने, आर्थिक सुधारों को गती देने के बजाय आर्थिक सहायता देने का सिलसिला जारी रखा है| इससे अर्थव्यवस्था में लोन्स की मात्रा बढ़ती जा रही है| जितने दीर्घ समय तक लोन बढ़ता रहेगा, उतना मालमत्ता क्षेत्र और बैंकिंग क्षेत्र में नगद की मात्रा को होनेवाला ख़तरा ज़्यादा रहेगा, ऐसे ‘फिच’ने अपनी चेतावनी में कहा है|

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‘फिच’ ने अपनी चेतावनी में कहा है कि ‘विद्यमान स्थिति के बारे में सोचा जाये, तो आर्थिक स्तर पर हो रहे आघात की मात्रा जीडीपी के ११ से २० प्रतिशत तक है| लेकिन अगर स्थिति अधिक बिगड़ती रही, तो सन २०१८ तक इसकी व्याप्ति जीडीपी के ३३ प्रतिशत तक जा सकती है|’ चीन के बैंक्स और अन्य उपक्रमों द्वारा ‘आर्थिक संकट’ में होने का ऐलान हुआ, तो इससे भी बडी शृंखला तैयार होने का डर है और दिवालियाँ बननेवालीं कंपनियों की संख्या बढती रहेगी| इसका सीधा असर देश की आर्थिक स्थिरता पर होगा, ऐसे ‘फिच’ द्वारा किये बयान में स्पष्ट किया गया है|

‘फिच’ ने दी चेतावनी की पृष्ठभूमि पर आंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोश के भूतपूर्व अर्थतज्ज्ञ ने भी चिनी अर्थव्यवस्था पर फटकार लगायी है| मुद्रा कोश के भूतपूर्व अर्थतज्ज्ञ केन रॉजॉफ ने चेतावनी दी कि चीन में आर्थिक स्तर पर हो रहे उथलपुथल की वजह से जागतिक अर्थव्यवस्था को रहनेवाला ख़तरा अब भी कायम है| चीन सरकार द्वारा दी गयी जानकारी की तुलना में, देश की अर्थव्यवस्था में काफ़ी ज़्यादा मंदी है और आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था को उसका आघात सहना पड़ सकता है, ऐसे रॉजॉफ ने कहा| इससे पहले युरोप और जापान में हुई आर्थिक उथलपुथल के दौरान कम से कम चिनी अर्थव्यवस्था का तो आधार था, मगर चीन की आर्थिक क्षमता को फिलहाल कोई विकल्प नहीं है| इस वजह से आंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थिति और भी बिगड़ सकती है, ऐसी चिंता मुद्रा कोश के पूर्व अर्थतज्ज्ञ ने जतायी है|

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